दिल्ली मानूसन सत्र : हंगामे से शुरू हुई सदन की कार्यवाही, विपक्ष ने लगाया लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप

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दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा का सत्ता पक्ष के विधायकों से नोंकझोंक होने लगी। बातचीत इतनी आगे बढ़ गई कि भाजपा विधायक ने आप विधायकों को %औकात में रहने% की चेतावनी दे डाली। इससे नाराज सत्ता पक्ष वेल तक जा पहुंचा और नारेबाजी शुरू कर दी। 

इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने ओपी शर्मा को पूरे दिन के लिए सदन से निष्कासित कर दिया। यही नहीं, भाजपा के तीन विधायकों को मार्शल से बाहर निकलवा दिया। इस दौरान विधान सभा अध्यक्ष ने सदन चलाने की रूलिंग भी दी। इसके बाद दिन भर कार्यवाही चली और शाम करीब साढ़े पांच बजे विधान सभा अध्यक्ष ने सदन शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

सदन की शुरुआत होने के साथ सत्ता पक्ष व विपक्ष के विधायकों में कहासुनी होने लगी। इसी बीच भाजपा विधायक ओमप्रकाश शर्मा ने आप विधायकों के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द कहे। इससे हंगामा बढ़ गया और विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायक से माफी मांगने को कहा। इससे इंकार करने पर विधान सभा अध्यक्ष ने उनको पूरे दिन के लिए सदन से निष्कासित करने का आदेश दिया। 

इसके ठीक बाद भाजपा विधायकों ने डीटीसी बसों की खरीद और उसके मरम्मत अनुबंध पर सदन को गुमराह करने के आरोप में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की मांग की। इस पर सत्ता पक्ष व विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विपक्ष के उठाए गए प्रस्ताव को लेकर सत्ता पक्ष अध्यक्ष के पास पहुंच गया। सवालों के विरोध में आम आदमी पार्टी विधायक अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष और स्पीकर के बीच तीखी नोकझोंक हुई। 

अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरी अध्यक्षता के कार्यकाल में विधान सभा की कमेटियों का अधिकार केन्द्र सरकार द्वारा छीना गया। हंगामे के बाद अध्यक्ष ने भाजपा विधायक अनिल वाजपेयी को मार्शल आउट करने का आदेश दिया। इसके बाद फिर सदन में भारी हंगामा हुआ। फिर विजेंद्र गुप्ता, मोहन सिंह बिष्ट को भी सदन से मार्शल आउट किया गया। विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह आप सरकार द्वारा नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है। 

विपक्ष ने यह जानने की भी मांग की कि दिल्ली सरकार द्वारा किसी भी नए स्कूल या कॉलेज को खोलने में विफलता और स्कूलों में शिक्षकों की कमी से संबंधित मामला, जिसे चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था, संशोधित सूची से एकतरफा वापस क्यों लिया गया। कोई संतोषजनक जवाब न मिलने पर दिल्ली सरकार ने विपक्ष को बाहर कर दिया। गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार सवालों का जवाब नहीं दे सकती है या उनकी घोर विफलताओं पर किसी भी आलोचना का सामना नहीं कर सकती है। विधानसभा में विपक्ष का मुंह बंद करना चाहती है। आप सरकार पूरे विधानसभा सत्र में विपक्ष को सिर्फ 20 मिनट बोलने की इजाजत दे रही है। यह लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। 

विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही के लिए रूलिंग जारी की
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल भी मानसून सत्र के पहले दिन बिफर पड़े। अध्यक्ष ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि यह बेहद दुखद है कि केंद्र सरकार ने विधान सभा की कमेटियों के अधिकार छीने हैं। इसी दौरान उन्होंने सदन को चलाने की रूलिंग भी दी। इसके मुताबिक, सदन 11 बजे से 5 बजे तक चलता है।

इसमें 2 घंटा प्रश्नकाल और नियम 280 के तहत चर्चा होगी। एक घंटा लंच का वक्त रहेगा। फिर दोपहर बाद सदन की कार्यवाही में 160 मिनट सत्ता पक्ष के सदस्यों को बोलने का अधिकार होगा। वहीं, 20 मिनट विपक्ष के लिए रखा गया है। स्पष्ट किया कि लोकसभा के नियम के मुताबिक ही दिल्ली विधानसभा ने ही समय तय किया है। लोकसभा हमारे अधिकार छिनती है तो हम बैठे कैसे रह सकते हैं। इस रूलिंग पर विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा भी किया।

विपक्ष के सदस्य विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सत्ता पक्ष एक निरंकुश सरकार की तरह है। सदन में विपक्षी विधायकों द्वारा जनता की आवाज उठाने से डरती है। विधानसभा में आपातकाल जैसी स्थिति है। विधायक ओपी शर्मा ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक किए बिना सरकार द्वारा सदन का एजेंडा तय कर दिया जाता है। नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। संशोधित कार्य सूची से भाजपा विधायकों के इस अल्पकालिक चर्चा को नाटकीय ढंग से हटा दिया गया।