महावीर फोगाट का दर्द
विनेश की याचिका रद्द होने के बाद, महावीर फोगाट ने अपना दर्द मीडिया के माध्यम से व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस दुखद समय में उन्हें विनेश के संघर्ष के दिन याद आ रहे हैं। महावीर फोगाट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भले ही विनेश को पेरिस ओलंपिक में मेडल नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपनी भतीजी को चैंपियन मानते हुए उनके संघर्ष की सराहना की। महावीर फोगाट ने कहा कि मेडल न मिलने का दुख तो है, लेकिन कुश्ती के क्षेत्र में विनेश ने जो उपलब्धि हासिल की है, उसे हमेशा याद रखा जाएगा।
स्वागत की तैयारी
महावीर फोगाट ने यह भी बताया कि विनेश के भारत लौटने पर 17 अगस्त को उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। उन्होंने विनेश के लड़ाई के जज्बे की भी तारीफ की और कहा कि यह भावना बचपन से ही उनके अंदर थी। महावीर फोगाट ने अपनी बेटियों गीता, बबीता, रितु और संगीता के साथ भतीजी विनेश और प्रियंका को भी रेसलिंग की ट्रेनिंग दी है।
भाई की मौत के बाद का संघर्ष
महावीर फोगाट ने खुलासा किया कि जब विनेश के माता-पिता ने उन्हें रेसलिंग के लिए उनके पास भेजा था, तब उन्होंने विनेश को अपनी बेटी की तरह मान लिया था। जैसे ही विनेश ने उनकी उंगली पकड़ी, उन्होंने उनकी मजबूती का अंदाजा लगा लिया था। इसके बाद महावीर फोगाट ने 6 साल की उम्र से ही विनेश की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।
विनेश के 9 साल की उम्र में महावीर के भाई रामपाल की मौत हो गई। इसके बाद विनेश के सिर से पिता का साया उठ गया। महावीर फोगाट ने विनेश को अपनी बेटी की तरह पालना शुरू किया। उन्होंने बताया कि बचपन से ही विनेश के अंदर एक ‘आग’ थी। वह कुश्ती के दांव को तेजी से सीख लेती थीं। गर्मी हो या बरसात, विनेश सुबह 4 बजे उठकर अखाड़े में आ जाती थीं और सबसे अंत में घर लौटती थीं।
पिता की मौत के बाद भी संघर्ष
विनेश ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए खुलासा किया कि उनके अंदर इतना जज्बा था कि पिता की मौत भी उन्हें रोक नहीं सकी। अपने पिता की मौत के 9 दिनों के भीतर ही वह अखाड़े में प्रैक्टिस के लिए लौट आई थीं। 2016 में रियो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद, इंजरी के बावजूद उन्होंने दुखी होकर भी टोक्यो ओलंपिक में वापसी की। वहां खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और पेरिस ओलंपिक में जगह बनाई। उन्होंने वर्ल्ड नंबर 1 युई सुसाकी को हराया, लेकिन फाइनल में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का सामना किया।
महावीर फोगाट का आक्रोश
अब कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स ने विनेश फोगाट की दलीलों को खारिज कर दिया है, जिससे देशभर में दुख की लहर है। महावीर फोगाट ने इस फैसले पर दुख व्यक्त किया है और अपनी भतीजी को चैंपियन मानते हुए उनके संघर्ष की सराहना की है।
इस प्रकार, महावीर फोगाट की कहानी एक गुरु की प्रेरणा और उनकी भतीजी के संघर्ष की कहानी को उजागर करती है। विनेश के संघर्ष और मेहनत के बावजूद उनके मेडल न जीतने के फैसले ने उनके परिवार और समर्थकों को गहरे दर्द में डाल दिया है।