अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल मार्क माइले ने कहा- अफगानिस्तान में 20 वर्ष की जंग के बाद सैन्य वापसी है रणनीतिक नाकामी 

557

अफगानिस्तान से सैन्य वापसी पर अमेरिकी संसद (कांग्रेस) में पहली गवाही के दौरान शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल मार्क माइले ने 20 वर्ष की जंग को ‘रणनीतिक नाकामी’ बताया है। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को रोकने के लिए अमेरिका को कुछ हजार सैनिक वहां तैनात रखने चाहिए थे। हालांकि, मिले ने यह नहीं बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति को क्या सलाह दी थी। 

अमेरिकी सैन्य जनरल मार्क माइले ने कहा, तालिबान का कब्जा रोकने के लिए दी थी कुछ हजार सैनिकों को तैनात रखने की सलाह
‘जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ’ के प्रमुख जनरल मार्क माइले ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन को उस वक्त क्या सुझाव दिया जब वे अफगानिस्तान से सैन्य वापसी पर विचार कर रहे थे। लेकिन कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि राष्ट्रपति उनकी सलाह मानें ही। जनरल माइले ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति से कहा कि यह उनकी निजी राय है कि काबुल में पुरानी सरकार को गिरने व तालिबान शासन की वापसी रोकने के लिए अफगानिस्तान में कम से कम 2500 सैनिकों को तैनात रखने की जरूरत थी।

जनरल मार्क माइले ने ऐसे युद्ध को ‘रणनीतिक नाकामी’ बताया जिसमें 2,461 अमेरिकियों की जान गई है। उन्होंने काबुल पर तालिबान के कब्जे पर कहा, राजधानी पर दुश्मन का शासन है। उन्होंने कहा, अमेरिका की सबसे बड़ी नाकामी शायद यह रही कि अफगानी बलों को अमेरिकी सैनिकों पर अधिक निर्भर रखा गया।

माइले ने इसलिए नहीं दिया इस्तीफा
सीनेटर टॉम कॉटन ने जनरल माइले से पूछा कि जब राष्ट्रपति ने उनकी सलाह नहीं मानी तो उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया? इस पर मिले बोले, यह जरूरी तो नहीं कि राष्ट्रपति उस सलाह से सहमत हों। उन्होंने कहा, सैन्य अधिकारी के तौर पर सिर्फ इसलिए इस्तीफा देना कि मेरी सलाह नहीं मानी गई, यह राजनीतिक अवज्ञा का अविश्वसनीय कार्य होता।

जनरल मैकेंजी भी मिले के मूल्यांकन से सहमत
अमेरिका में मध्य कमान के प्रमुख और अफगानिस्तान में जंग के अंतिम महीनों की देखरेख करने वाले जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने कहा कि वह जनरल मार्क मिले के मूल्यांकन से सहमत हैं। उन्होंने भी यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने बाइडन को क्या सलाह दी थी।  

हमने जिन्हें प्रशिक्षित किया उसने आसानी से हथियार डाल दिए : रक्षामंत्री
समिति के सामने अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी बयान दिया। उन्होंने सेना द्वारा विमानों के जरिये लोगों को निकाले जाने के अभियान का बचाव किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से भविष्य के खतरों से निपटना कठिन तो होगा लेकिन यह पूरी तरह से संभव है। उन्होंने समिति को बताया, हमने एक राज्य बनाने में मदद की, लेकिन हम एक राष्ट्र नहीं बना सके। उन्होंने कहा, तथ्य यह है कि जिस अफगान सेना को हमने और हमारे सहयोगियों ने प्रशिक्षित किया था, उसने आसानी से हथियार डाल दिये। इसने हम सभी को आश्चर्यचकित कर दिया।

अभियान की कमियां स्वीकारीं
रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लोगों को निकालने के 14 अगस्त से शुरू हुए अभियान में कमियां स्वीकार कीं। उन्होंने कहा, हम सभी ने अफगान नागरिकों को भयभीत होकर रनवे पर और हमारे विमानों के पीछे भागने की तस्वीरों को देखा है। हवाई अड्डे के बाहर असमंजस के मंजर हम सभी को याद हैं। लेकिन 48 घंटों के भीतर, हमारे सैनिकों ने व्यवस्था बहाल कर दी थीं।

तालिबान के साथ और जटिल होंगे पाक रिश्ते
अमेरिका के शीर्ष सैन्य अफसर मार्क माइले ने कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य वापसी के बाद तालिबान से पाकिस्तानी रिश्ते निकट भविष्य में और अधिक जटिल हो जाएंगे। यूएस सेंट्रल कमांड (सेंटकाम) के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने भी सीनेट में इसके प्रति सहमति जताई। दोनों जनरलों ने बाइडन के इस दावे का भी खंडन किया कि अलकायदा अफगानिस्तान से चला गया है।