पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा- अनसुलझे मुद्दों को सुलझाने की जवाबदेही चीन पर

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विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख गतिरोध से जुड़े अनसुलझे मुद्दों को सुलझाने की जवाबदेही चीन की है और दोनों पक्षों के बीच सामान्य संबंध बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति महत्वपूर्ण है ।

श्रृंगला ने कोविड बाद विश्व में भारत की विदेश नीति नए खतरे, नए अवसर विषय पर आयोजित डिजिटल संवाद के दौरान यह बात कही। इस कार्यक्रम का आयोजन पब्लिक अफेयर्स आफ इंडिया (पीएएफआई) ने किया था। उन्होंने कहा कि संबंधों के सम्पूर्ण आयामों का पूर्वानुमान सीमावर्ती क्षेत्र में शांति एवं समरसता के आधार पर निर्धारित किया गया था।

विदेश सचिव ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले वर्ष विभिन्न प्रकार के उकसावे की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज ऐसी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने एकतरफा ढंग से उकसावे के कार्यो को देखा है और हमने इससे निपटने का प्रयास किया।

यह वार्ता के जरिए किया गया और कुछ हद तक हम कुछ मुद्दों को सुलझा पाए जो स्थिति चीन द्वारा पैदा की गई थी । विदेश सचिव ने कहा कि अभी भी कुछ मुददे बने हुए हैं जिनका समाधान निकालने की जरूरत है ।

विदेश सचिव ने कहा कि पूर्वी लद्दाख गतिरोध से जुड़े अनसुलझे मुद्दों को सुलझाने की जवाबदेही चीन की है और दोनों पक्षों के बीच सामान्य संबंध बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति महत्वपूर्ण है।

विदेश सचिव ने कहा कि चीन के उदय ने भू-राजनीतिक परिदृश्य में हमें केंद्रीय भूमिका में खड़ा कर दिया है । वह (चीन) हमारा सबसे बड़ा पड़ोसी है और उसके साथ हम सीमा से आगे कई चीजें साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें चीन की ओर से एक विशिष्ट सामरिक चुनौती और साझी सीमा पर उसके हथकंडों का मुकाबला करना पड़ रहा है ।

बता दें कि लद्दाख के गलवां में भारत-चीन सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के एक साल बीत जाने के बाद भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। एक साल बाद भी दोनों तरफ की सेनाएं दुर्गम उंचाई और विकट परिस्थितियों में पूरी तैयारी के साथ तैनात रहने को मजबूर है। अभी यह कहा नहीं जा सकता कि गतिरोध अभी और कितना लंबा चलेगा?

दुश्मन और ठंड से लड़ने के लिए भारतीय सेना ने अपने जवानों की ठंड से रक्षा के लिए स्पेशल कपड़ों समेत 17 तरह के उपकरणों की मांग की है। यानी सेना पहले से ही आगे की तैयारी करके चल रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सेना ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देसी कंपनियों को तरजीह देगी।