केंद्र सरकार ने हाल ही में 23 राज्यों में पर्यटन के क्षेत्र में एक बड़ी पहल की घोषणा की है। इसके तहत 3,295 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनका उद्देश्य भारत के कम-ज्ञात पर्यटन स्थलों को विकसित करना और उन्हें वैश्विक पहचान दिलाना है। यह पहल न केवल भारतीय पर्यटन को नया दिशा देने वाली है, बल्कि इससे देशभर में पर्यटन का संतुलित वितरण भी सुनिश्चित होगा, जिससे भीड़भाड़ वाले प्रमुख पर्यटन स्थलों पर दबाव कम होगा।
SASCI योजना के तहत मंजूरी
यह कदम पर्यटन मंत्रालय की स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स/यूटीज़ फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट (SASCI) योजना के तहत उठाया गया है। इस योजना का उद्देश्य राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को पर्यटन परियोजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि उन स्थलों को विकसित किया जा सके, जो पहले पर्यटन दृष्टि से कम प्रसिद्ध थे। मंत्रालय ने राज्यों से ऐसे स्थलों की पहचान करने के लिए कहा था, जिन्हें वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय किया जा सकता है।
25 अक्टूबर 2024 तक, मंत्रालय को 8,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले कुल 87 प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें से 40 परियोजनाओं को निर्धारित मानदंडों के आधार पर चुना गया। इस प्रक्रिया में इन परियोजनाओं के पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक प्रभावों का भी ध्यान रखा गया।
मंजूरी प्राप्त परियोजनाएं
मंत्रालय द्वारा मंजूरी प्राप्त परियोजनाओं में असम का रंग घर (शिवसागर), बिहार का मत्स्यगंधा झील (सहरसा), गोवा का प्रस्तावित टाउन स्क्वायर (पोर्वोरिम) और मध्य प्रदेश का ओरछा शामिल हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न केवल इन पर्यटन स्थलों का विकास करना है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देना है और स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करना है। इन स्थलों के विकास से स्थानीय लोगों को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे, जो पर्यटन के माध्यम से उनकी जीवनशैली में सुधार ला सकते हैं।
50 वर्षों के लिए ब्याज-मुक्त ऋण
SASCI योजना के तहत, राज्य सरकारों को इन परियोजनाओं के लिए 50 वर्षों के लिए ब्याज-मुक्त ऋण प्रदान किए जाएंगे। यह एक दीर्घकालिक योजना है, जिसका उद्देश्य इन स्थलों के विकास को स्थिरता प्रदान करना और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रमोट करना है। इस योजना के तहत चुने गए सभी पर्यटन स्थलों को वैश्विक मानकों के अनुसार ब्रांडिंग और मार्केटिंग का अवसर मिलेगा।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार पर प्रभाव
इन परियोजनाओं से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा मिलेगी। पर्यटन स्थल का विकास न केवल पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि स्थानीय व्यापारों को भी बढ़ावा देगा। होटल, रेस्टोरेंट, शॉपिंग सेंटर, ट्रांसपोर्ट, गाइड सर्विसेज जैसे स्थानीय उद्योगों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। इसके साथ ही, पर्यटन से जुड़े अन्य व्यवसायों के लिए भी नए अवसर खुलेंगे, जैसे कि हस्तशिल्प, कृषि और खाद्य उत्पादन।
परियोजनाओं की समयसीमा
इन परियोजनाओं को अगले दो वर्षों में पूरा करना अनिवार्य है। मंत्रालय ने योजना बनाई है कि मार्च 2026 तक इन परियोजनाओं के लिए सभी धनराशि जारी कर दी जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी परियोजनाओं का निर्माण निर्धारित समय सीमा में पूरा हो और वे स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार विकसित हों।
पर्यटन के अनुभव में सुधार
पर्यटन मंत्रालय का यह प्रयास भारतीय पर्यटन क्षेत्र को नया आयाम देने और देश के कम-ज्ञात स्थलों को प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के माध्यम से, भारत के कम-ज्ञात स्थानों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सकेगी। इसके परिणामस्वरूप, पर्यटकों को नए अनुभव और अनूठी संस्कृतियों के दर्शन होंगे, जो भारत के सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध बनाएंगे।
इसके अलावा, इस योजना का मुख्य उद्देश्य संतुलित पर्यटन वितरण सुनिश्चित करना है। अधिक भीड़भाड़ वाले पर्यटन स्थलों पर दबाव कम करने के लिए, इन कम-ज्ञात स्थानों का समुचित विकास किया जाएगा। इससे पर्यटन उद्योग के लिए एक समावेशी और सतत विकास की दिशा खुली है।
पर्यटन के विकास के लिए नए रास्ते
इस पहल से यह स्पष्ट है कि भारत में पर्यटन के विकास के लिए सरकार नए और अधिक विविध रास्तों पर जा रही है। अब यह केवल प्रमुख स्थलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश में पर्यटन का समान रूप से विकास होगा। यह योजना न केवल पर्यटकों के लिए एक नई दिशा लेकर आएगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी एक नई उम्मीद जगेगी, जिससे भारतीय पर्यटन क्षेत्र को नई दिशा मिल सकेगी।
इस प्रयास से भारत को एक पर्यटन स्थल के रूप में और अधिक वैश्विक पहचान मिलने की संभावना है, और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा, क्योंकि पर्यटन भारत की GDP का एक अहम हिस्सा है।
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ये 40 परियोजनाएं भारतीय पर्यटन को वैश्विक स्तर पर प्रमोट करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इन परियोजनाओं के माध्यम से कम-ज्ञात पर्यटन स्थलों का विकास होगा, जिससे न केवल पर्यटकों को नए अनुभव मिलेंगे, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और समृद्धि के नए रास्ते भी खुलेंगे। इस पहल से भारतीय पर्यटन क्षेत्र में स्थिर और समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव आने की संभावना है।