राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ने के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू कर दिया है। इस योजना के तहत अधिकारियों को ऐसे कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके। इसके अलावा, डीजल जनरेटर पर भी रोक लगाने का आदेश दिया गया है।
सर्दियों में बढ़ता है प्रदूषण
जैसे-जैसे सर्दियों का मौसम नजदीक आता है, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण स्तर में वृद्धि होने लगती है और वायु गुणवत्ता में गिरावट आती है। यह एक ऐसा समय होता है जब धुंध और ठंड के कारण वायु में धातु, धुएं और अन्य प्रदूषकों का स्तर तेजी से बढ़ जाता है। सोमवार को दिल्ली का दिनभर का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 के आसपास रहा। शाम को 4 बजे यह एक्यूआई 310 तक पहुंच गया, जो कि बेहद चिंताजनक है।
AQI का भविष्यवाणी
मौसम विभाग का अनुमान है कि AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) अभी 300 से 400 के बीच रहेगा, जो कि 'बहुत खराब' की श्रेणी में आता है। उल्लेखनीय है कि GRAP का पहला चरण 14 अक्टूबर को लागू किया गया था। इस दौरान, अधिकारियों को विभिन्न उपायों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया है ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके।
AQI से कैसे मापी जाती है वायु गुणवत्ता
वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) एक संख्या होती है, जिसके जरिए हवा की गुणवत्ता का आकलन किया जाता है। इससे वायु में मौजूद प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है। AQI की रीडिंग के आधार पर, हवा की गुणवत्ता को छह श्रेणियों में बांटा गया है:
- 0 से 50: अच्छा
- 51 से 100: संतोषजनक
- 101 से 200: मध्यम
- 201 से 300: खराब
- 301 से 400: बहुत खराब
- 401 से 500: गंभीर
प्रदूषण की इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य लोगों को जानकारी प्रदान करना है ताकि वे स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक कदम उठा सकें। जैसे ही AQI की रीडिंग 'खराब' या उससे ऊपर जाती है, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे बाहर निकलने से बचें और यदि आवश्यक हो, तो मास्क पहनें।
GRAP के चार चरण
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के आधार पर "ग्रेप" को चार चरणों में विभाजित किया गया है:
- पहला चरण: AQI 201 से 300 (खराब) होने पर लागू होता है।
- दूसरा चरण: AQI 301 से 400 (बहुत खराब) होने पर लागू होता है।
- तीसरा चरण: AQI 401 से 450 (गंभीर) होने पर लागू होता है।
- चौथा चरण: AQI 450 से अधिक (गंभीर से ज्यादा) होने पर लागू होता है।
प्रदूषण को रोकने के उपाय
CAQM ने अधिकारियों को सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। इसके अंतर्गत निम्नलिखित उपाय शामिल हैं:
डीजल जनरेटर पर रोक: डीजल जनरेटर का उपयोग प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है। ऐसे जनरेटरों के उपयोग पर रोक लगाने से वायु में धुएं की मात्रा को कम किया जा सकेगा।
सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: अधिकारियों को सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे निजी वाहनों की संख्या कम होगी और वायु प्रदूषण में कमी आएगी।
निर्माण कार्यों पर नियंत्रण: निर्माण कार्यों से होने वाले धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। इससे संबंधित नियमों का पालन करवाना अत्यंत आवश्यक है।
ग्रीन बेल्ट का विकास: दिल्ली और एनसीआर में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए ग्रीन बेल्ट विकसित करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। इससे वायु में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ेगा और प्रदूषण में कमी आएगी।
जन जागरूकता अभियान: लोगों को प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएंगे। जागरूकता बढ़ाने से लोग अपनी आदतें बदल सकते हैं और अधिक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुन सकते हैं।
नागरिकों की जागरूकता जरूरी
दिल्ली के नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्हें प्रदूषण के कारणों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि वे वाहन के इस्तेमाल को कम करें। इसके साथ ही, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए और धूम्रपान जैसी आदतों से बचना चाहिए।
प्रदूषण से स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे:
सांस संबंधी बीमारियाँ: अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन रोगों का खतरा बढ़ता है।
दिल की बीमारियाँ: लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से हृदय संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं।
शिशुओं पर प्रभाव: बच्चों में शारीरिक विकास में रुकावट और विभिन्न बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य: शोध बताते हैं कि वायु प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को पूरी तरह से समाप्त करना आसान नहीं होगा। इसमें कई कारक शामिल हैं, जैसे औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण कार्य, और वाहनों की संख्या।
दीर्घकालिक समाधान
इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है। कुछ प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं:
नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए। इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा: इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे वाहन प्रदूषण में कमी आएगी और हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
उद्योगों के लिए सख्त मानदंड: उद्योगों के लिए सख्त प्रदूषण नियंत्रण मानदंड लागू करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, उन्हें हरित तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
शहरी योजना में सुधार: शहरों की योजना बनाते समय प्रदूषण नियंत्रण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पार्क, ग्रीन बेल्ट, और सार्वजनिक स्थानों की योजना इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है।
सरकार की भूमिका: सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी नीतियों और कानूनों को लागू करने की आवश्यकता है। इससे प्रदूषण के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई लड़ी जा सकेगी।
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चुनौती है। CAQM के द्वारा GRAP का दूसरा चरण लागू करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी नागरिकों को एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
हमें मिलकर एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण के लिए काम करना होगा। जब तक हम सभी इस दिशा में सक्रिय नहीं होंगे, तब तक वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा। इसलिए, यह जरूरी है कि हम अपनी आदतों को बदलें और स्वस्थ रहने के लिए एकजुट हों।