भारत में 6जी तकनीक और ‘मेड इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, दूरसंचार विभाग (डीओटी) के तहत आने वाले अग्रणी दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) ने सीएसआईआर-केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीईईआरआई), पिलानी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य ‘ट्यूनिंग इम्पेडेंस मैचिंग नेटवर्क के साथ एक मल्टीपोर्ट स्विच’ विकसित करना है, जो एक ही ब्रॉडबैंड एंटीना को 2जी, 3जी, 4जी और 5जी जैसे विभिन्न संचार बैंड में निर्बाध रूप से संचालित करने की क्षमता देगा।
यह परियोजना दूरसंचार विभाग की “टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीटीडीएफ)” योजना के अंतर्गत वित्त पोषित है, जो बहु-बैंड संचार के लिए माइक्रोइलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम (एमईएमएस) तकनीक को उन्नत बनाने पर केंद्रित है। इस परियोजना में एमईएमएस तकनीक का उपयोग किया जाएगा, ताकि एंटीना का प्रदर्शन बेहतर हो सके और यह कई आवृत्ति बैंड को कम से कम शोर के साथ कवर कर सके।
समझौते पर हस्ताक्षर करने के इस समारोह में सी-डॉट के निदेशक डॉ. पंकज कुमार दलेला और सीईईआरआई, पिलानी के परियोजना प्रमुख अन्वेषक डॉ. दीपक बंसल, साथ ही अन्य प्रमुख अधिकारी उपस्थित थे। डॉ. बंसल ने इस अवसर पर दूरसंचार विभाग और सी-डॉट की भारत में दूरसंचार अनुसंधान और उन्नत ढांचे के विकास के लिए प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोगात्मक प्रयास भारत के दूरसंचार क्षेत्र में अनुसंधान को नई ऊंचाई प्रदान करेंगे। वहीं, सी-डॉट के सीईओ डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने प्रधानमंत्री के 6जी विजन के अनुरूप अभिनव दूरसंचार समाधान विकसित करने के लिए सी-डॉट की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
यह सहयोग भारत को बहु-बैंड संचार तकनीकों में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति करने में सहायक होगा। जब यह तकनीक पूरी तरह से विकसित हो जाएगी, तो यह सभी प्रमुख आवृत्ति बैंड जैसे 2जी से 5जी और उससे आगे में एक ही एंटीना का उपयोग करके निर्बाध और शोर-मुक्त संचार को सक्षम करेगी। इससे संचार की गुणवत्ता में सुधार होगा और दूरसंचार प्रणालियों की कार्यक्षमता बढ़ेगी। यह प्रौद्योगिकी भारत के दूरसंचार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह देश की आत्मनिर्भर दूरसंचार अवसंरचना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।