पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बरकरार तनाव और शून्य से नीचे तेजी से गिरते तापमान के बीच भारत और चीन के बीच शुक्रवार को सैन्य स्तर की आठवें दौर की बातचीत 10 घंटे से ज्यादा हुई।
लद्दाख के चुशुल में भारत के 14वें कोर के नए कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीकेजी मेनन और उनके चीनी समकक्ष के बीच चली मैराथन बातचीत में इस बार भी किसी ठोस रोडमैप पर सहमति नहीं बनी। माना जा रहा है कि सैन्य स्तर पर जमी इस बर्फ को पिघलाने के लिए कूटनीतिक और विशेष प्रतिनिधि स्तर पर नए सिरे से वार्ता शुरू होगी।
हालांकि, पिछले छठे और सातवें दौर की बातचीत के बाद सीमा पर यथास्थिति और दोनों तरफ से सेना का अतिरिक्त जमावड़ा नहीं होने देने को सकारात्मक माना जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस बातचीत में दोनों पक्षों ने सहमति जताई है कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए एलएसी से पीछे हटे बिना और कोई दूसरा रास्ता नहीं।
हालांकि, पीछे हटने की शर्तो को लेकर दोनों कमांडर अड़े हुए हैं। आठवें दौर की इस बातचीत के बारे में अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं जारी किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, चीन अभी भी पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी भाग से भारतीय सेना को ऊंचाई वाली जगह से हटने की बात कर रहा है।
वहीं, दूसरी ओरभारत पैंगोंग समेत तनातनी वाले सभी इलाकों से चीनी सेना के एक साथ पीछे हटने के अपने पुराने मांग पर कायम है। 12 अक्तूबर को चीन की तरफ मोल्डो में दोनों कोर कमांडरों के बीच हुई सातवें दौर की वार्ता के बाद जारी साझा बयान में बातचीत जारी रखते हुए पीछे हटने केरास्ते निकालने पर प्रतिबद्धता जताई गई थी।
सूत्रों ने बताया कि इस बार भी साझा बयान जारी किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक पुराने बयान में दोनों तरफ से सैन्य जमावड़ा और नहीं बढ़ाने पर भी सहमति बनी थी। यह विश्वास बहाली की तरफ सकारात्मक कदम है। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन 50 से 60 हजार की सेना और पूरे साजों सामान के साथ आमने सामने की स्थिति में है।