हरियाणा विधानसभा में सार्वजनिक संपत्ति क्षति वसूली पर कांग्रेस का हंगामा हुआ बेकार, पूरी तैयारी के साथ आए सत्ता पक्ष ने हर बात का दिया जवाब

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हरियाणा विधानसभा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले विधेयक को विपक्ष के हंगामे के बीच पारित कर दिया गया। कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव के बाद संपत्ति क्षति वसूली विधेयक पर सदन में सत्ता पक्ष को घेरने की भरसक कोशिश की। इस बार भी केंद्र बिंदु में किसान ही रहे। कांग्रेस ने विधेयक को किसानों के विरुद्ध करार दिया। साथ ही इसे दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को दबाने का प्रयास बताया। लेकिन सत्ता पक्ष पूरी तैयारी के साथ सदन में पहुंचा था।

कांग्रेस ने विधेयक में शामिल डर शब्द पर खूब शोर शराबा किया। इस पर सरकार की घेराबंदी का मोर्चा नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने संभाला। उन्होंने कहा कि ये विधेयक किसानों और आमजन में डर बिठाने के लिए लाया गया है। सरकार इसे जल्दी में लाई है। यह सुप्रीम कोर्ट की पूर्व रूलिंग और उसके आधार पर बने कानूनों का उल्लंघन है। यह विधेयक हमें नामंजूर है, सरकार इसे प्रवर समिति को भेजे। यह जनविरोधी है।

सरकार की तरफ से सीएम मनोहर लाल ने हुड्डा को इसका सटीक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष की आपत्ति डर शब्द से है। मैं कहता हूं कि अपराध करने वालों के मन में डर होना चाहिए ताकि वे अपराध करने से पहले सौ बार सोचें। इस विधेयक से जो कानून बनेगा वह अभी तक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग पर आपराधिक कार्रवाई के लिए कानून बने हैं, संपत्ति क्षति वसूली का कानून प्रदेश में अस्तित्व में नहीं है। नया बनने वाले कानून के तहत संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से हर्जाना वसूलने के लिए तीन माह में कार्रवाई होगी। कृषि कानूनों और किसानों से इसका कोई संबंध नहीं है। प्रदेश की संपत्ति पर हरियाणा की ढाई करोड़ जनता का हक है, इसे सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है। यह कानून बहुत पहले ही बन जाना चाहिए था। संपत्ति के नुकसान से किसी को भी फायदा नहीं होता, बल्कि आर्थिक नुकसान होता है।

गृहमंत्री अनिल विज ने कहा, यह देखने में आता रहा है कि प्रदर्शनकारी लोगों की रेहड़ी-फड़ी, दुकानें, शोरूम, मॉल, मोटरसाइकिल, गाड़ियों, घरों या सरकारी दफ्तरों व संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ आग के हवाले कर देते हैं। इससे गरीब लोगों की खून-पसीने की कमाई पल भर में राख में बदल जाती है। इस विधेयक के आने से भविष्य में ऐसा काम करने वाले और उसका समर्थन करने वालों की पहचान कर नुकसान की भरपाई करवाई जाएगी। इससे प्रदेश में ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी और लोगों के जानमाल की रक्षा होगी। स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने विपक्ष के हंगामे के बावजूद विधेयक पारित करा दिया। कांग्रेसी वेल में हंगामा करते हुए नारेबाजी करते रहे और स्पीकर ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

विधेयक की प्रस्तावना पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा, विधायक रघुबीर कादियान व किरण चौधरी ने विरोध किया और इसे वापस लेने पर अड़े रहे। विज ने पूछा, कांग्रेस पार्टी स्पष्ट करें कि क्या वे दंगाइयों, लोगों की संपत्ति को आग लगाने वालों, बसें जलाने वालों, तोड़फोड़ व लूटपाट करने वालों के पक्ष में है। किसानों ने प्रदेश में आंदोलन के दौरान एक पत्ता भी नहीं तोड़ा।

हुड्डा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई, अगर खुद गृह मंत्री ऐसा मानते हैं तो सरकार ने क्यों निर्दोष किसानों पर मुकदमे दर्ज किए हैं। सरकार को तमाम मुकदमे वापस लेने चाहिए। रघुबीर कादियान व निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान ने इसे समाज को बांटने वाला बताया। सांगवान ने कहा, इस विधेयक के दबाव में किसान आंदोलन वापस नहीं होगा। किरण चौधरी ने कहा कि आंदोलन को दबाने के लिए कानून बनाया जा रहा है। भोले-भाले लोग इसके जरिए फंसाए जा सकेंगे।