उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को 2025 तक टीबी (क्षय रोग) मुक्त बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस दिशा में सरकार के प्रयास तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इस अभियान में अब सरकारी अधिकारी भी जुड़ रहे हैं, जो टीबी मरीजों की देखभाल और सहायता के लिए उन्हें गोद लेने जा रहे हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य टीबी मरीजों को बेहतर देखभाल, पोषण और मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान करना है, ताकि वे इस बीमारी से लड़कर जल्द से जल्द ठीक हो सकें।
सरकारी अधिकारी गोद लेंगे टीबी मरीज
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी 125 टीबी मरीजों को गोद लेने जा रहे हैं। यह कार्यक्रम लखनऊ के संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट (एसजीपीजीआई) में शनिवार को आयोजित किया जाएगा, जहां स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में यह पहल शुरू की जाएगी। इस कार्यक्रम में टीबी मरीजों को 'नि:क्षय पोटली' वितरित की जाएगी, जिसमें पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्री होगी।
इस कदम के साथ ही, प्रदेश सरकार ने टीबी को समाप्त करने के अपने संकल्प को और मजबूत किया है। सरकारी अधिकारियों के इस पहल में शामिल होने से टीबी उन्मूलन अभियान को और गति मिलने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि जब तक समाज के सभी वर्ग एकजुट होकर इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में शामिल नहीं होंगे, तब तक इसे खत्म करना मुश्किल होगा।
टीबी मरीजों की देखभाल: नि:क्षय मित्र और नि:क्षय पोषण योजना
टीबी उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में से 'नि:क्षय मित्र' और 'नि:क्षय पोषण योजना' प्रमुख हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य टीबी मरीजों को आर्थिक और पोषण संबंधी सहायता प्रदान करना है, ताकि उनकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो सके।
'नि:क्षय पोषण योजना' के तहत टीबी मरीजों को हर महीने 500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिससे उन्हें पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है। यह राशि सीधे मरीजों के बैंक खातों में भेजी जाती है। इस योजना से टीबी मरीजों को सही पोषण मिल सकेगा, जिससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और वे जल्द स्वस्थ हो सकेंगे।
सामुदायिक सहभागिता का महत्व
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि टीबी उन्मूलन के लिए सरकार ने सामुदायिक सहभागिता पर जोर दिया है। इसके तहत 'नि:क्षय मित्र' योजना शुरू की गई है, जिसमें आम नागरिक, संस्थाएं और सामाजिक संगठन टीबी मरीजों की मदद कर सकते हैं। अब तक प्रदेश के 39,151 नि:क्षय मित्रों ने लगभग 3,30,985 टीबी मरीजों को गोद लिया है। यह एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
नि:क्षय मित्र टीबी मरीजों को दवाइयां, पोषण सामग्री और मानसिक समर्थन प्रदान करते हैं। इसके साथ ही, वे अपने आस-पास के क्षेत्रों में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने का काम भी करते हैं। इसके जरिए समाज में टीबी के प्रति फैली गलत धारणाओं को दूर करने और मरीजों को सही जानकारी देने में मदद मिल रही है।
टीबी के खिलाफ जनआन्दोलन
प्रदेश सरकार ने टीबी उन्मूलन अभियान को एक जनआन्दोलन बनाने की अपील की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब तक यह अभियान समाज के हर व्यक्ति तक नहीं पहुंचेगा, तब तक इसे सफल नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने आम जनता से आग्रह किया है कि वे अपने-अपने स्तर पर टीबी के प्रति जागरूकता फैलाएं और टीबी मरीजों की सहायता करें।
सरकार का मानना है कि यदि समाज के सभी वर्ग एकजुट होकर इस अभियान में भाग लेंगे, तो 2025 तक टीबी मुक्त प्रदेश का सपना साकार हो सकेगा। इसके लिए सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ निजी संस्थाओं और नागरिकों का योगदान भी महत्वपूर्ण होगा।
टीबी उन्मूलन की दिशा में सरकार की पहल
उत्तर प्रदेश सरकार ने टीबी उन्मूलन के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'टीबी मुक्त भारत अभियान' को राज्य में तेजी से लागू किया जा रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी के मामलों को कम करना और अंततः इसे समाप्त करना है।
सरकार के इन प्रयासों से प्रदेश में टीबी के मामलों में कमी आ रही है, लेकिन अब भी इस दिशा में बहुत काम बाकी है। इसलिए सरकार ने टीबी उन्मूलन को एक प्रमुख जनस्वास्थ्य मुद्दा बनाया है और इस अभियान को समाज के सभी वर्गों से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
टीबी मरीजों के इलाज और देखभाल
टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह बीमारी लंबी अवधि तक इलाज की मांग करती है और इसके इलाज के दौरान मरीजों को दवाइयों के साथ-साथ उचित पोषण और देखभाल की भी जरूरत होती है। इसलिए सरकार ने 'नि:क्षय पोषण योजना' और 'नि:क्षय मित्र' जैसी योजनाएं शुरू की हैं, ताकि मरीजों को सही समय पर उचित सहायता मिल सके।
टीबी मरीजों के लिए पोषण की कमी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के चलते उनका शरीर बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं होता। ऐसे में सरकार की योजनाओं से उन्हें पोषण और आर्थिक सहायता मिल रही है, जो उनके उपचार को प्रभावी बनाने में मदद कर रही है।
समाज की भूमिका
सरकार का मानना है कि टीबी उन्मूलन के लिए केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं होंगे। इसके लिए समाज के हर वर्ग की सहभागिता जरूरी है। टीबी के खिलाफ जागरूकता फैलाना, मरीजों की मदद करना और टीबी से जुड़े मिथकों को दूर करना समाज की जिम्मेदारी है।
टीबी एक ऐसी बीमारी है, जिसका सही समय पर इलाज संभव है। लेकिन कई बार मरीज समय पर जांच और इलाज नहीं करवाते, जिससे बीमारी बढ़ जाती है। ऐसे में समाज के लोगों का यह कर्तव्य है कि वे टीबी के लक्षणों और इसके इलाज के बारे में जानकारी फैलाएं और लोगों को समय पर जांच करवाने के लिए प्रेरित करें।
2025 तक टीबी मुक्त प्रदेश: लक्ष्य और चुनौतियां
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। यह एक बड़ा और चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है, जिसे हासिल करने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अगर हम सब मिलकर इस दिशा में प्रयास करें, तो यह लक्ष्य निश्चित रूप से हासिल किया जा सकता है।
सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से प्रदेश में टीबी के मामलों में सुधार देखा जा रहा है। लेकिन अब भी बहुत से मरीज हैं, जिन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसलिए सरकार ने इस दिशा में और अधिक तेजी से काम करने का निर्णय लिया है, ताकि हर टीबी मरीज को सही समय पर इलाज मिल सके।
टीबी उन्मूलन के लिए आगे का रास्ता
टीबी मुक्त प्रदेश का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है और टीबी मरीजों के इलाज के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं। इसके साथ ही, सरकार ने टीबी की जांच और इलाज के लिए मुफ्त चिकित्सा कैम्प आयोजित करना शुरू किया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों की जांच हो सके और समय पर इलाज मिल सके।
सरकार ने टीबी मरीजों के लिए नि:क्षय पोषण योजना के तहत आर्थिक सहायता भी प्रदान की है, जिससे उनके पोषण की जरूरतें पूरी हो सकें। इसके साथ ही, नि:क्षय मित्रों के माध्यम से मरीजों को अतिरिक्त सहायता भी दी जा रही है।
टीबी उन्मूलन के इस अभियान में समाज की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यदि समाज के सभी वर्ग इस अभियान में भाग लेते हैं और अपने-अपने स्तर पर जागरूकता फैलाते हैं, तो 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त बनाना संभव हो सकेगा।