आर्थिक संकट: श्रीलंका में फूड इमरजेंसी का ऐलान, खाने-पीने के संकट से लगा आपातकाल, दुकानों के बाहर लंबी कतारें

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श्रीलंका इस वक्त आर्थिक संकट से जूझ रहा है. श्रीलंका ने खाद्य संकट को लेकर आपातकाल की घोषणा कर दी है, क्योंकि प्राइवेट बैंकों के पास आयात के लिए विदेशी मुद्रा की कमी है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार को चावल और चीनी सहित अन्य जरूरी सामानों की जमाखोरी को रोकने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी. बता दें कि मंगलवार आधी रात से आपातकाल लागू कर दिया गया है.

इमरजेंसी का ऐलान चीनी, चावल, प्याज और आलू की कीमतों में तेज वृद्धि के बाद किया है. आलम यह है कि श्रीलंका में दूध पाउडर, मिट्टी का तेल और रसोई गैस की कमी के कारण दुकानों के बाहर लंबी कतारें लगी हुई हैं. जमाखोरी के लिए सरकार व्यापारियों को जिम्मेदार ठहरा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने सेना के एक शीर्ष अधिकारी को धान, चावल, चीनी और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति के समन्वय के लिए आवश्यक सेवाओं के आयुक्त जनरल के रूप में नियुक्त किया है.

सरकार ने खाद्य जमाखोरी के लिए दंड बढ़ा दिया है, लेकिन कमी तब आती है जब 21 मिलियन का देश एक भयंकर कोरोनोवायरस लहर से जूझ रहा है. यहां कोरोना के चलते एक दिन में 200 से अधिक लोगों की मौत हो रही है. कोरोना वायरस महामारी से उबरने के लिए संघर्ष के बीच श्रीलंका अपने भारी कर्ज को चुकाने के लिए संघर्ष कर रहा है.

इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई करेंसी 7.5 फीसदी गिरा है. इसे देखते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका ने हाल ही में ब्याज दरों में वृद्धि की है. आर्थिक आपातकाल के व्यापक उपाय का उद्देश्य आयातकों द्वारा राज्य के बैंकों पर बकाया ऋण की वसूली करना भी है. बैंक के आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका का विदेशी भंडार जुलाई के अंत में गिरकर 2.8 बिलियन डॉलर हो गया, जो नवंबर 2019 में 7.5 बिलियन डॉलर था, जब सरकार ने सत्ता संभाली थी और रुपया उस समय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य का 20 प्रतिशत से अधिक खो चुका है।