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मुंबई ने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में 27 साल बाद जीता ईरानी कप

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मुंबई ने अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में 27 साल बाद जीता ईरानी कप

अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में मुंबई की क्रिकेट टीम ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। 27 साल के लंबे अंतराल के बाद, मुंबई ने ईरानी कप का खिताब जीतकर अपनी बादशाहत साबित की है। यह जीत उनके लिए बेहद खास है, क्योंकि रेस्ट ऑफ इंडिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने यह ट्रॉफी हासिल की है।

मैच का अंत ड्रॉ पर हुआ, लेकिन ईरानी कप के नियमों के अनुसार, जिस टीम को पहली पारी में बढ़त मिलती है, उसे विजेता घोषित किया जाता है। इस नियम के आधार पर मुंबई ने खिताब पर कब्जा किया, जिससे टीम के हर खिलाड़ी का मनोबल और भी ऊंचा हो गया है। आइए, जानते हैं कि इस मैच में क्या-क्या खास रहा और कैसे मुंबई की टीम ने यह प्रतिष्ठित खिताब जीता।

मुंबई की पहली पारी: सरफराज खान की दमदार पारी

मुंबई ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया और टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 537 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। इस पारी में मुंबई के स्टार खिलाड़ी सरफराज खान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नाबाद 222 रन बनाए। सरफराज की इस पारी ने न केवल टीम को मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा किया, बल्कि मैच के अंत में जीत की राह भी आसान की। सरफराज ने अपनी इस पारी में 286 गेंदों का सामना किया और 25 चौके तथा 4 छक्के लगाए।

सरफराज की इस पारी के साथ ही मुंबई की टीम ने एक मजबूत आधार तैयार कर लिया था। उनके साथ कई अन्य बल्लेबाजों ने भी अच्छा सहयोग किया, लेकिन इस पारी की चमकदार सितारा सरफराज ही रहे। मुंबई की यह पहली पारी ही थी जिसने रेस्ट ऑफ इंडिया के खिलाफ उन्हें जीत की ओर अग्रसर किया।

रेस्ट ऑफ इंडिया की पहली पारी: अभिमन्यू ईश्वरन की शानदार बल्लेबाजी

रेस्ट ऑफ इंडिया ने भी मुंबई के बड़े स्कोर का कड़ा मुकाबला किया। टीम के ओपनर अभिमन्यू ईश्वरन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 191 रनों की पारी खेली। उन्होंने अपनी इस पारी में 292 गेंदों का सामना किया और 16 चौके तथा 1 छक्का जड़ा। ईश्वरन ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए अपनी टीम को मजबूती दी। उनकी यह पारी रेस्ट ऑफ इंडिया के लिए मैच में वापसी की उम्मीद लेकर आई थी।

ईश्वरन को ध्रुव जुरैल का अच्छा सहयोग मिला। जुरैल ने 93 रन बनाए और दोनों के बीच 165 रनों की महत्वपूर्ण साझेदारी हुई। हालांकि, यह साझेदारी टीम को बढ़त दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं साबित हुई और पूरी टीम 416 रनों पर सिमट गई।

मुंबई की दूसरी पारी: तनुष कोटियान की शानदार शतक

मुंबई ने अपनी दूसरी पारी में भी मजबूत प्रदर्शन किया और 329/8 के स्कोर पर अपनी पारी घोषित कर दी। इस पारी में तनुष कोटियान ने बेहतरीन शतकीय पारी खेली। तनुष ने 114* रन बनाए और 150 गेंदों का सामना किया, जिसमें उन्होंने 10 चौके और 1 छक्का लगाया। उनकी इस पारी ने सुनिश्चित किया कि मुंबई की टीम मैच में बढ़त बनाए रखे।

तनुष के साथ मोहित अवस्थी ने भी अच्छा योगदान दिया। मोहित ने 51* रनों की नाबाद पारी खेली और दोनों ने मिलकर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। इस पारी के चलते मुंबई ने रेस्ट ऑफ इंडिया के खिलाफ अपनी पकड़ और मजबूत कर ली।

मैच का निर्णायक दिन: मुंबई की दमदार वापसी

चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक रेस्ट ऑफ इंडिया के पास जीत की पूरी उम्मीद थी। मुंबई का स्कोर तब 153/6 था और ऐसा लग रहा था कि रेस्ट ऑफ इंडिया की टीम इस मुकाबले को जीत सकती है। लेकिन पांचवें दिन, तनुष कोटियान ने शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन करते हुए मैच का रुख बदल दिया। उन्होंने न केवल अपनी टीम को संभाला, बल्कि मैच को ड्रॉ की ओर मोड़ दिया, जिससे मुंबई ने पहली पारी की बढ़त के आधार पर खिताब जीता।

अभिमन्यू ईश्वरन की भूमिका

रेस्ट ऑफ इंडिया के लिए अभिमन्यू ईश्वरन ने शानदार बल्लेबाजी की और अपनी टीम को मजबूत स्थिति में लाने की कोशिश की। ईश्वरन ने अपनी इस पारी में शानदार तकनीक का प्रदर्शन किया और अपनी टीम को जीत की ओर ले जाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन टीम की बाकी बल्लेबाजी लड़खड़ा गई।

ईश्वरन की 191 रनों की पारी भले ही उन्हें जीत नहीं दिला सकी, लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया कि वह बड़े मैचों के खिलाड़ी हैं।

मुंबई की जीत की खास बातें:

सरफराज खान का दोहरा शतक: सरफराज की नाबाद 222 रनों की पारी मैच का सबसे अहम हिस्सा रही। उन्होंने अपनी इस पारी से मुंबई को मजबूत स्थिति में पहुंचाया।

तनुष कोटियान का ऑलराउंड प्रदर्शन: पहली पारी में 64 रन और दूसरी पारी में नाबाद 114 रन बनाकर तनुष ने यह साबित कर दिया कि वह एक बेहतरीन ऑलराउंडर हैं।

मोहित अवस्थी का योगदान: दूसरी पारी में मोहित ने नाबाद 51 रन बनाए और टीम को संकट से उबारा।

अजिंक्य रहाणे की कप्तानी: अनुभवी कप्तान अजिंक्य रहाणे ने अपने अनुभव का पूरा फायदा उठाया और टीम को जीत दिलाई।

रहाणे की कप्तानी में मुंबई की ऐतिहासिक जीत

अजिंक्य रहाणे की कप्तानी हमेशा से ही शांत और सूझबूझ भरी रही है। इस बार भी उन्होंने साबित किया कि उनकी कप्तानी में टीम कभी हार मानने वाली नहीं है। रहाणे की कप्तानी में टीम ने न केवल मैच को ड्रॉ कराया, बल्कि पहली पारी की बढ़त के आधार पर खिताब भी जीता।

मुंबई की इस जीत में रहाणे का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने अपनी टीम को मुश्किल परिस्थितियों में भी संभाला और खिलाड़ियों का मनोबल ऊंचा रखा।

मुंबई की इस जीत से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि वह भारतीय घरेलू क्रिकेट की सबसे मजबूत टीमों में से एक है। सरफराज खान और तनुष कोटियान जैसे खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और टीम को जीत दिलाई।

27 साल बाद ईरानी कप जीतकर, मुंबई ने साबित कर दिया है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

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