हरदीप सिंह पुरी – Air India के निजीकरण या उसे बंद करने का आखिरी विकल्प, प्रतिदिन हो रहा 20 करोड़ रुपये का नुकसान

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hardeep singh puri

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक नई समयसीमा पर काम कर रही है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एयर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां आगामी दिनों में आमंत्रित की जाएंगी। पुरी ने कहा कि सरकार के सामने एयर इंडिया के निजीकरण करने या उसे बंद करने का ही विकल्प है। निजीकरण होने तक उसे इसे चालू रखना होगा।

उन्होंने हवाई अड्डों के निजीकरण का विरोध कर रही कांग्रेस पार्टी के नेता को भ्रमित पार्टी बताते हुए कहा कि जब वे सत्ता में थे जो कुछ बेहतर काम किए उनमें दिल्ली और मुंबई के हवाई अड्डों का निजीकरण था। पुरी ने टाइम्स नेटवर्क के भारत आर्थिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘अब हम नई समयसीमा पर विचार कर रहे हैं। मूल्य लगाने के इच्छुक पक्षों के लिए अब डाटा-रुम (सूचना संग्रह) खोल दिया गया है। वित्तीय बोलियों के लिए 64 दिन का समय होगा। उसके बाद सिर्फ फैसला लेने और एयरलाइन हस्तांतरित करने का निर्णय ही शेष होगा।’

एयर इंडिया सरकार की अकेले की मिल्कियत है। वह इसमें अपनी 100 की 100 फीसदी हिस्सेदारी के लिए खरीदार तलाशने में लगी। लाभ में चलने वाली इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में 2007 में विलय कर दिया गया। उसके बाद यह घाटे में डूबती गई।

पुरी ने कहा, ‘हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। या तो हमें इसका निजीकरण करना होगा या इसे बंद करना होगा। एयर इंडिया अब पैसा बना रही है, लेकिन अभी हमें प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। कुप्रबंधन की वजह से एयर इंडिया का कुल कर्ज 60,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है।’

एयर इंडिया के लिए वित्त मंत्री से कोष मांगने का उल्लेख करते हुए पुरी ने कहा, ‘मेरी इतनी क्षमता नहीं है कि मैं बार-बार निर्मला जी के पास जाऊं और कहूं कि मुझे कुछ और पैसा दें। पूर्व में एयर इंडिया के निजीकरण के प्रयास इसलिए सफल नहीं हो पाए, क्यों उन्हें पूरे दिल से नहीं किया गया था।’ उन्होंने यह भी कहा गया कि घरेलू विमान सेवा क्षेत्र कोरोना वायरस महामारी के असर से अब उबर रहा है।