मलेशिया के प्रधानमंत्री सेरी अनवर बिन इब्राहिम 19 अगस्त से भारत दौरे पर आ रहे हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि सेरी अनवर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर 19 से 21 अगस्त तक भारत में रहेंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद अनवर का यह पहला भारतीय दौरा है, जो भारत और मलेशिया के बीच संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इस दौरे के दौरान भारत और मलेशिया के बीच कई अहम समझौते होने की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रधानमंत्री बनने तक का सफर
सेरी अनवर बिन इब्राहिम का मलेशिया के राजनीतिक इतिहास में एक अहम स्थान है। उन्होंने 2022 में मलेशिया के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इससे पहले वह 2008 से 2022 तक विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत रहे। अनवर ने अपनी शिक्षा मलेशिया से ही प्राप्त की और छात्र जीवन में ही राजनीति की ओर कदम बढ़ा दिए थे। उनका करियर कई विवादों से घिरा रहा है, जिसमें सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करना भी शामिल है।
विवादों से भरा राजनीतिक सफर
अनवर का राजनीतिक सफर केवल सत्ता में आने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने कई मौकों पर अपने सिद्धांतों के लिए संघर्ष भी किया। 1990 के दशक के अंत में, उन्होंने मलेशिया में लोकतंत्र की बहाली के लिए सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें देशभर में पहचान मिली। हालांकि, उनका करियर विवादों से भी अछूता नहीं रहा। अनवर पर समलैंगिकता और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा और 2022 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली।
भारत और मलेशिया के संबंध: वर्तमान स्थिति
भारत और मलेशिया के बीच रिश्ते सामान्य तो हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इनमें उतार-चढ़ाव देखा गया है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक, और राजनीतिक संबंध पुराने हैं, लेकिन इनमें कुछ मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं। भारत द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए इस्लामिक प्रचारक जाकिर नायक को मलेशिया में शरण देना एक बड़ा मुद्दा रहा है, जिसने दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा की है।
दौरे से बढ़ेंगी नजदीकियां
सेरी अनवर बिन इब्राहिम के इस दौरे से दोनों देशों के बीच नजदीकियां बढ़ने की उम्मीद है। इस दौरे के दौरान जाकिर नायक पर बातचीत होगी या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा। हालांकि, इस दौरे का मुख्य फोकस ग्रीन एनर्जी, BRICS, और दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर हो सकता है। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
भारत के लिए इस दौरे का महत्व
भारत के लिए यह दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है, और ऐसे में मलेशिया जैसे महत्वपूर्ण देश के साथ संबंधों को और बेहतर बनाना एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है। सेरी अनवर का दौरा भारत की एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती भूमिका को भी मान्यता देगा।
छात्र नेता से प्रधानमंत्री बनने तक
अनवर का राजनीतिक सफर एक छात्र नेता के रूप में शुरू हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में कदम रखा और सरकार विरोधी आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें मलेशिया की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बना दिया। अनवर ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने जेल की सजा भी भुगती, लेकिन उनके सिद्धांतों में कोई कमी नहीं आई।
भविष्य की उम्मीदें
सेरी अनवर बिन इब्राहिम का यह दौरा केवल राजनीतिक महत्व का नहीं है, बल्कि इसके आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व भी हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में यह दौरा एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके साथ ही, ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
भारत और मलेशिया के बीच ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए, इस दौरे से दोनों देशों के बीच संबंधों में और सुधार की उम्मीद है। यह दौरा सिर्फ समझौतों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके माध्यम से दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग का एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।
सेरी अनवर बिन इब्राहिम का यह दौरा भारत और मलेशिया के बीच संबंधों को एक नई दिशा देने वाला है। यह दौरा दोनों देशों के बीच व्यापार, ग्रीन एनर्जी, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है, और ऐसे में यह दौरा भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि हो सकता है। इस दौरे के दौरान होने वाले समझौतों और चर्चाओं से दोनों देशों के बीच रिश्तों में नया मोड़ आने की उम्मीद है।