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Paris Paralympics 2024: हरविंदर सिंह का स्वर्ण पदक और सचिन सरजेराव का रजत, भारत ने अब तक जीते 22 पदक"

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Paris Paralympics 2024: हरविंदर सिंह का स्वर्ण पदक और सचिन सरजेराव का रजत, भारत ने अब तक जीते 22 पदक

पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारत का प्रदर्शन लगातार बेहतरीन रहा है, जिसमें भारतीय खिलाड़ियों ने अपने साहस और मेहनत से देश को गौरवान्वित किया है। इस बार तीरंदाज हरविंदर सिंह ने सोने पर निशाना साधा, जबकि शॉटपुट खिलाड़ी सचिन सरजेराव ने रजत पदक जीता। इन दोनों खिलाड़ियों के योगदान से भारत की पदक संख्या अब तक 22 हो गई है, जिसमें 4 स्वर्ण पदक शामिल हैं।

हरविंदर सिंह का स्वर्णिम सफर

33 वर्षीय तीरंदाज हरविंदर सिंह, जो पहले टोक्यो पैरालंपिक्स में कांस्य पदक विजेता रह चुके हैं, ने इस बार पेरिस में पदक का रंग बदलते हुए सोने पर निशाना साधा। उन्होंने पुरुषों की रिकर्व ओपन स्पर्धा के फाइनल में पोलैंड के लुकास सिजेक को सीधे 6-0 से हराया। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल था क्योंकि हरविंदर पैरालंपिक्स के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बन गए हैं।

हरविंदर सिंह का यह प्रदर्शन उनकी कठिन मेहनत और समर्पण का परिणाम है। उनका यह सफर भारतीय तीरंदाजी के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। उन्होंने तीरंदाजी में भारत को गर्व महसूस कराया और यह दर्शाया कि भारतीय खिलाड़ी किसी भी मंच पर जीतने का माद्दा रखते हैं।

तीरंदाजी में दूसरा पदक

पेरिस पैरालंपिक्स में यह तीरंदाजी में भारत का दूसरा पदक है। इससे पहले मिक्स्ड टीम कंपाउंड वर्ग में शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने कांस्य पदक जीता था। तीरंदाजी में भारत के लगातार अच्छे प्रदर्शन से यह संकेत मिलता है कि यह खेल अब देश में तेजी से उभर रहा है और आने वाले वर्षों में भारत के खिलाड़ी इसमें और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं।

सचिन सरजेराव का रजत पदक

महाराष्ट्र के सचिन सरजेराव ने पुरुषों की शॉटपुट (गोला फेंक) एफ-46 स्पर्धा में रजत पदक जीता। उन्होंने न केवल पदक जीता, बल्कि एक एशियाई रिकॉर्ड भी स्थापित किया। उनकी इस उपलब्धि ने भारत को एक और पदक दिलाया और सचिन का नाम पैरालंपिक्स इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया। उनका यह पदक पैरालंपिक्स में भारत के शॉटपुट में भी एक अहम कदम है।

भारतीय खिलाड़ियों की सफलता

पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में अब तक भारत की पदक संख्या 22 तक पहुंच चुकी है। भारतीय खिलाड़ियों का यह सफर प्रेरणादायक है। इन खिलाड़ियों ने न केवल पदक जीते, बल्कि दुनिया को यह भी दिखाया कि भारतीय एथलीट्स किसी से कम नहीं हैं। हरविंदर सिंह और सचिन सरजेराव की जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे देश की सफलता है।

खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत

हरविंदर और सचिन की इस कामयाबी के पीछे उनकी कई सालों की कड़ी मेहनत और समर्पण है। पैरालंपिक्स जैसे बड़े मंच पर खेलना आसान नहीं होता, लेकिन इन खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा और दृढ़ता से यह साबित कर दिया कि अगर मन में लगन हो तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।

भविष्य की उम्मीदें

भारत के खिलाड़ियों का प्रदर्शन यह साबित करता है कि देश का खेल भविष्य उज्ज्वल है। हरविंदर और सचिन की इस जीत से न केवल वे खुद प्रेरित हुए हैं, बल्कि आने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए भी यह एक उदाहरण है। आने वाले दिनों में पैरालंपिक्स में भारत की पदक संख्या और बढ़ने की पूरी उम्मीद है।

पेरिस पैरालंपिक्स में भारत का बढ़ता दबदबा भारतीय खेल जगत के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हरविंदर सिंह और सचिन सरजेराव जैसे खिलाड़ियों ने देश का मान बढ़ाया है और अब देश को उनसे और भी बड़े कारनामों की उम्मीद है।

"भारतीय खिलाड़ियों की यह सफलता देश के लिए गर्व की बात है और यह सिलसिला पैरालंपिक्स में जारी है।"

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