सरकार ने बजट में सीनियर सिटीजंस के लिये किया खास प्रावधान, जिस बैंक में है पेंशन अकाउंट उसी में कराएं फिक्स्ड डिपॉजिट, मिलेगा इस स्कीम का फायदा

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सीनियर सिटीजन्स को रिटर्न दाखिल करने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 से आयकर रिटर्न जमा करने से छूट दे दी है. एक अप्रैल 2021 से यह छूट मिलेगी. यह छूट 75 साल या इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को मिलेगी. लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी लगाई गई हैं. हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किए गए बजट में इसका उल्लेख किया है.

न्यूज 18 के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट विकास अग्रवाल और हरिगोपाल पाटीदार ने इन प्रावधानों के बारे में एनालिसिस किया है. उनके मुताबिक 75 साल के ऐसे सीनियर सिटीजन्स जिन्हें सिर्फ पेंशन और ब्याज से आय होती है, वे ही रिटर्न दाखिल करने की छूट पा सकते हैं. हालांकि इसमें बुजुर्गों को यह ध्यान रखना होगा कि उनके जितने भी डिपॉजिट्स हैं, वह पेंशन अकाउंट वाली बैंक में ही हों. यदि अभी दूसरी बैंक में है तो वे इसे पेंशन वाली बैंक में ट्रांसफर करवा सकते हैं. इसमें भी यह ध्यान रखना जरूरी है कि यदि किसी पुरानी एफडी में ज्यादा ब्याज है और उसका समय पूरा होने में वक्त है तो फिर एफडी न तुड़वाना ही सही  होगा. ऐसे केस में आपको सरकार की इस स्कीम का फायदा नहीं मिलेगा. लेकिन ब्याज का नुकसान भी नहीं होगा. बस पहले की तरह ही रिटर्न दाखिल करना होगा.

अपने पेंशन अकाउंट वाली बैंक में रिटर्न दाखिल करने की छूट पाने के लिए बैंक को इनकम टैक्स की धारा 80सी-80यू के तहत विभिन्न निवेश जैसे पीपीएफ, जीवन बीमा, ईएलएसस, यूलिस आदि की जानकारी देनी होगी. इसके लिए बैंक आपको एक फार्म देगा. यह फार्म जल्द ही सरकार जारी करेगी. इसे यूं समझे कि जैसे नौकरी में आप अपनी कंपनी को सारी जानकारी देते हैं, कुछ उसी तरह से. अब बैंक आयकर अधिनियम में बताई गई छूट योग्य कटौतियों को इनकम में से अलग कर देगा और बाकी बची हुई टैक्सेबल इनकम पर टीडीएस काटेगा. आयकर विभाग बैंक की इस जानकारी को आपको रिटर्न मान लेगा. इसका फायदा यह होगा कि यदि पहले कभी रिटर्न भरने में चूक हो जाती थी तो 5000 रुपए की पेनॉल्टी लगती थी. अब वह नहीं देनी होगी.

पेंशन से अलग या पेंशन के साथ ही किराए से आय, डिविडेंट, कैपिटेल गेन या बिजनेस आदि होने वाली आय वाले बुजुर्गों को पहले की तरह रिटर्न दाखिल करना होगा. यही नहीं, पेंशन वाला बैंक और डिपॉजिट वाला बैंक अलग-अलग होने पर भी रिटर्न जमा करना होगा.

सीनियर सिटीजंस के लिए मौजूदा वर्ष का टैक्स स्लैब ही अगले वर्ष के लिए लागू है. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार 60 वर्ष से उपर और 80 वर्ष की उम्र के कर दाताओं को वरिष्ठ नागरिक (सीनियर सिटिज़न) माना जाता है. इनके लिए विकल्प एक यानी पुरानी व्यवस्था वाले टैक्स स्लैब में 3 लाख रुपए सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं है. 3 से 5 लाख रुपए तक 5 प्रतिशत, 10 लाख तक 20 प्रतिशत और 10 लाख से ज्यादा पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा.

पुरानी व्यवस्था वाले टैक्स स्लैब से अलग न्यू टैक्स रिजीम अपनाने पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई अपवाद (एक्सेप्शन)  नहीं है। यानी उन्हें इनकम टैक्स अधिनियम में दी गई 70 छूटें नहीं मिलेंगी। उन्हें सालाना 2.5 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं देना होगा. जबकि 2.5 लाख से 5 लाख तक 5 प्रतिशत, 5 से 7.5 लाख तक 10 प्रतिशत, 7.5 लाख से 10 लाख तक 15 प्रतिशत, 10 लाख से 12.5 लाख तक 20 प्रतिशत, 12.5 लाख से 15 लाख तक 25 प्रतिशत और 15 लाख से ज्यादा पर 30 प्रतिशत तक टैक्स चुकाना होगा.

आरके मिश्रा, परमेश्वर यादव और केआर चौहान की उम्र 75 साल से ज्यादा है.  मिश्रा की पेंशन से आय 450000 रुपए और डिपॉजिट पर इन्टरेस्ट से आय 250000 रुपए है. दोनों एसबीआई में हैं. यादव की पेंशन से आय सालाना 350000 रुपए हैं और ब्याज से आय 250000 रुपए है. उनकी भी पेंशन और डिपॉजिट एसबीआई में है. जबकि चौहान की पेंशन सालाना 350000 रुपए एसबीआई में आती है और डिपॉजिट बीओआई में है. उन्हें डिपॉजिट से मिलने वाला ब्याज सालाना 250000 रुपए है. नीचे दिए गए टेबल से समझे तीनों को सरकार की नई स्कीम से क्या फायदा होगा या नुकसान.

इस उदाहरण के जरिए आप देखेंगे कि के आर चौहान पर कोई टैक्स लाइबलिटी नहीं बन रही है. लेकिन चूंकि उनकी पेंशन बैंक और डिपॉजिट बैंक अलग-अलग हैं. इसलिए डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज पर बैंक ने 15000 रुपए का टीडीएस काट लिया है. इसे रिफंड कराने के लिए उन्हें रिटर्न दाखिल करना होगा. जबकि उनकी जितनी वाली आय पर यादव का न तो टीडीएस कटा है और न ही रिटर्न दाखिल करने की जरूरत है.