पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढ़ा, महिलाएं भी सेफ नहीं…

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स्टेट ऑफ ह्यूमन राइट्स ने इस हफ्ते अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने साल 2022 के राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल पर चिंता व्यक्त की है. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान और पिछली दोनों सरकारें संसद की सर्वोच्चता का सम्मान करने में विफल रहीं. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच हुए झगड़ों ने लोगों के मन से इसकी विश्वसनीयता को कम कर दिया.

हथियार के रूप में पूरे साल राजनीतिक उत्पीड़न जारी रहा

दरअसल HRCP ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि हथियार के रूप में पूरे साल राजनीतिक उत्पीड़न जारी रहा. हिरासत में यातना के दावों के साथ दर्जनों पत्रकारों और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास के सफल वोट के बाद हुए आंदोलन में कानून प्रवर्तन कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के साथ संघर्ष करते हुए देखा गया. विधानसभा की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया गया और इसका दुरुपयोग भी किया गया.

इस साल आतंकी हमलों पर HRCP की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पांच साल में सबसे ज्यादा है, जिसमें 533 लोगों की मौत हुई है. सबसे ज्यादा बलूचिस्तान के आकड़े हैं. 2,210 रिपोर्ट किए गए मामले अनसुलझे रहे. इस कमजोर प्रतिक्रिया ने हर प्रांत और क्षेत्र में सशक्त, अच्छी तरह से संसाधनों वाली स्थानीय सरकारों की आवश्यकता को रेखांकित किया है. मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. अहमदिया समुदाय विशेष रूप से खतरे में आ गया है. कई पूजा स्थलों और 90 से अधिक कब्रों को उजाड़ दिया गया है. मुख्य रूप से पंजाब में महिलाओं के खिलाफ हिंसा जारी है. बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के कम से कम 4,226 मामलों में वृद्धि हुई है. अपराधियों के लिए सजा भी कम रही. इसके अलावा, ट्रांसजेंडर के खिलाफ हिंसा और भेदभाव का पैमाना भी बढ़ा है.