लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। शहर के प्रमुख क्षेत्रों में से लालबाग और हजरतगंज प्रदूषण के लिहाज से रेड जोन में आ चुके हैं। पूरे शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 243 तक पहुंच गया है, जिससे इसे ऑरेंज जोन में रखा गया है। इस बढ़ते प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास बेअसर
शहर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन इनमें कोई खास सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। सुबह से लेकर शाम तक आसमान में हल्की धुंध छाई रहती है, जिससे दृश्यता प्रभावित हो रही है। हवा में धुआं और धूल के कणों की मात्रा बढ़ गई है, जो सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकते हैं।
छह जोन में बंटा लखनऊ
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने लखनऊ को छह जोन में बांटा है, जिनमें प्रदूषण का स्तर अलग-अलग है:
- तालकटोरा: यहां AQI 282 तक पहुंच चुका है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है।
- लालबाग: इस क्षेत्र में AQI 323 है, जो शहर के सबसे प्रदूषित इलाकों में से एक है।
- इंदिरा नगर: AQI 178, जो प्रदूषण के 'मध्यम' श्रेणी में आता है।
- अलीगंज: यहां AQI 290 है, जो 'खराब' श्रेणी में आता है।
- गोमती नगर: इस क्षेत्र में AQI 196 तक है, जो 'मध्यम' श्रेणी में है।
- आशियाना: AQI 199 है, जो भी 'मध्यम' श्रेणी में आता है।
स्वास्थ्य पर पड़ता प्रभाव
लखनऊ में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने का खतरा है। विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण से सांस की समस्याएं, अस्थमा, दिल की बीमारियां और आंखों में जलन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय
प्रदूषण को काबू में लाने के लिए कई कदम उठाने की आवश्यकता है:
- वाहनों की संख्या कम करें: लखनऊ में गाड़ियों की बढ़ती संख्या प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके लिए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- निर्माण कार्यों पर रोक: निर्माण कार्यों के दौरान उड़ने वाली धूल और कण वायु प्रदूषण को बढ़ाते हैं। इसके लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए।
- स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: औद्योगिक क्षेत्रों में कोयले और अन्य प्रदूषणकारी ईंधनों के बजाय स्वच्छ ऊर्जा के साधनों का उपयोग किया जाना चाहिए।
- ग्रीन जोन का विस्तार: पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाकर और ग्रीन जोन का विस्तार करके वायु की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
जनता का सहयोग भी जरूरी
सरकार के प्रयासों के साथ-साथ जनता का सहयोग भी आवश्यक है। लोगों को प्रदूषण कम करने के लिए अपने वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए और घरों में कचरा जलाने से बचना चाहिए। इसके अलावा, मास्क पहनने और घरों के अंदर रहने की सलाह दी जा रही है, खासकर तब जब वायु की गुणवत्ता बहुत खराब हो।
प्रशासन की सख्ती की जरूरत
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, प्रशासन को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। नियमों का सख्ती से पालन करवाना और प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना लगाना जरूरी है। विशेष रूप से निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए, ताकि धूल का स्तर कम हो सके।
नजदीकी भविष्य का अनुमान
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, क्योंकि तापमान में गिरावट और हवा की गति में कमी होने से प्रदूषित कण वातावरण में अधिक समय तक बने रहते हैं। इसलिए, समय रहते जरूरी कदम उठाना बेहद जरूरी है ताकि वायु प्रदूषण को काबू में किया जा सके और लोगों को राहत मिल सके।
लखनऊ में बढ़ता वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। अगर समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो यह शहरवासियों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। सरकार, प्रशासन और जनता, सभी को मिलकर इस चुनौती से निपटने की जरूरत है।