अफगानिस्तान संकट पर पीएम मोदी ने की बैठक, गृह मंत्री शाह भी रहे मौजूद – फिलहाल वेट एंड वॉच की नीति अपनाएगी सरकार

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अफगानिस्तान मुद्दे पर बैठक की। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह भी उनके साथ मौजूद रहे। बैठक ऐसे वक्त हुई, जब भारत के राजनयिक ने एक दिन पहले ही तालिबान से मुलाकात की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मीटिंग पिछले तीन घंटे से ज्यादा समय तक चली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां रोज नए हालात और परिस्थितियां पैदा हो रही हैं।

    इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कुछ आला अधिकारियों का उच्च स्तरीय समूह गठित किया था। यह समूह इसके बाद से अफगानिस्तान की तेजी से बदल रही परिस्थितियों पर रोजाना बैठक कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी ने समूह को पहले अफगानिस्तान में भारत की तात्कालिक प्राथमिकता तय कर उन पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है।

    तालिबान का असली रुख सामने आने का इंतजार
    तालिबान को मान्यता देने को लेकर भारत अपना रुख स्पष्ट करने की हड़बड़ी में नहीं है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अब तक तालिबान ने वहां भारतीय नागरिकों और हिंदू-सिख अल्पसंख्यकों को निशाना नहीं बनाया है। लेकिन विदेशी सैनिकों के अफगानिस्तान से निकलने के बाद अब तालिबान जल्द ही सरकार का गठन करेगा और तब कई मुद्दों पर उसका असली रुख स्पष्ट होगा। इसलिए भारत इस मामले में और इंतजार करने के मूड में है। इसमें यह भी देखा जाएगा कि नई सरकार में पूरी तरह तालिबान की अकेली सत्ता होगी या अन्य अफगान नेताओं को भी इसमें जगह दी जाएगी।

    हवाई मार्ग की उपलब्धता पर रहेगी निगाहें
    काबुल एयरपोर्ट अब तालिबान के नियंत्रण में है, जो इसे संचालित करने के लिए कतर सहित कुछ देशों से संपर्क कर रहा है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि एयरपोर्ट पर फिर से हवाई सेवा शुरू होने में अभी वक्त लगेगा। उसके बाद यह देखना होगा कि तालिबान की नई सरकार दूसरे देशों के नागरिकों, अल्पसंख्यकों को हवाई मार्ग से बाहर जाने देने की इजाजत देगी या नहीं। अगर तालिबान का रुख नकारात्मक रहता है तो भारत के पास अफगान सीमा से जमीनी रास्ते से जुड़े ईरान और तजाकिस्तान के जरिए ही अपने नागरिकों को बाहर निकालने का विकल्प बचेगा।