कोरोना संकट के बीच स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बड़ी राहत, मिलेगा आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना का फायदा

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देश में बेकाबू हुई कोरोना वायरस की दूसरी लहर के प्रकोप ने अब तक के सभी पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। ऐसे में वित्त मंत्रालय ने तीन लाख करोड़ रुपये की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) का दायरा बढ़ाते हुए उसमें स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को भी शामिल कर लिया है। योजना में कामत समिति द्वारा पहचान किए गए 26 क्षेत्र भी शामिल हैं। सरकार ने पिछले महीने ही योजना की समयसीमा को तीन माह के लिए बढ़ाते हुए 30 जून तक कर दिया था। इसके साथ ही इसका दायर बढ़ाते हुए इसमें आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन, अवकाश और खेलकूद क्षेत्र को भी इसमें शामिल कर लिया गया। यानी इन क्षेत्रों को भी ईसीएलजीएस योजना का लाभ उठाने की अनुमति होगी।

वित्त मंत्रालय ने दी जानकारी
वित्त मंत्रालय ने इस संदर्भ में कहा है कि, ‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के एसएमए-1 कर्जदार और 26 अन्य उच्च दबाव से जूझ रहे क्षेत्र (जिनकी पहचान कामत समिति ने की है) अब ईसीएलजीएस 2.0 के तहत लाभ उठाने को पात्र होंगे।’ एसएमए यानी विशेष उल्लेख वाले खाते उन कर्ज खातों को कहा जाता है जिनमें काफी दबाव है और जिनके निकट भविष्य में एनपीए या फिर दबाव वाली संपत्ति वाले खाते बनने जाने की आशंका है।

बकाए कर्ज का 40 फीसदी तक मिलेगा ऋण 
ईसीएलजीएस 2.0 के तहत दबाव झेल रही पात्र कंपनियों को 29 फरवरी 2020 तक उनके सभी संस्थानों के बकाए कर्ज का 40 फीसदी तक ऋण उपलबध कराने की सुविधा होगी। योजना के तहत दिए जाने वाले ऋण की अवधि छह साल होगी जिसमें दो साल की रोक अवधि भी शामिल होगी। यानी कर्ज लेने के पहले दो साल कोई किस्त नहीं चुकानी होगी उसके बाद चार साल में कर्ज का भुगतान करना होगा। जिन कंपनियों का 50 करोड़ रुपये से अधिक और 500 करोड़ रुपये तक का बकाया है, वे इस योजना के पात्र हैं। आपको बैंकों से आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना का लाभ उठा सकते हैं।

फरवरी 2021 तक मंजूर हुआ 2.46 लाख करोड़ का कर्ज
मालूम हो कि योजना के तहत फरवरी 2021 के अंत तक वाणिज्यक बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने तीन लाख करोड़ रुपये में से 2.46 लाख करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया जा चुका है। शुरुआत में यह योजना अक्तूबर 2020 तक उपलब्ध थी, जिसे बाद में नवंबर अंत तक बढ़ा दिया गया। उसके बाद आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इसे 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया और इसमें कामत समिति द्वारा सुझाए गए 26 दबाव वाले क्षेत्रों को शामिल कर लिया गया। के वी कामत समति का गठन रिजर्व बैंक ने किया था।