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समस्तीपुर (बिहार) का वो घर जहां से शारदा सिन्हा ने रचा लोकसंगीत का इतिहास?

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समस्तीपुर (बिहार) का वो घर जहां से शारदा सिन्हा ने रचा लोकसंगीत का इतिहास?

शारदा सिन्हा, जिन्हें भारतीय लोक संगीत की रानी माना जाता है, अपने जीवन की सरलता और विनम्रता के कारण हमेशा समाज के दिलों में बसी रही हैं। पद्मश्री, पद्मभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़े जाने के बाद भी उन्होंने कभी अपनी प्रसिद्धि का घमंड नहीं किया। उनकी आवाज़ ने न केवल बिहार और भारत में बल्कि दुनियाभर में भोजपुरी, मैथिली और मगही लोकगीतों को एक नई पहचान दी है। उनके जीवन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि उन्होंने अपनी जड़ों से कभी नाता नहीं तोड़ा। 

समस्तीपुर में बसी हैं उनकी जड़ें 

शारदा सिन्हा का जन्म चाहे मुजफ्फरपुर में हुआ हो और ससुराल भले ही पटना में हो, लेकिन उनके दिल की बस्तियां हमेशा समस्तीपुर में ही रही हैं। समस्तीपुर के काशीपुर मोहल्ले में स्थित उनका घर आज भी उनकी सादगी और संस्कारों का प्रतीक है। यहां वह अपने परिवार के साथ एक साधारण जीवन जीती हैं। उनकी इस सादगी ने उन्हें औरों से अलग बनाकर उनके व्यक्तित्व को और भी अधिक महान बना दिया है। 

हर आयोजन में होती थीं शामिल 

समस्तीपुर के लोग, चाहे वे किसी भी वर्ग से हों, उन्हें अपने आयोजनों में शामिल करने के लिए हमेशा उत्सुक रहते थे। खासकर महिलाएं उनके प्रति बहुत सम्मान रखती थीं। शारदा सिन्हा हमेशा इन आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर लोगों के साथ एक भावनात्मक संबंध बना लेती थीं। वह कभी भी अपने चाहने वालों से दूरी नहीं बनाती थीं। उनके लिए हर कार्यक्रम, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, एक महत्वपूर्ण अवसर होता था, जहां वे सभी के साथ मिलकर आनंद लेती थीं। उनकी यही खासियत थी कि वे हर स्तर के लोगों के साथ घुल-मिल जाती थीं और उनकी परेशानियों में भी शरीक होती थीं। 

विनम्रता की मिसाल 

शारदा सिन्हा के करीबी पड़ोसी डॉ. बी.के. मिश्रा, जो उनके घर के ठीक सामने रहते हैं, ने उनकी सादगी की तारीफ करते हुए कहा कि वह हमेशा मिलनसार और सौम्य स्वभाव की रही हैं। उन्होंने कभी अपनी प्रसिद्धि को लेकर घमंड नहीं किया। डॉ. मिश्रा के अनुसार, चाहे वह किसी छोटे से धार्मिक आयोजन में बुलाई जातीं या किसी बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में, उन्होंने कभी भी किसी का निमंत्रण ठुकराया नहीं। उनका कहना है कि इतने बड़े कलाकार होने के बावजूद वे हमेशा अपने पड़ोसियों से घुल-मिल कर रहती थीं, जैसे वे उनके परिवार का हिस्सा हों। 

बेटे ने निभाई ज़िम्मेदारी 

जब शारदा सिन्हा समस्तीपुर से बाहर जाती थीं, तो उनका बेटा उनकी जगह स्थानीय आयोजनों में हिस्सा लेता था, ताकि उनके रिश्ते और जुड़ाव हमेशा बरकरार रहें। उनके बेटे ने भी उनकी इस परंपरा को बनाए रखा है, जो उनकी पारिवारिक मूल्यों और सादगी को दर्शाता है। 

साधारण जीवन और महान व्यक्तित्व 

शारदा सिन्हा का जीवन बेहद साधारण था। बड़े कलाकार होने के बावजूद उन्होंने कभी भी भव्यता की चाह नहीं की। उनके घर में एक साधारण जीवन शैली का पालन होता था। उनके करीबी पड़ोसियों का कहना है कि वह न केवल एक महान गायिका थीं, बल्कि एक सशक्त महिला और समाज के प्रति समर्पित व्यक्तित्व थीं। उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू में सादगी को बनाए रखा, चाहे वह उनका पहनावा हो, रहन-सहन हो या फिर उनके बोल-चाल का तरीका। उनकी यही सादगी उनके प्रशंसकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गई है। 

समाज के प्रति समर्पण 

समस्तीपुर के लोगों के लिए शारदा सिन्हा केवल एक गायिका नहीं थीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत भी थीं। उन्होंने हमेशा समाज के हर वर्ग के लोगों से घुल-मिल कर रहना पसंद किया और अपने प्रशंसकों के साथ हर छोटी-बड़ी खुशी बांटी। चाहे वह किसी के घर की शादी हो या गांव के मंदिर का उत्सव, वह हर जगह अपनी उपस्थिति से माहौल को खुशगवार बना देती थीं। उनकी आवाज़ में एक जादू था, जो सीधे दिल तक पहुंचता था। 

महिला सशक्तिकरण की मिसाल 

समस्तीपुर की महिलाओं ने हमेशा शारदा सिन्हा को एक प्रेरणा के रूप में देखा। उन्होंने कभी भी अपने प्रशंसकों के बीच दूरी नहीं बनाई, बल्कि उनके साथ समय बिताया, उनकी समस्याओं को सुना और उन्हें जीवन जीने की प्रेरणा दी। उनके जीवन ने यह संदेश दिया कि चाहे आप कितने भी ऊंचे मुकाम पर क्यों न पहुंच जाएं, अपने जड़ों से जुड़े रहना ही सच्ची सफलता है। 

कला और शिक्षा का संगम 

गायिकी के अलावा शारदा सिन्हा एक शिक्षिका भी रही हैं। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा और संगीत दोनों को समान महत्व दिया। उनके विद्यार्थी आज भी उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाते हैं और उन्हें एक आदर्श के रूप में देखते हैं। उन्होंने हमेशा अपने विद्यार्थियों को यह सिखाया कि जीवन में सादगी और ईमानदारी से जीना ही असली सफलता है। 

समस्तीपुर की विरासत 

समस्तीपुर के काशीपुर मोहल्ले में उनका घर आज भी एक जीवंत विरासत की तरह खड़ा है, जहां उन्होंने अपनी गायकी, सादगी और इंसानियत की विरासत छोड़ी है। उनके घर के पास रहने वाले लोग आज भी गर्व से कहते हैं कि उनके बीच एक महान आत्मा ने जीवन बिताया। उनके पड़ोसी आज भी उनकी यादों को संजोए हुए हैं और उनकी शिक्षाओं को अपनी ज़िंदगी में उतार रहे हैं। 

शारदा सिन्हा: एक आदर्श व्यक्तित्व 

शारदा सिन्हा का जीवन एक आदर्श है जो यह सिखाता है कि आप चाहे कितने भी बड़े कलाकार या व्यक्ति क्यों न बन जाएं, अपनी जड़ों से जुड़े रहना, सादगी से जीवन जीना और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना ही सच्ची सफलता है। उनकी सरलता और इंसानियत ने उन्हें न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में एक मिसाल के रूप में स्थापित कर दिया है। उनकी सादगी भरी जिंदगी आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है, जो हर उम्र और हर वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।  इस प्रकार, शारदा सिन्हा का जीवन एक ऐसी कहानी है जो यह दर्शाती है कि कैसे एक साधारण महिला अपने संगीत और इंसानियत के माध्यम से लोगों के दिलों में बस सकती है। उनकी सादगी और विनम्रता ने उन्हें केवल एक महान गायिका नहीं, बल्कि एक महान इंसान भी बना दिया है। यह जनकारी मोकामा (पटना) से गोविंद सिंह ने दी हैं।

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