देश के सभी बैंकों ने लोन मोरेटोरियम सुविधा का फायदा लेने वाले कर्जदारों से वसूला गया ब्याज पर ब्याज लौटाना शुरू कर दिया है. बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने वाले व्यक्तिगत उधारकर्ता या छोटे कारोबारियों को आज से कैशबैक किया जाना शुरू हो गया है. बैंकों की ओर से उन्हें भी रिफंड किया जा रहा है, जिन्होंने लोन मोरेटोरियम सुविधा का लाभ नहीं लिया था.
कोरोना संकट को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले हफ्ते देश के सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कहा था कि 2 करोड़ रुपये तक का लोन लेने वाले और कोरोना वायरस संकट के बीच भी समय पर किस्त चुकाने वालों को कैशबैक दिया जाए. बैंकों को 5 नवंबर 2020 से स्कीम लागू करने को कहा गया था. दरअसल, कोरोना संकट के बीच आरबीआई ने मार्च 2020 में कर्जदारों को अस्थायी तौर पर लोन या क्रेडिट कार्ड बकाया की मासिक किस्त 3 महीने तक नहीं चुकाने की छूट दे दी थी. इसके बाद इस अवधि को 31 अगस्त 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट के दखल पर केंद्र सरकार ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान लगाए गए कंपाउंड इंट्रेस्ट और सिंपल इंट्रेस्ट का अंतर वापस लौटाए जाने को मंजूरी दे दी. इसके बाद पिछले हफ्ते केंद्रीय बैंक ने सभी बैंको और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज को 5 नवंबर से ब्याज माफी योजना लागू करने को कहा, जिसे सभी कर्जदाताओं ने 4 नवंबर से ही लागू कर दिया. ब्याज माफी योजना के तहत 8 कैटेगरी के 2 करोड़ रुपये तक कर्जों को शामिल किया गया है. इनमें एमएसएमई लोन, एजुकेशन लोन, हाउसिंग लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो लोन, पर्सनल एंड प्रोफेशनल लोन और कंजम्पशन लोन शामिल हैं. इसमें कृषि और उससे जुड़े लोन को शामिल नहीं किया गया है.
ब्याज माफी योजना का फायदा उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिन्होंने 29 फरवरी 2020 तक कभी भी डिफॉल्ट नहीं किया है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक, ये सुविधा 1 मार्च से 31 अगस्त 2020 तक के लोन मोरेटोरियम पर मिलेगी. इससे केंद्र सरकार के खजाने पर करीब 7000 करोड़ रुपये का असर होगा. बता दें कि सरकार ने साफ तौर पर कहा है, ‘अगर किसी कर्जदार ने मोरेटोरियम का लाभ नहीं उठाया और किस्त का भुगतान समय पर किया है तो बैंक से उन्हें कैशबैक मिलेगा. इस स्कीम के तहत ऐसे कर्जदारों को 6 महीने के सिंपल और कंपाउंड इंट्रेस्ट में डिफरेंस का कैशबैक मिलेगा.