ब्रिटेन में असावधानी पड़ रही भारी – ‘फ्रीडम डे’ के बाद वहां कोरोना की नई लहर से पूरा यूरोप चिंतित

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ब्रिटेन में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी ने पूरे यूरोप की चिंता बढ़ा दी है। इस बार खास चिंता का पहलू यह है कि ब्रिटेन में आई नई लहर के दौरान अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। ब्रिटेन में संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी का कारण वैक्सीन के असर का घटना बताया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये बातें साबित हो गईं, तो फिर यह पूरे यूरोप और दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय होगा।

लापरवाही बरतने का नतीजा
कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ब्रिटेन में बढ़े मामलों के लिए वहां एहतियाती उपायों को खत्म करने को दोषी ठहराया है। ब्रिटेन में सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने की अनिवार्यता जैसे उपायों को हटा लिया था। लोगों ने भी आम जिंदगी शुरू कर दी थी। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग विज्ञान के प्रोफेसर क्रिस डाय ने वेबसाइट पॉलिटिको.ईयू से कहा- ‘बाकी यूरोपीय देशों से ब्रिटेन का अंतर बिल्कुल साफ है। ब्रिटेन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में लापरवाही बरती है। जबकि पश्चिमी यूरोप के दूसरे देशों ने अधिक सावधानी भरा नजरिया अपनाया है। वे वैक्सीन प्लस की नीति पर चल रहे हैं। यानी टीकाकरण के साथ-साथ मास्क पहनने जैसे उपायों को उन्होंने लागू रखा है।’

स्पेन में बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ में बाल रोग विशेषज्ञ क्विके बसात ने ध्यान दिलाया है कि ब्रिटेन में टीकाकरण की दर बाकी यूरोप से कम है। विशेषज्ञों ने कहा है कि वैक्सीन भी पूरा बचाव नहीं है। ये बात बेल्जियम, जर्मनी और नीदरलैंड्स में भी देखने को मिली हैं, जहां हाल में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
19 जुलाई को ‘फ्रीडम डे’ मनाया
ब्रिटेन में बीती जुलाई में ही सरकार ने तमाम प्रतिबंध हटा लिए थे। इसकी खुशी में वहां 19 जुलाई को “फ्रीडम डे” भी मनाया गया, जबकि उस रोज भी नए संक्रमण के लगभग 45 हजार मामले सामने आए थे। अब एक बार फिर लगभग इतने ही मामले रोज सामने आ रहे हैं। ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख चांद नागपाल ने वेबसाइट पॉलिटिको से कहा- ‘ब्रिटेन सराकर ने गलत कदम उठाया। उसने ऐसा संकेत दिया कि महामारी खतम हो चुकी है और आम जिंदगी बहाल हो गई है।’

लंदन स्थित क्वींस मेरी यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ दीप्ति गुरदासानी ने कहा- ‘इंग्लैंड में जो हुआ है, उसमें रहस्यमय कुछ नहीं है। सितंबर में स्कूल खोल दिए गए, तब संक्रमण में भारी बढ़ोतरी हुई। अब जो हो रहा है, उन सबके बारे में भी पहले से अनुमान लगा लिया गया था।’ स्कॉटलैंड में भी संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जबकि वहां अभी मास्क लगाना अनिवार्य है। इस बारे में गुरदासानी ने कहा- ‘इस समय पूरे ब्रिटेन में संक्रमण की दर में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है। ऐसे माहौल में मास्क लगाना काफी नहीं होता।’

ब्रिटेन में 12 साल से अधिक उम्र के किशोरों में टीकाकरण की दर धीमी है। इसे भी वहां आई नई लहर की एक वजह समझा जा रहा है। फ्रांस में किशोरों के टीकाकरण की जोरदार मुहिम छेड़ी गई है। बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ में बाल रोग विशेषज्ञ क्विके बसात ने कहा- ‘दो से तीन हफ्तों के भीतर स्पेन में 70 फीसदी किशोरों को टीका लगा दिया गया। उससे नए संक्रमण की दर बहुत गिर गई।’