इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के आवेदन को खारिज किया, श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट द्वारा दायर आर्डर 7, रूल-11 के आवेदन को खारिज कर दिया है। इस फैसले ने मुस्लिम पक्ष के लिए एक बड़ा झटका प्रदान किया है और हिंदू पक्ष के लिए एक महत्वपूर्ण जीत साबित हुई है। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने गुरुवार को इस मामले में फैसला सुनाया।
फैसले का महत्व
इस निर्णय का मतलब है कि हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर अदालत में सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अर्जी को सुनवाई योग्य मानते हुए यह स्पष्ट किया है कि इस विवादित मामले में ट्रायल की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर किए गए आर्डर 7, रूल-11 के तहत दायर किए गए आवेदन को खारिज कर दिया गया, जिसका मुख्य कारण यह था कि मुस्लिम पक्ष ने जिन दलीलों के आधार पर यह आवेदन दायर किया था, वे कोर्ट द्वारा स्वीकार नहीं की गईं।
मामले की पृष्ठभूमि
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित इस विवाद में हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया था। इस दावे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सीपीसी के आर्डर 7, रूल-11 के तहत आवेदन दायर किए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं न्यायिक मान्यता के लायक नहीं हैं और इन्हें खारिज किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
इससे पहले, 14 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वे के लिए एडवोकेट कमीशन के गठन की अर्जी स्वीकार की थी। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी 2024 को एडवोकेट कमीशन के गठन पर रोक लगा दी थी, लेकिन इस आदेश के बावजूद, हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया था।
मई 2023 में कोर्ट का ट्रांसफर आदेश
मई 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से संबंधित सभी मामलों को मथुरा कोर्ट से ट्रांसफर कर दिया था। यह कदम उठाने के पीछे हाई कोर्ट का तर्क था कि मामले की उचित और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित की जा सके। इसके बाद, अब इस ताजा फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि मामले में आगे की कानूनी प्रक्रिया इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा की जाएगी।
मामले का भविष्य
हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर कोर्ट की सुनवाई का यह निर्णय भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस फैसले के बाद, विवादित मामले में कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, और ट्रायल के दौरान दोनों पक्षों को अपनी दलीलें पेश करने का अवसर मिलेगा। यह मामला मथुरा के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए एक संवेदनशील मुद्दा है, और इसके परिणाम भारतीय न्यायिक इतिहास में महत्वपूर्ण होंगे।
इस फैसले ने न केवल हिंदू पक्ष को एक बड़ी जीत दिलाई है, बल्कि पूरे विवाद की दिशा और गति को भी प्रभावित किया है। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में आगे क्या मोड़ आता है और न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत कौन सी नई परिस्थितियाँ सामने आती हैं।