‘कोरोना को विफल करना आपके हाथ में, टीकाकरण और कोविड सम्मत व्यवहार से तीसरी लहर को रोक सकते हैं’- डॉ. वीके पॉल

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एक दिन में रिकॉर्ड 86 लाख लोगों को टीका लगाने के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए तेजी से टीकाकरण ही महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही सरकार ने प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य भी तय किया है। 

दूसरी लहर का असर कम होने और टीकाकरण अभियान में तेजी से उत्साहित नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि कोरोना सम्मत व्यवहार करने व बड़ी संख्या में आबादी को टीका लगाने से तीसरी लहर को आने से रोका जा सकता है। आर्थिक गतिविधियों को खोलने के लिए टीकाकरण पर जोर देते हुए डॉ. पॉल ने कहा कि हमें अपना दैनिक कार्य करने, अपने सामाजिक जीवन को बनाए रखने, विद्यालय, व्यवसाय खोलने, अपनी अर्थव्यवस्था की देखभाल करने की आवश्यकता है, हम यह सब तभी कर पाएंगे जब हम तेज गति से टीकाकरण कर पाएंगे।

उन्होंने कोविड -19 टीकों के खिलाफ अफवाहों को भी खारिज करते हुए कहा कि यह सोचना एक बड़ी गलती है कि हमारे टीके असुरक्षित हैं। टीके जीवन बचा रहे हैं, दूसरी लहर का असर कम हो रहा है और अब वैक्सीन लेने का सबसे अच्छा समय है। लोगों को जागरूक होकर इसमें भागीदारी करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि देश में टीकों की कोई कमी नहीं है। सरकार दुर्गम इलाकों तक टीकों को पहुंचा रही है।

वहीं कोविड 19 वैक्सीनेशन मिशन की निगरानी करने वाले राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि हमारा लक्ष्य प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को टीका लगाने का है। हमारी क्षमता इतनी है कि हम प्रतिदिन 1.25 करोड़ लोगों को आसानी से टीका लगा सकते हैं।

वायरस के कई स्वरूपों में कॉकटेल इलाज कारगर
कोरोना के इलाज में दो एंटीबॉडी का कॉकटेल इलाज कारगर रह सकता है। वैज्ञानिकों ने चूहों और हेमस्टर पर किए अध्ययन के बाद कहा कि कॉकटेल इलाज कोरोना वायरस के साथ ही कई इसके कई स्वरूपों में कारगर रहा है। शोधकर्ताओं ने अमेरिकी फूड एवं ड्रग एडमिनस्ट्रिेशन द्वारा आपात इस्तेमाल के लिए मंजूर किए गए एकल और एंटीबॉडी के कॉकटेल उपचार का अध्ययन किया।

जर्नल नेचर में छपे इस अध्ययन के मुताबिक ज्यादातर कॉकटेल इलाज चूहों और हेमस्टर पर वायरस के कई स्वरूपों पर कारगर रहा। अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि कॉकटेल इलाज से दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता में कमी देखी गई ।