अफगानिस्तान: तालिबान सरकार के गठन से पहले काबुल पहुंचे आईएसआई चीफ

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तालिबान जल्द ही अफगानिस्तान में अपनी सरकार के गठन का एलान कर सकता है। इस बीच तालिबान के बड़े नेता भले ही पाकिस्तान से सांठ-गांठ होने से इनकार करें, लेकिन दोनों के बीच के रिश्ते खुलकर उजागर होने लगे हैं। दरअसल, इस बार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख फैज हमीद ही काबुल पहुंचे हैं। पाक के किसी अधिकारी का इस तरह तालिबान सरकार के गठन से पहले अफगानिस्तान पहुंचना अपने आप में काफी कुछ स्पष्ट करता है। खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका को अफगानिस्तान से निकालने के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ माना जाता है। 

बताया गया है कि आईएसआई चीफ के साथ कई और सैन्य अधिकारी भी अफगानिस्तान पहुंचे हैं। फिलहाल उन्हें काबुल के सेरेना होटल में रोका गया है, जहां इस दल ने पाकिस्तानी राजदूत से मिलने की बात कही है। हालांकि, सोशल मीडिया पर पहले ही कुछ फोटो सामने आए हैं, जिनमें आईएसआई चीफ को तालिबान प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के साथ दिखाया जा चुका है। 

पाकिस्तानी नेता कबूल चुके हैं तालिबान से रिश्तों की बात
गौरतलब है कि खुद पाकिस्तान भी कई मौकों पर तालिबान के समर्थन की बात कबूल चुका है। इमरान सरकार के गृह मंत्री शेख राशिद ने हाल ही में खुद इस बात को स्वीकार किया था कि इस्लामाबाद लंबे समय से तालिबान का संरक्षक रहा है। राशिद ने कहा था कि हमने संगठन को आश्रय देकर उसे मजबूत करने का काम किया, जिसका परिणाम आप देख सकते हैं कि 20 साल बाद यह समूह एक बार फिर अफगानिस्तान पर शासन करेगा। इससे पहले पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान को समर्थन देने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाता रहेगा। उधर खुद पीएम इमरान खान भी दबे-छिपे शब्दों में अफगानिस्तान से अमेरिका के जाने और तालिबान राज आने पर खुशी जता चुके हैं। 

तालिबान ने भी पाकिस्तान को बताया है अपना साथी
तालिबान प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने भी एक हफ्ते पहले कहा था कि तालिबान पाकिस्तान को अपना दूसरा घर मानता है और अफगानिस्तान की धरती पर ऐसी किसी भी गतिविधि की इजाजत नहीं देगा जो पाकिस्तान के हितों के खिलाफ हो। हालांकि, मुजाहिद ने यह भी कहा था कि हम अपनी सरजमीं को किसी मुल्क के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने देंगे। भारत और पाकिस्तान को चाहिए वे अपने द्विपक्षीय मामले सुलझाएं।