अमूल एक ऐसा नाम जो आमआदमी की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. आज के टाइम में चाहें सुबह की चाय हो या नाश्ता सभी घरों में अमूल के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है. आज हम आपको अमूल की सक्सेस स्टोरी के बारे में बताते हैं कि आखिर कैसे कंपनी ने यह मुकाम हासिल किया है. आपको बता दें कि आज अमूल का 75वां एनुअल डे है. इसीलिए आज हम आपको इससे जुड़ी 9 रोचक बातों के बारे में बता रहे है जो शायद ही आपको पता हो.
आज अमूल का 75वां एनुअल डे है. बता दें कंपनी ने 1945-46 में कारोबार शुरू किया था. इसकी शुरुआत बॉम्बे मिल्क स्कीम के साथ हुई थी. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सहकारी योजना की नींव रखी थी.उसके बाद 14 दिसंबर 1946 को सहकारी सोसाइटी के तौर पर इसका रजिस्ट्रेशन हुआ.
जब कंपनी ने अपना कारोबार शुरू किया था तो कंपनी की क्षमता सिर्फ 250 लीटर प्रतिदिन की थी. बता दें इस समय कंपनी के कुल 7.64 लाख मेंबर्स हैं और कंपनी हर रोज करीब 33 लाख लीटर दूध का कलेक्शन करती है. कंपनी की रोजाना 50 लाख लीटर की हैंडलिंग क्षमता है. कंपनी का पूरी दुनिया के दूध उत्पादन में 1.2 प्रतिशत हिस्सा है.
आपको बता दें दूध उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर करने के अलावा किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए वर्गीज कुरियन इसकी शुरुआत की थी. कुरियन को ‘भारत का मिल्कमैन’ भी कहा जाता है.एक समय जब भारत में दूध की कमी हो गई थी, कुरियन के नेतृत्व में भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ.
उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के साथ मिलकर खेड़ा जिला सहकारी समिति शुरू की. साल 1949 में उन्होंने गुजरात में दो गांवों को सदस्य बनाकर डेयरी सहकारिता संघ की स्थापना की. भैंस के दूध से पाउडर का निर्माण करने वाले कुरियन दुनिया के पहले व्यक्ति थे. इससे पहले गाय के दूध से पाउडर का निर्माण किया जाता था.
अमूल की सफलता पर तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को दूसरी जगहों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया.कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं. वे 1973 से 2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख और 1979 से 2006 तक इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के अध्यक्ष रहे.
अमूल का सालाना टर्नओवर यानी आमदनी साल 2016 में 11,668 करोड़ रुपये थी. वहीं, 2017 में यह बढ़कर 20,733 करोड़ रुपये हो गई. साल 2018 में यह 29,225 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. अब साल 2019 की बात करें तो कमाई बढ़कर 32,960 करोड़ रुपये हो गई है.
अमूल एक सहकारी संस्था के तौर पर काम करता है. इसीलिए मुनाफे को लेकर ज्यादा काम नहीं किया जाता. साल 2018 में अमूल का मुनाफा 49 करोड़ रुपये था. जो कि साल 2019 में बढ़कर 53 करोड़ रुपये हो गया है.