भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का हालिया श्रीलंका दौरा भारत और श्रीलंका के रिश्तों में एक नया मोड़ लेकर आया है। चीन हमेशा से अपने पड़ोसी देशों का उपयोग भारत को घेरने के लिए करता रहा है, लेकिन इस बार श्रीलंका ने साफ संदेश दिया है कि उसकी धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होगा।
चीन पर श्रीलंका का सख्त रुख
श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के दौरान चीन को सीधे तौर पर संदेश दिया कि श्रीलंका की जमीन का गलत इस्तेमाल नहीं होने देंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि श्रीलंका और भारत के सुरक्षा हित एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि श्रीलंका अपनी धरती का उपयोग किसी भी प्रकार की भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा।
आर्थिक सहयोग में भारत की बड़ी भूमिका
भारत ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में अपने समर्थन का वादा किया है। जयशंकर की इस यात्रा के दौरान श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत के समर्थन को अपने देश के पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भारत का आर्थिक सहयोग श्रीलंका के समृद्ध भविष्य के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।
द्विपक्षीय समझौतों में तेजी
जयशंकर और दिसानायके के बीच द्विपक्षीय ऋण पुनर्गठन को लेकर भी बातचीत हुई। भारत ने श्रीलंका के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने की बात कही, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूती मिलेगी।
ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर बल
विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंका के साथ ऊर्जा उत्पादन, ईंधन आपूर्ति और एलएनजी सप्लाई जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन क्षेत्रों में सहयोग से श्रीलंका की आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों का यह सहयोग हिंद महासागर क्षेत्र में भी खासा महत्व रखता है।
भारतीय परियोजनाओं पर चर्चा
जयशंकर की इस यात्रा के दौरान श्रीलंका में चल रही भारतीय परियोजनाओं पर भी विस्तार से चर्चा हुई। दिसानायके ने विपक्ष में रहते हुए जिन चिंताओं को उठाया था, उन पर भी विचार-विमर्श किया गया। यह यात्रा भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति और सागर दृष्टिकोण को मजबूत करने का उदाहरण है, जो दोनों देशों के बीच पुराने और मजबूत संबंधों को और गहरा करता है।
पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से मुलाकात
विदेश मंत्री ने श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से भी मुलाकात की। जयशंकर ने उन्हें द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। विक्रमसिंघे, जो हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे, ने भी भारत-श्रीलंका संबंधों को आगे बढ़ाने की इच्छा जताई। जयशंकर ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा कि श्रीलंका के आर्थिक पुनरुत्थान में भारत की अहम भूमिका होगी।
विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा से भी चर्चा
विदेश मंत्री ने श्रीलंका के मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा से भी मुलाकात की। प्रेमदासा ने जयशंकर की यात्रा को दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विकास और आपसी हितों को बढ़ावा देने में यह दौरा अहम साबित होगा।
भारत-श्रीलंका संबंधों में नई शुरुआत
जयशंकर के इस दौरे ने यह साफ कर दिया है कि भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों में नई ऊर्जा आई है। दोनों देश न केवल आर्थिक और सुरक्षा के क्षेत्रों में बल्कि ऊर्जा के क्षेत्र में भी सहयोग को और मजबूत करेंगे। चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की दिशा में भी यह दौरा एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
भारत की आर्थिक मदद और श्रीलंका की स्थिरता को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों से यह साफ है कि आने वाले समय में दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत होंगे। इस दौरे से भारत और श्रीलंका के बीच एक नए युग की शुरुआत हुई है, जो दोनों देशों के हित में है।