हरिशंकर तिवारी तीन सालों से हार्ट की बीमारी से थे परेशान, 91 साल की उम्र में हुआ निधन..

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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से निकलकर प्रदेश की राजनीति में अपना अलग स्थान बनाने वालों में से हरिशंकर तिवारी का नाम शुमार है। उन्होंने लगातार 22 सालों तक गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा सीट से जीत हासिल की। हरिशंकर तिवारी भले ही निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हों या कांग्रेस के पार्टी के उम्मीदवार के तौर अपने चेहरे की बदौलत उन्होंने जीत हासिल की। राजनीति में बाहुबल के बढ़ते प्रभाव के बीच हरिशंकर तिवारी ने अपनी पहचान को क्षेत्र में जातीय समीकरण से जोड़ा और एक अजेय समीकरण तैयार कर लिया। यही कारण रहा कि चाहे वे कांग्रेस में रहे हों या फिर निर्दलीय, या फिर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस में लोगों ने उन्हें उनके नाम पर चुना। आखिरकार 91 वर्ष की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके बेटे और पूर्व विधायक विनय तिवारी ने बताया कि हरिशंकर तिवारी पिछले तीन सालों से बीमार चल रहे थे।

छह बार के विधायक और पांच बार यूपी सरकार में मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी ने मंगलवार को आखिरी सांस ली। विनय तिवारी ने कहा कि हरिशंकर तिवारी दिल की बीमारी समेत कई रोगों से ग्रसित थे। उम्रजनित बीमारियों ने भी उन्हें घेर लिया था। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ है। बुधवार को मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार होगा। हरिशंकर तिवारी ने पहली बार वर्ष 1985 में चिल्लूपार सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा तक का सफर तय किया था। जेल में रहते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर हरिशंकर तिवारी ने क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाया था। 1985 के बाद से लेकर 2007 तक उन्होंने लगातार 6 बार जीत दर्ज की। विधानसभा की दहलीज पार करते रहे। 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत बेटों को दे दी। चिल्लूपार से वर्ष 2017 में विनय तिवारी ने जीत दर्ज की थी। उनके बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी संत कबीर नगर से सांसद रह चुके हैं।

पांच मुख्यमंत्री की सरकार में रहे मंत्री

हरिशंकर तिवारी ने प्रदेश में ब्राह्मण नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई। प्रदेश की राजनीति में उनका कद ऐसा हो गया था कि हर सरकार को उनकी जरूरत महसूस होने लगी। यही कारण यह रहा कि वर्ष 1997 से वर्ष 2007 तक पांच मुख्यमंत्रियों के कैबिनेट में उन्होंने जगह बनाई। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मायावती और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकारों में वे लगातार कैबिनेट मंत्री रहे।