केंद्र के आर्थिक सलाहकार का दावा – तीसरी लहर नहीं आई तो दिसंबर तक कोविड पूर्व स्तर पर आ जाएगी जीडीपी

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    प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने शुक्रवार को बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि हम अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार करने में सक्षम हैं। यदि तीसरी कोरोना लहर आई भी तो हम इसका मुकाबला कर लेंगे। हमारा राजस्व घाटा बहुत नियंत्रित है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि तीसरी लहर नहीं आई तो दिसंबर तिमाही तक जीडीपी वृद्धि दर कोविड पूर्व का स्तर पा लेगी। 

    बता दें, कोरोना संकट के कारण आई गिरावट से उबरते हुए देश की जीडीपी वृद्धि दर जून तिमाही के दौरान बड़े उछाल के साथ 20.1 फीसदी पर पहुंच गई है। इस लेकर संजीव सान्याल  ने कहा, ‘हमने सालाना आधार पर अप्रैल-जून में 20.1 फीसदी जीडीपी वृद्धि दर हासिल की। यह बड़ी संख्या है। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह 2020 में इसी अवधि में लॉकडाउन के कारण हुई निम्न जीडीपी पर आधारित है। लेकिन यदि तीसरी लहर नहीं आती है तो हम अक्तूबर-दिसंबर तिमाही तक कोविड पूर्व के स्तर पर पहुंचने में सक्षम होंगे।’

    पिछले साल मार्च के मुकाबले आया जीडीपी में तेज उछाल
    हाल में केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी नतीजे जारी किए थे। उसके अनुसार पहली तिमाही (अप्रैल, मई, जून) में जीडीपी वृद्धि दर रिकॉर्ड 20.1 फीसदी रही है, जबकि यह 2020-21 की इसी तिमाही में माइनस 23.9 फीसदी रही थी। उसके मुकाबले यह रिकॉर्ड बढ़ोतरी है। 

    रिजर्व बैंक के अनुमान से मामूली कम हुई बढ़ोतरी
    यह चालू वित्त वर्ष को लेकर विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार ही है। विशेषज्ञों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 20 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 18.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। वहीं रिजर्व बैंक ने अप्रैल-जून 2021 की तिमाही में 21.4 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। जीडीपी में तेज बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से उबर कर पटरी पर लौट रही है। 

    खाने के तेल की कीमतें दिसंबर से घटने लगेंगी : खाद्य सचिव
    उधर, खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा है कि दिसंबर से खाद्य तेल की कीमतें घटने लगेंगी। नई फसल आने व विश्व बाजार में दाम घटने के अनुमान के कारण यह संभव हो सकेगा। बता दें, देश में खाने के तेल का 60 फीसदी आयात होता है। बीते एक साल में इसके दाम 64 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। पांडेय ने कहा कि वायदा बाजार में दिसंबर से खाद्य तेल के दामों में गिरावट नजर आ रही है। हालांकि बहुत ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं है, क्योंकि दाम अंतरराष्ट्रीय दबाव में हैं।