कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला – आज तक लागू नहीं की वन रैंक, वन पेंशन, सिर्फ झूठ बोला

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कांग्रेस ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) को लागू करने के फैसले के पांच साल पूरा होने के मौके पर शनिवार को आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने आज तक पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए ओआरओपी लागू नहीं की और सिर्फ बरगलाने का काम कर रही है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह बयान में कहा, ‘‘वन रैंक, वन पेंशन’ पर मोदी सरकार की धोखेबाजी आज फिर उजागर हो गई है। मनमाने ढंग से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को कमजोर कर मोदी सरकार ने 30 लाख भूतपूर्व सैनिकों को निराश किया है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘आज फिर से सरकार ने देश को बरगलाने और बहकाने का झूठा प्रयास किया। सरकार का देश में आंख में धूल झोंकने का यह षडयंत्रकारी प्रयास कभी कामयाब नहीं होगा।’’ कांग्रेस महासचिव ने कुछ दस्तावेज जारी करते हुए आरोप लगाया, ‘‘सच्चाई यह है कि मोदी सरकार ने आज तक ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू नहीं की। उसने संप्रग सरकार द्वारा 26 फरवरी, 2014 का ‘वन रैंक, वन पेंशन’ देने वाला आदेश लागू नहीं किया।’’

उनके मुताबिक, संप्रग सरकार द्वारा दिए गए ‘वन रैंक वन पेंशन’ का मतलब साफ है कि सशस्त्र बलों में एक समान समय तक सेवा करने के बाद एक ही रैंक से सेवानिवृत्त होने वाले सभी कर्मचारियों को एक समान पेंशन दी जाए, फिर चाहे उनकी सेवानिवृत्त की तारीख अलग अलग क्यों न हो।’’

सुरजेवाला ने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार ने सात नवंबर, 2015 को नया आदेश निकाल सेना के 30-40 प्रतिशत लोगों से ‘वन रैंक, वन पेंशन’ पूरी तरह से छीन ली। सेना के जवान और जेसीओ रैंक के अधिकांश लोग 30 साल की सेवा के बाद सेवानिृवत्त हो जाते हैं। ओआरओपी का लाभ उनको नहीं मिलेगा।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘इस सरकार द्वारा शर्त लगा दी गई कि हर 5 साल बाद पेंशन पर पुनर्विचार होगा। अब लगता है कि सरकार उस 5 साल की शर्त से भी मुकर गई है और इसे 10 साल करने की तैयारी में है।’’ कांग्रेस नेता ने सरकार से आग्रह किया कि संप्रग सरकार ने जिस स्वरूप में ओआरओपी की घोषणा की थी उसे पूरी तरह लागू किया जाए।

गौरतलब कि नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से ओआरओपी लागू करने के निर्णय को शनिवार को पांच साल पूरे हो गए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सशस्त्र बलों के पूर्व कर्मियों को बधाई दी और कहा कि यह योजना हमारे सैनिकों का कुशल क्षेम सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।