मणिपुर में उग्र भीड़ का कहर: हिंसा, आगजनी और कर्फ्यू का दौर
मणिपुर में एक बार फिर हालात बिगड़ गए हैं। ताजा हिंसा में मैतयी समुदाय के लोग इम्फाल की सड़कों पर उतर आए और जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह के निजी आवास सहित सात विधायकों के घरों पर हमला किया गया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रशासन को इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ी और कर्फ्यू लगाना पड़ा। इस उथल-पुथल में कई चर्च भी हमलों का शिकार बने।
तनाव की वजह: छह लोगों के शव मिलने से मचा हंगामा
मणिपुर में पहले से ही तनाव का माहौल बना हुआ था, लेकिन 11 नवंबर 2024 को एक घटना ने इस तनाव को और बढ़ा दिया। इंफाल घाटी से एक ही परिवार के छह लोग अचानक लापता हो गए थे, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। ताजा खबरों के अनुसार, इन लापता लोगों के शव असम के साथ मणिपुर की सीमा पर एक नदी से बरामद हुए हैं। जैसे ही मैतयी समुदाय को इस घटना की जानकारी मिली, वे आक्रोशित हो गए और सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन करने लगे।
विधायकों के घरों पर हमला और आगजनी
आक्रोशित भीड़ ने विधायकों के घरों पर हमला बोला और वहां जमकर तोड़फोड़ की। मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह के दामाद, राजकुमार इमो सिंह, का घर भी इस हमले का शिकार बना। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के आवास पर भी हमला किया, जिसके बाद प्रशासन ने इम्फाल और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया।
इंटरनेट सेवाएं ठप, सुरक्षा कड़ी
हिंसा को बढ़ते देख प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इम्फाल और आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी हैं। इसके अलावा, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
मैतयी समुदाय की मांग: मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए
मैतयी समुदाय का कहना है कि जब तक हत्यारों को सजा नहीं मिलती, तब तक वे शांत नहीं बैठेंगे। समुदाय का आरोप है कि सरकार घटना पर गंभीरता नहीं दिखा रही है। आक्रोशित लोगों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से इस्तीफे की मांग भी की है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफल रहे हैं और उन्हें इस घटना के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
चर्चों पर हमला: धार्मिक स्थलों को भी नहीं बख्शा
मणिपुर में हिंसा के दौरान कुछ धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया गया। खासकर इंडिपेंडेंट चर्च ऑफ इंडिया (ICI चर्च), इवेंजेलिकल फ्री चर्च ऑफ इंडिया (EFCI चर्च), बूथ टकर स्कूल और साल्वेशन चर्च में भी तोड़फोड़ की गई। कुछ स्थानों पर आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं।
कुकी समुदाय पर आरोप
इस हिंसा के लिए मैतयी समुदाय ने कुकी समुदाय को जिम्मेदार ठहराया है। मणिपुर के जिन इलाकों में कुकी समुदाय की बहुलता है, वहां पर तनाव और अधिक बढ़ गया है। कुकी समुदाय का आरोप है कि यह हिंसा सुनियोजित थी और उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया।
प्रशासन की कोशिशें: हालात काबू में लाने के प्रयास
मणिपुर सरकार और प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के साथ ही सड़कों पर भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। सरकार का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
राजनीतिक तनाव में उलझा मणिपुर
मणिपुर की वर्तमान स्थिति राजनीतिक तनाव और जातीय संघर्षों से भी प्रभावित है। राज्य में मैतयी और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। दोनों समुदायों के बीच जातीय आधार पर संघर्ष की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इससे पहले भी मई 2024 में इसी तरह की हिंसा देखी गई थी, जब कई लोगों की जानें गईं और सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे।
हिंसा का व्यापक असर: स्कूल-कॉलेज बंद
मणिपुर में जारी हिंसा का असर राज्य के जनजीवन पर भी देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार ने स्कूल और कॉलेजों को भी बंद कर दिया है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा, व्यापार और यातायात भी प्रभावित हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: मणिपुर हिंसा पर नजर
मणिपुर में जारी हिंसा पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी नजर रखी जा रही है। कई विदेशी संस्थाएं और मानवाधिकार संगठनों ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता जताई है और शांति की अपील की है।
मणिपुर का भविष्य: शांति बहाली की चुनौती
मणिपुर में शांति बहाल करना अब सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। जातीय संघर्ष और राजनीतिक तनाव ने राज्य की स्थिति को और जटिल बना दिया है। हिंसा की घटनाओं के बाद लोगों में डर का माहौल है और वे सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। राज्य सरकार का कहना है कि वह स्थिति को सामान्य करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।
समाधान की तलाश: शांति वार्ता और सामाजिक संवाद
मणिपुर की समस्या का समाधान अब शांति वार्ता और सामाजिक संवाद में ही निहित है। राज्य सरकार को दोनों समुदायों के बीच मध्यस्थता कर उनके बीच की समस्याओं को सुलझाना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया, तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
मणिपुर में एक बार फिर जातीय संघर्ष की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। वर्तमान हिंसा ने राज्य के हालात को और गंभीर बना दिया है। सरकार और प्रशासन को सख्त कदम उठाकर स्थिति को नियंत्रित करना होगा। साथ ही, राज्य के लोगों के लिए एक स्थायी समाधान की तलाश करनी होगी ताकि मणिपुर में शांति और विकास का माहौल बन सके।