भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट का सामना
भारतीय शेयर बाजार में आज की शुरुआत काफी निराशाजनक रही, जिसमें सेंसेक्स में 930 अंकों और निफ्टी में 303 अंकों की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट के कारण निवेशकों को 9 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान झेलना पड़ा। कई स्टॉक्स में 5% तक की गिरावट देखी गई, जिससे बाजार में हाहाकार मच गया। हालांकि, ICICI बैंक, नेस्ले इंडिया और इन्फोसिस के शेयरों में मामूली तेजी देखने को मिली, लेकिन बाकी 27 कंपनियों के शेयर लाल निशान में बंद हुए।
इस गिरावट ने छोटे और मझोले कंपनियों को भी प्रभावित किया। स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स में भी 4% तक की गिरावट दर्ज की गई, जिससे छोटे निवेशक भी चिंतित नजर आए। इस आर्थिक सुनामी के कारणों की बात करें, तो कई कारक इसमें शामिल हैं, जिनमें विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक बाजारों से कमजोर संकेत, और भारतीय बाजार का ऊंचा मूल्यांकन प्रमुख हैं।
कमजोर तिमाही नतीजों का असर
भारतीय शेयर बाजार में आज की गिरावट का एक बड़ा कारण कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे हैं। बजाज ऑटो, कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीएल बैंक जैसी प्रमुख कंपनियों ने उम्मीदों से कमतर प्रदर्शन किया है, जिसके चलते उनके शेयरों में भारी गिरावट देखी गई। इन कंपनियों के नतीजे बाजार के अनुमान के अनुरूप नहीं रहे, जिसके कारण निवेशकों में निराशा फैली और बिकवाली का दबाव बढ़ गया।
इसके साथ ही, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजों से भी निवेशक खुश नहीं दिखे। रिलायंस जैसे दिग्गज के कमजोर नतीजे पूरे बाजार में नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जिससे अन्य कंपनियों के शेयरों पर भी असर पड़ा।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में दबाव
भारतीय शेयर बाजार में आज की गिरावट का दूसरा प्रमुख कारण विदेशी निवेशकों (FPI) द्वारा की गई भारी बिकवाली है। अक्टूबर महीने में अब तक FPI ने भारतीय शेयर बाजार से 82,479 करोड़ रुपये की निकासी की है, जो कि एक रिकॉर्ड है। इससे पहले मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान FPI ने 65,816 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय शेयर बेचे थे।
विदेशी निवेशकों की इस बिकवाली ने बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ा दिया है, हालांकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) द्वारा की गई खरीदारी ने कुछ हद तक इस नुकसान की भरपाई की है। लेकिन फिलहाल यह खरीदारी नाकाफी साबित हो रही है और बाजार में स्थिरता नहीं आ पा रही है।
भारतीय बाजार का ऊंचा मूल्यांकन
भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में काफी अधिक हो चुका है, जिससे विदेशी निवेशक अब अन्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। चीन और हांगकांग जैसे बाजारों में अपेक्षाकृत सस्ते मूल्यांकन के चलते विदेशी निवेशकों की रुचि बढ़ गई है। चीन की सरकार द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा और वहां के केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद चीन का शेयर बाजार निवेश के लिए और भी आकर्षक बन गया है।
इसके विपरीत, भारतीय बाजारों में ऊंचे मूल्यांकन और कमजोर तिमाही नतीजों के चलते विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों से दूरी बना रहे हैं। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ा है और यहां निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है।
वैश्विक बाजारों से कमजोर संकेत
आज की गिरावट के पीछे एक अन्य कारण वैश्विक बाजारों से मिले कमजोर संकेत हैं। अमेरिकी बाजार में सोमवार को सिर्फ एक सूचकांक हरे निशान में बंद हुआ था, जबकि बाकी बाजारों में गिरावट दर्ज की गई। वहीं, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई बाजारों में भी 1% से अधिक की गिरावट देखी गई, जिससे भारतीय शेयर बाजार का सेंटिमेंट भी प्रभावित हुआ।
हालांकि, चीन और हांगकांग के बाजार हरे निशान में बंद हुए, लेकिन भारतीय बाजार में निवेशकों की धारणा कमजोर रही। वैश्विक बाजारों के संकेतों के आधार पर निवेशक सतर्क हो गए हैं और बिकवाली का माहौल बना हुआ है।
बाजार में गिरावट का असर
आज की गिरावट ने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। बाजार में आई इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में करीब 9 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह गिरावट न सिर्फ बड़े निवेशकों बल्कि छोटे और मझोले निवेशकों के लिए भी चिंता का कारण बन गई है। स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स में 4% तक की गिरावट ने छोटे निवेशकों को भी मुश्किल में डाल दिया है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसी ही स्थिति रही, तो आने वाले दिनों में निवेशकों को और भी अधिक नुकसान हो सकता है। इसलिए निवेशकों को सतर्क रहने और सही निवेश रणनीति अपनाने की सलाह दी जा रही है।
आगे की संभावनाएं
बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में भी बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) की ओर से की जा रही खरीदारी से बाजार को थोड़ी स्थिरता मिल सकती है, लेकिन इसके लिए कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजे भी जरूरी होंगे।
इसके अलावा, वैश्विक बाजारों के संकेत भी भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करेंगे। यदि अमेरिकी और एशियाई बाजारों में सुधार होता है, तो भारतीय बाजार भी कुछ राहत की उम्मीद कर सकता है।
निवेशकों के लिए सलाह
वर्तमान बाजार की स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। बाजार में गिरावट का दौर लंबे समय तक नहीं चलता, और निवेशकों को धैर्य के साथ सही समय का इंतजार करना चाहिए।
इसके साथ ही, जिन कंपनियों के नतीजे अच्छे हैं और जिनके फंडामेंटल मजबूत हैं, उनमें निवेश करना एक सही रणनीति हो सकती है। लार्जकैप कंपनियों में निवेश करना अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि ये कंपनियां बाजार में अस्थिरता के बावजूद स्थिर रहती हैं।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बाजार में गिरावट के बाद सुधार की संभावना होती है, और यह समय नए निवेशकों के लिए भी अवसर बन सकता है। हालांकि, इसके लिए बाजार की सही जानकारी और सही समय पर निवेश करना जरूरी है।
भारतीय शेयर बाजार में आज की गिरावट कई कारणों से आई है, जिनमें विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कमजोर तिमाही नतीजे और वैश्विक बाजारों के कमजोर संकेत शामिल हैं। निवेशकों को धैर्य रखने और सही निवेश रणनीति अपनाने की सलाह दी जा रही है, ताकि वे बाजार में होने वाले नुकसान से बच सकें।