BSF अलंकरण समारोह: अमित शाह ने शहीदों को किया नमन, बोले- अर्धसैनिक बलों के दम पर दुनिया में बढ़ा भारत का गौरव

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    सीमा सुरक्षा बल के 18वें अलंकरण समारोह में आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया और वीर जवानों को सम्मानित किया। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘सीमा सुरक्षा के काम में लगे BSF और सभी पैरामिलिट्री फोर्स के कारण आज भारत विश्व के नक्शे पर अपना गौरवमय स्थान दर्ज करा रहा है।’ इस मौके पर गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार भी शामिल हुए।

    गृहमंत्री अमित शाह ने आज BSF के अधिकारियों व कार्मिकों को सम्मानित किया। इस मौके पर संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा घुसपैठ, मानव तस्करी, गो तस्करी, हथियारों की तस्करी, ड्रोन..ये सभी चुनौतियां हैं लेकिन मुझे पैरामिलिट्री फोर्स पर पूरा विश्वास है कि वे सभी चुनौतियों को पार कर सीमा सुरक्षा को सुनिश्चित करेंगे।’ गृहमंत्री ने कहा, ‘मैं उन लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया है क्योंकि पूरा देश जानता है कि आप सजग बनकर देश की सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं, इसी कारण आज देश लोकतंत्र के अपनाए हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, उन बलिदानियों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।’

    प्रधानमंत्री मोदी ने देश को दी रक्षा नीति

    सीमा सुरक्षा बल(BSF) के 18वें अलंकरण समारोह के मौके पर अपने संबोधन में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश को रक्षा नीति की जरूरत थी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी। हमारी चुनौतियों को देखकर हमने अपने आप को तैयार किया है और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सीमाओं की सुरक्षा को सशक्त करना होगा। इस क्रम में उन्होंने जोधपुर का जिक्र भी किया जहां तकनीक का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने में किया जा रहा है।

    BSF के अलंकरण समारोह का आयोजन पहली बार वर्ष 2003 में किया गया और तब से हर साल BSF के प्रथम महानिदेशक और पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित केएफ रुस्तम की जयंती के अवसर पर किया जाता है। इन्हें सीमा सुरक्षा बल का जनक माना जाता है। सुरक्षा बल के निर्माण में रूस्तम का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने अपनी दूरदृष्टि, नेतृत्व एवं संगठन निर्माण की अतुलनीय क्षमता से सीमा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यावसायिक रूप से दक्ष बल की नींव रखी थी।

    देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे सीमा सुरक्षा बल की स्थापना साल 1965 में हुई थी। इसके बाद से BSF ने न सिर्फ सीमाओं की रक्षा के लिए वीरता और साहस की असाधारण मिसाल पेश की बल्कि देश निर्माण के लिए हर मौके पर तत्पर और तैनात रहे हैं। आज BSF अपनी विभिन्न खूबियों के कारण भारत की सीमाओं की रक्षा करने वाले एक विशिष्ट अर्द्धसैनिक बल के रूप में जाना जाता है।