दिल्ली में 10 माह बाद दम तोड़ रहा कोरोना संक्रमण, 60 अस्पतालो में एक भी कोविड के मरीज़ नहीं

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राजधानी में कोरोना का पहला मामला आने के 10 माह बाद संक्रमण दम तोड़ता नजर आ रहा है। करीब एक माह से संक्रमण दर एक फीसदी से भी कम है। वही, करीब 60 अस्पतालों में कोरोना का एक भी मरीज भर्ती नहीं है। सक्रिय मामले भी घटकर 1551 ही रह गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता की ओर बढ़ रही है। यही कारण है कि वायरस के नए मामलों में लगातार कमी आ रही है। आने वाले दिनों में स्थिति और भी बेहतर होने की उम्मीद है।

दिल्ली में 2 मार्च को कोरोना का पहला मामला आया था। उसके बाद से कुल सक्रमितों की संख्या 6 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। हालांकि, इनमें से करीब 98 फीसदी मरीज स्वस्थ भी हो चुके हैं। सक्रिय मरीजों की संख्या भी घटकर 1551 रह गई है। नवंबर में यह आंकड़ा 40 हजार के करीब पहुंच गया था। बीते एक माह से कोरोना की संक्रमण दर 1 फीसदी से भी कम बनी हुई है। अब एक हजार लोगों की जांच करने पर वायरस के महज 4 मरीज मिल रहे हैं।

संक्रमण की वर्तमान स्थिति के विषय में सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर जुगल का कहना है कि दिल्ली का एक बड़ा हिस्सा संक्रमित होकर स्वस्थ हो चुका है। 50 फीसदी से अधिक लोगों में सामूहिक रोग प्रतिरोध क्षमता( हर्ड इम्युनिटी) बन गई है। यही कारण है कि नए मामलों में अब कमी आ रही है। डॉ. जुगल के मुताबिक, इस समय संक्रमण से हालात काबू में हैं। वायरस अब कमजोर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन आने के बाद अब लोग टीकाकरण के लिए भी बड़े संख्या में आगे आ रहें हैं। सभी का वैक्सीनेशन होने के बाद इस महामारी पर आसानी से लगाम लगाई जा सकेगी।

दिल्ली के करीब 60 अस्पतालों में कोरोना का एक भी मरीज भर्ती नहीं हैं। संक्रमण की शुरुआत के बाद 126 अस्पतालों मेें कोरोना के मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई थी। इनमें से 60 अस्पतालों में इस समय संक्रमण का एक भी मरीज भर्ती नहीं है। दिल्ली में कोरोना के मरीजों के लिए 8701 बेड हैं। इनमें से महज 702 पर ही मरीज भर्ती है। इस लिहाज से देखे तो करीब 91 फीसदी बेड खाली है। वहीं, बड़े कोविड अस्पतालों की बात करे तो लोकनायक अस्पताल में 25 और राजीव गांधी अस्पताल में 21 मरीज ही भर्ती हैं।

दिल्ली में नवंबर माह में संक्रमण से प्र तिदिन औसतन 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही थी। अब यह आंकड़ा 10 का रह गया है। हालांकि जिस हिसाब से मामलों में कमी आ रही है। मृतकों की संख्या उसके मुकाबले ज्यादा ही है। इसके चलते काफी समय से मृत्युदर 1.70 फीसदी बनी हुई है।