एचएसबीसी द्वारा जारी और एसएंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित मासिक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर महीने में भारत के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, सेवा क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.5 पर पहुंच गया, जो कि सितंबर के 10 महीनों के निचले स्तर 57.7 से ऊपर है। इसका मतलब है कि भारतीय सेवा क्षेत्र में व्यवसायों की गतिविधियों में सुधार हुआ है, जो देश की आर्थिक स्थिति के लिए एक अच्छा संकेत है।
व्यापारिक गतिविधियों में मजबूती और बढ़ती मांग
इस वृद्धि के पीछे का कारण मजबूत बिक्री पाइपलाइनों और उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग है। एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स में मौसमी बदलाव के बाद यह वृद्धि दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय सेवा क्षेत्र में नई मांग और बिक्री में मजबूती आई है, जिसके कारण कारोबारी गतिविधियों का स्तर बढ़ा है।
एचएसबीसी अर्थशास्त्री की राय
एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने बताया कि, "भारतीय सेवा पीएमआई अक्टूबर में बढ़कर 58.5 पर पहुंच गया है, जो कि सितंबर के 10 महीनों के निचले स्तर से एक महत्वपूर्ण उछाल है। अक्टूबर में सेवा क्षेत्र में उत्पादन और उपभोक्ता मांग में जोरदार वृद्धि देखी गई। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं, जो कि 26 महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर है।"
मुद्रास्फीति में वृद्धि लेकिन औसत से नीचे
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सेवा क्षेत्र में इनपुट लागत बढ़ गई है, जो मुख्य रूप से खाद्य और मजदूरी की बढ़ती लागत के कारण है। इनपुट मूल्य मुद्रास्फीति में यह वृद्धि पिछले तीन महीनों में सबसे अधिक थी। बावजूद इसके, समग्र मुद्रास्फीति दर दीर्घकालिक औसत से नीचे बनी रही, जिसका मतलब यह है कि यह वृद्धि आर्थिक दृष्टि से नियंत्रण में है।
निर्यात बिक्री में भी आई तेजी
भारत की सेवा अर्थव्यवस्था में अक्टूबर महीने के दौरान निर्यात बिक्री में भी वृद्धि देखी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अफ्रीका, एशिया, अमेरिका, मध्य पूर्व और यूके जैसे प्रमुख बाजारों से मजबूत ग्राहक मांग के कारण निर्यात में यह तेजी आई है। यह भारतीय सेवा कंपनियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग में इजाफा हो रहा है।
कारोबारी भावना में सकारात्मक रुझान
स्वस्थ मांग प्रवृत्तियों और नए ग्राहक पूछताछ के कारण सेवा क्षेत्र में कारोबारी भावना भी सकारात्मक रही। कंपनियां अपनी बिक्री में सुधार और मांग में वृद्धि को लेकर आशावादी नजर आ रही हैं। नए व्यापार प्रवाह से रोजगार और उत्पादन दोनों में सुधार हुआ है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय सेवा क्षेत्र आने वाले समय में और मजबूती की ओर बढ़ सकता है।
विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में व्यापक सुधार
सेवा क्षेत्र के साथ-साथ विनिर्माण क्षेत्र में भी मजबूती देखी गई है। एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स सितंबर के 10 महीने के निचले स्तर 58.3 से बढ़कर अक्टूबर में 59.1 पर पहुंच गया है। यह दोनों क्षेत्रों में नए व्यापार प्रवाह में सुधार को दर्शाता है। इससे रोजगार और बिक्री दोनों में वृद्धि हुई है, जो अर्थव्यवस्था में सुधार के स्पष्ट संकेत हैं।
रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि
अक्टूबर में सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन भी हुआ, जो 26 महीनों में सबसे तेज़ था। रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 13 प्रतिशत पैनलिस्टों ने रोजगार सृजन की सूचना दी, जो कि सितंबर में 9 प्रतिशत था। इसका अर्थ है कि सेवा क्षेत्र में कंपनियां अपनी टीम का विस्तार कर रही हैं और नए कर्मचारियों को जोड़ रही हैं। रोजगार में इस वृद्धि से देश में बेरोजगारी दर को कम करने में मदद मिल सकती है।
पीएमआई सर्वेक्षण के बारे में
पीएमआई सर्वेक्षण 400 से अधिक उद्योगों को कवर करता है और यह एक संकेतक है, जो व्यापारिक गतिविधियों की स्थिति को मापता है। यदि पीएमआई रीडिंग 50 से ऊपर होती है, तो इसका मतलब है कि व्यावसायिक गतिविधियां विस्तार में हैं, जबकि 50 से नीचे का स्कोर संकुचन को दर्शाता है।
इस सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि भारतीय सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में लगातार सुधार हो रहा है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह सुधार महत्वपूर्ण है क्योंकि सेवा क्षेत्र का योगदान अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण है।
अक्टूबर में भारत का सेवा पीएमआई 58.5 तक पहुंचने से यह स्पष्ट है कि भारतीय सेवा क्षेत्र में लगातार सुधार हो रहा है। मजबूत मांग, बढ़ती बिक्री और रोजगार के अवसरों में वृद्धि ने इस क्षेत्र को मजबूती दी है। हालांकि, इनपुट लागत में वृद्धि एक चुनौती है, लेकिन यह दीर्घकालिक औसत से नीचे है, जिससे अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले महीनों में भारतीय सेवा क्षेत्र में और सुधार की उम्मीद है। अगर यह सकारात्मक रुझान जारी रहता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता और विकास के नए अवसर मिल सकते हैं।