चीन के अपने किसी भी पड़ोसी से संबंध अच्छे नहीं हैं. उसका भारत सहित लगभग हर पड़ोसी देश के साथ सीमा विवाद है. यही नहीं वह अपने पड़ोसी देशों को डराने के लिए सैन्य कार्रवाई की धमकी भी देता रहता है. पड़ोसी देश ताइवान को तो वह अलग देश का दर्जा ही नहीं देता, बल्कि उसे अपना ही एक स्वायत्त क्षेत्र बताता है. ताइवान की सरकार और यहां के लोग स्वयं को चीन से अलग मानते हैं. लेकिन चीन जबरन इस देश को अपना हिस्सा मानता है. जब ताइवान उसे आंखें दिखाता है तो चीन कोई न कोई कार्रवाई को अंजाम देता है. इस बार चीन ने 39 लड़ाकू विमानों को ताइवान की ओर भेजा है. इस साल उसके द्वारा ताइवान की ओर भेजा गया लड़ाकू विमानों का यह सबसे बड़ा जत्था है.
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन द्वारा भेजे गए विमानों में 24 ‘जे-16 लड़ाकू विमान’ और 10 ‘जे-10 विमान’, अन्य सहायक विमान और ‘इलेक्ट्रॉनिक’ लड़ाकू विमान थे. ताइवान की वायु सेना ने इस गतिविधि का पता चलने पर अपने विमान भी फौरन रवाना किए और वायु रक्षा रडार प्रणाली से ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (चीन के) के विमानों पर नजर रखी.
ताइवान की सरकार पिछले डेढ़ साल से नियमित रूप से इस संबंध में आंकड़े जारी कर रही है. उनके अनुसार, तब से चीनी पायलट लगभग रोज ताइवान की ओर उड़ान भर रहे हैं. इससे पहले चीन के सर्वाधिक 56 विमानों ने पिछले साल अक्टूबर में ताइवान की ओर उड़ान भरी थी.
चीन लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई, ताइवान सरकार को मान्यता देने से इनकार करता है. ताइवान और चीन 1949 के गृह युद्ध में अलग हो गए थे. ताइवान के अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शामिल होने का भी चीन लगातार विरोध करता है.