डाबर ग्रुप अपने व्यापार को और विस्तार देने के लिए कोका-कोला में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी कर रहा है। डाबर के बर्मन परिवार और जुबिलेंट समूह के प्रमोटर्स भरतिया, हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज (HCCB) में 40% हिस्सेदारी खरीदने के लिए इच्छुक हैं। इस हिस्सेदारी की कीमत 10,800-12,000 करोड़ रुपए (1.3-1.4 बिलियन डॉलर) के बीच आंकी जा रही है। अगर यह सौदा हो जाता है, तो HCCB का कुल मूल्य 27,000-30,000 करोड़ रुपए (3.21-3.61 बिलियन डॉलर) तक पहुंच सकता है।
सौदे की प्रक्रिया:
इस सौदे के संबंध में पिछले हफ्ते दोनों पक्षों के बीच बोलियां लगाई गई थीं। अब कोका-कोला कंपनी यह निर्णय करेगी कि इस सौदे में कितने सह-निवेशक शामिल होंगे, या एक निवेशक संघ का गठन किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक इस डील पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
भारतीय व्यापारिक घरानों से संपर्क:
18 जून को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, कोका-कोला ने HCCB में निवेश के लिए कुछ भारतीय व्यापारिक घरानों और अरबपति प्रमोटरों के पारिवारिक कार्यालयों से संपर्क किया है। कोका-कोला की योजना है कि इस शाखा को भविष्य में घरेलू पूंजी बाजार में लाकर लाभ उठाया जाए। जिन व्यापारिक घरानों से संपर्क किया गया, उनमें पिडिलाइट इंडस्ट्रीज का पारेख परिवार, एशियन पेंट्स के प्रमोटर परिवार, बर्मन और भरतिया शामिल थे। लेकिन सिर्फ बर्मन और भरतिया ही इस हिस्सेदारी को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं।
इच्छुक पक्ष:
सूत्रों के मुताबिक, कुमार मंगलम बिड़ला, सुनील भारती मित्तल और टेक अरबपति शिव नाडर के पारिवारिक कार्यालयों से भी संपर्क किया गया था। हालांकि, केवल बर्मन और भरतिया समूह ने ही इस सौदे में गंभीरता दिखाई है। ये परिवार इस सौदे में अपनी प्रमुख कंपनियां – डाबर इंडिया और जुबिलेंट फूडवर्क्स (JFL) को भी शामिल करने के लिए तैयार हैं।
व्यापार विस्तार:
जुबिलेंट फूडवर्क्स (JFL) भारत की सबसे बड़ी खाद्य सेवा कंपनी है। यह भारत में डोमिनोज पिज्जा, डंकिन डोनट्स और पोपेयस की फ्रेंचाइजी का मालिक है। इसके अलावा, कंपनी एशिया के पांच अन्य बाजारों में भी डोमिनोज की फ्रेंचाइजी का संचालन करती है और तुर्की में कॉफी के प्रमुख खुदरा विक्रेता कॉफ़ी का अधिग्रहण कर चुकी है। वहीं, डाबर के पास खाद्य और पेय पदार्थों के साथ-साथ स्वास्थ्य-केंद्रित उत्पादों का एक विस्तृत पोर्टफोलियो है।
विशेषज्ञों की राय:
एक अधिकारी के अनुसार, कोका-कोला भारत में पैकेज्ड पेय पदार्थों के बाजार को और भी बड़ा करना चाहता है। कुछ लोगों का मानना है कि HCCB में अतिरिक्त हिस्सेदारी की पेशकश होनी चाहिए। उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए कोका-कोला के प्रबंधन से संपर्क भी किया है। हालांकि, कोका-कोला इस सौदे को पूरा करने के लिए प्रमुख व्यावसायिक भागीदारों की तलाश में है।
प्रतिक्रिया:
कोका-कोला के प्रवक्ताओं ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। जुबिलेंट फैमिली ऑफिस के प्रवक्ता और बर्मन परिवार ने भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है।
इस सौदे पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारतीय व्यापार जगत में एक बड़ा बदलाव ला सकता है, खासकर FMCG और खाद्य उद्योग में।