आज यानी गुरुवार को लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश किया जाएगा। इससे पहले राज्यसभा में 12 बजे पुराने बिल को वापस लिया जाएगा और फिर लोकसभा में नया संशोधन बिल पेश किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण बदलाव की पृष्ठभूमि और संभावित प्रभावों पर एक नजर डालते हैं।
वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू नया बिल पेश करेंगे। इस बिल के जरिए सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती कर सकती है, हालांकि सरकार का दावा है कि इस संशोधन से पारदर्शिता में सुधार होगा। सच्चर कमेटी ने भी वक्फ बोर्ड में ट्रांसपेरेंसी की आवश्यकता पर जोर दिया था।
संपत्ति की जांच के दायरे में
बिल को लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार वक्फ की जमीन को छीनना चाहती है। वर्तमान में, वक्फ बोर्ड की संपत्ति की जांच का अधिकार किसी के पास नहीं है। नए बिल के अनुसार, सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्ति को जांच के दायरे में ला सकती है। इसके साथ ही, सभी वक्फ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है, जहां प्रत्येक बोर्ड और काउंसिल में 2-2 महिला सदस्य हो सकती हैं।
अनिवार्य रजिस्ट्रेशन
नए बिल के तहत, जिलाधिकारियों के पास रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया जा सकता है। संपत्ति मूल्यांकन के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। वर्तमान में देश में 30 वक्फ बोर्ड की 8 लाख एकड़ से ज्यादा की संपत्ति है, जो रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा है।
विरोध और समर्थन
बोर्ड में संभावित बदलाव को लेकर AIMPLB ने कहा है कि बोर्ड में किसी भी प्रकार का बदलाव किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नए बिल में लगभग 40 संशोधनों के साथ इसे पेश किया जा सकता है। 1995 में नरसिम्हा सरकार ने वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दिए थे, जिन्हें अब सीमित करने की योजना है।
राजनीतिक हलचल
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, समाजवादी पार्टी वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करेगी। इसके साथ ही, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस बिल को लेकर आज सुबह 10 बजे सांसदों के साथ बैठक बुलाई है।
संभावित हंगामा
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर संसद में हंगामे के आसार हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों की प्रतिक्रियाओं को देखते हुए, इस बिल पर गर्मागरम बहस हो सकती है। समाजवादी पार्टी और AIMIM जैसी पार्टियों के विरोध से सरकार के लिए इस बिल को पारित कराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर हो रही यह हलचल भारतीय राजनीति और समाज में महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच क्या स्थिति बनती है और यह किस दिशा में आगे बढ़ता है।