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Strict Pollution Measures in Delhi: एमसीडी का कार्यबल बढ़ाया और नियंत्रण उपाय लागू

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Strict Pollution Measures in Delhi: एमसीडी का कार्यबल बढ़ाया और नियंत्रण उपाय लागू

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। बदलते मौसम के साथ दिल्ली समेत उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में भी प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। राय ने बताया कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के 300 से ऊपर जाने के बाद ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण दो को लागू किया गया है।

6200 नए कर्मचारी और पानी का छिड़काव

प्रेस कॉन्फ्रेंस में गोपाल राय ने जानकारी दी कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में 6200 अतिरिक्त कर्मचारियों को सफाई कार्य के लिए लगाया जाएगा। सड़कों पर धूल और प्रदूषण को कम करने के लिए पानी के छिड़काव को भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इस काम को और प्रभावी बनाने के लिए 25 अक्टूबर से पानी का छिड़काव प्रमुख रूप से प्रदूषण हॉटस्पॉट्स पर किया जाएगा, ताकि धूल और कणों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके।

निजी पार्किंग शुल्क में वृद्धि और सार्वजनिक परिवहन पर जोर

राय ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए निजी वाहनों की संख्या को सीमित करने के उद्देश्य से निजी पार्किंग शुल्क में वृद्धि की जाएगी। इसके साथ ही मेट्रो सेवाओं के ट्रिप्स को बढ़ाने और डीटीसी बसों के आवागमन को और अधिक सुलभ बनाने के लिए बस स्टॉप पर 15 मिनट के भीतर बसों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

यातायात पुलिस की अतिरिक्त तैनाती

पर्यावरण मंत्री ने बताया कि यातायात को नियंत्रित करने और जाम से बचने के लिए अतिरिक्त ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। इसके साथ ही, दिल्ली सरकार ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे दिल्ली में डीजल बसों का प्रवेश न करें। इससे दिल्ली के भीतर वाहनों से होने वाले प्रदूषण में कमी आएगी।

कर्मचारियों के लिए हीटर की व्यवस्था

ठंड के मौसम में प्रदूषण के साथ धुंध की समस्या भी बढ़ जाती है। इसलिए सरकारी और निजी संस्थानों के लिए एक अनिवार्य निर्देश जारी किया गया है कि वे अपने कर्मचारियों को रात्रि ड्यूटी के दौरान हीटर उपलब्ध कराएं। इससे खुली जगहों पर काम करने वाले कर्मचारियों को ठंड से बचने में मदद मिलेगी और कचरा जलाने जैसी गतिविधियों से बचा जा सकेगा, जो अक्सर प्रदूषण का कारण बनती हैं।

ग्रेप का दूसरा चरण लागू

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए ग्रेप के दूसरे चरण को लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत कोयले, जलाऊ लकड़ी और डीजल जनरेटर सेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह प्रतिबंध मंगलवार सुबह 8 बजे से प्रभावी हो गया है।

प्रदूषण के हॉटस्पॉट्स पर विशेष ध्यान

दिल्ली में प्रदूषण के कई हॉटस्पॉट्स हैं, जहां प्रदूषण का स्तर सामान्य से अधिक होता है। इन क्षेत्रों में पानी के छिड़काव को विशेष रूप से बढ़ाया जाएगा ताकि धूल के कारण फैलने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके। एमसीडी को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है, और 25 अक्टूबर से इसे प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।

विदेशों से सीख लेकर प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए अन्य देशों के सफल प्रयासों को भी ध्यान में रखा है। राय ने कहा कि "हमने विदेशों में किए गए प्रदूषण नियंत्रण उपायों का अध्ययन किया है और उनसे प्रेरणा लेकर हम दिल्ली में भी इन्हें लागू कर रहे हैं। सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना, निजी वाहनों की संख्या को कम करना और सड़क की धूल को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव ये सभी कदम उसी दिशा में उठाए गए हैं।"

धूल से निपटने के लिए नई तकनीक

दिल्ली सरकार ने धूल से निपटने के लिए नई तकनीकों के उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इसमें सड़कों की सफाई के लिए अधिक प्रभावी वैक्यूम क्लीनर, धूल को पकड़ने वाले उपकरणों का उपयोग, और निर्माण स्थलों पर विशेष कवरिंग की व्यवस्था शामिल है। इन तकनीकों के जरिए धूल के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने की कोशिश की जा रही है।

सरकारी और निजी वाहनों पर सख्ती

दिल्ली सरकार ने सरकारी और निजी दोनों वाहनों पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। डीजल से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध, पुरानी गाड़ियों की जांच और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने जैसे कदम भी प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होंगे।

किसान से सहयोग की अपील

गोपाल राय ने दिल्ली के आस-पास के राज्यों में किसानों से पराली न जलाने की अपील की है। उन्होंने कहा, "दिल्ली में पराली जलाने से प्रदूषण में वृद्धि होती है, जिसे हम सभी को मिलकर रोकना होगा। इसके लिए हम किसानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और उन्हें पराली के प्रबंधन के वैकल्पिक साधन उपलब्ध करा रहे हैं।"

वायु गुणवत्ता की नियमित निगरानी

दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता की नियमित निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। ये टीमें हर दिन प्रमुख स्थानों पर जाकर वायु गुणवत्ता की जांच करेंगी और उसी के आधार पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए कदम उठाए जाएंगे। इससे सरकार को सही समय पर निर्णय लेने में मदद मिलेगी और वायु प्रदूषण को काबू में रखने के लिए तत्काल उपाय किए जा सकेंगे।

स्कूलों और अस्पतालों पर भी ध्यान

प्रदूषण के बढ़ते स्तर का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। इसलिए, दिल्ली सरकार ने स्कूलों और अस्पतालों में विशेष सावधानियां बरतने के निर्देश दिए हैं। स्कूलों में बच्चों के लिए मास्क की व्यवस्था और खेल गतिविधियों को कम करने की सलाह दी गई है। अस्पतालों में मरीजों के लिए स्वच्छ हवा के उपकरण और प्रदूषण से निपटने के उपायों को लागू किया जाएगा।

जागरूकता अभियान

सरकार प्रदूषण के खतरों से निपटने के लिए जागरूकता अभियान भी चला रही है। इसमें लोगों को बताया जा रहा है कि वे निजी वाहनों का कम से कम उपयोग करें, सार्वजनिक परिवहन का अधिक से अधिक लाभ उठाएं, और अपने आसपास सफाई बनाए रखें। साथ ही, लोगों को यह भी जागरूक किया जा रहा है कि वे कचरा न जलाएं और स्वच्छ ईंधन का उपयोग करें।

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। सरकारी और निजी संस्थानों से लेकर आम जनता तक, सभी को प्रदूषण कम करने के प्रयासों में शामिल किया जा रहा है। धूल से निपटने के लिए पानी का छिड़काव, निजी वाहनों की संख्या कम करने के लिए शुल्क वृद्धि, और वायु गुणवत्ता की नियमित निगरानी जैसे कदम प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इन कदमों का कितना असर होता है, और क्या दिल्ली की हवा फिर से साफ हो पाएगी।

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