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Navdeep Singh: Paris Paralympics 2024, में स्वर्ण पदक विजेता की प्रेरणादायक कहानी

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Navdeep Singh: Paris Paralympics 2024, में स्वर्ण पदक विजेता की प्रेरणादायक कहानी

पानीपत के नवदीप सिंह ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में भाला फेंक (F41) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। उनका यह सफर बेहद प्रेरणादायक है। जहां उन्होंने अपने संघर्ष, मेहनत, और दृढ़ता से न केवल स्वर्ण पदक हासिल किया, बल्कि दुनियाभर के लिए एक मिसाल कायम की। नवदीप ने 47.32 मीटर की थ्रो के साथ यह ऐतिहासिक जीत हासिल की और उनकी इस जीत से देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई।

बचपन और संघर्ष

नवदीप का बचपन बहुत आसान नहीं था। उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया। उनकी शारीरिक स्थिति के कारण उन्हें बहुत बार चिढ़ाया जाता था। लेकिन उन्होंने कभी भी इन बातों को अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने दिया। नवदीप का कहना है कि उन्हें हमेशा से यह विश्वास था कि वह कुछ बड़ा करेंगे। उनका यह आत्मविश्वास उनके परिवार, विशेषकर उनके पिता से आया, जो हमेशा उनके साथ खड़े रहे।

नवदीप का कद चार फीट चार इंच है, और इस कारण उन्हें अक्सर ताने सुनने पड़ते थे। लोग उन्हें चिढ़ाते थे, लेकिन नवदीप ने इन बातों को अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने ठान लिया था कि वह अपनी शारीरिक स्थिति को कमजोरी नहीं बनने देंगे, बल्कि अपनी मेहनत और कड़ी लगन से सफलता हासिल करेंगे। यही जज़्बा और आत्मविश्वास उन्हें पेरिस पैरालंपिक तक लेकर गया।

भाला फेंक की शुरुआत

नवदीप ने शुरुआत में कुश्ती में अपनी रुचि दिखाई थी, लेकिन पीठ की चोट के कारण उन्हें यह खेल छोड़ना पड़ा। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें भाला फेंक की ओर प्रेरित किया। 2016 में जब नीरज चोपड़ा ने अंडर-20 विश्व रिकॉर्ड बनाया, तो नवदीप को भाला फेंक में रुचि हुई। उन्होंने ठान लिया कि वह भी इस खेल में कुछ बड़ा करेंगे।

2017 में नवदीप ने भाला फेंक की शुरुआत की और कड़ी मेहनत के साथ अपने खेल को निखारना शुरू किया। उन्होंने सोनीपत और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में अभ्यास किया। नवदीप ने बताया कि जब वह स्टेडियम में जाते थे, तो लोग उन्हें अजीब नजरों से देखते थे। लेकिन उन्होंने कभी इन बातों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया।

टोक्यो पैरालंपिक का अनुभव

नवदीप ने टोक्यो पैरालंपिक में भी भाग लिया था, लेकिन वहां वह चौथे स्थान पर रहे। यह उनके लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने इसे अपनी प्रेरणा बना लिया। उन्होंने ठान लिया कि अगली बार वह स्वर्ण पदक जीतकर ही लौटेंगे। टोक्यो में मिली असफलता ने उन्हें और भी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया, और उन्होंने पेरिस पैरालंपिक के लिए खुद को तैयार किया।

पेरिस पैरालंपिक 2024 में जीत

पेरिस पैरालंपिक 2024 में नवदीप सिंह ने अपने सपने को साकार किया। उन्होंने 47.32 मीटर की जबरदस्त थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता। यह जीत न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का पल था। नवदीप की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि अगर इंसान के पास आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

प्रधानमंत्री के साथ विशेष मुलाकात

नवदीप के लिए एक और खास पल तब आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने नवदीप को कैप पहनने के लिए जमीन पर बैठकर एक अद्वितीय उदाहरण पेश किया। नवदीप ने बताया कि यह उनके जीवन का सबसे चौंकाने वाला और गर्वित करने वाला पल था। उन्होंने यह सोचा भी नहीं था कि प्रधानमंत्री ऐसा करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने नवदीप को देश का भविष्य कहकर सम्मानित किया और उनसे कहा कि वह युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं। नवदीप के लिए यह पल बेहद खास था और उन्होंने इस अनुभव को अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया।

सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय

नवदीप का आक्रामक जश्न सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में रहा। उनकी तुलना भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली से की गई। हालांकि, नवदीप ने बताया कि उनके पसंदीदा क्रिकेटर रोहित शर्मा हैं। नवदीप का कहना है कि जब वह भारत की जर्सी पहनकर खेलते हैं, तो उनके अंदर देश के लिए कुछ करने का जोश अपने आप आ जाता है।

उनका आक्रामक जश्न उनके खेल के प्रति जुनून और देशभक्ति को दर्शाता है। नवदीप का कहना है कि जब शरीर पर इंडिया लिखा हो, तो जोश अपने आप आता है। उनके इस जश्न ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा और वह रातोंरात एक हीरो बन गए।

भाला फेंक में नीरज चोपड़ा से मिली प्रेरणा

नवदीप ने बताया कि उन्हें भाला फेंक की प्रेरणा नीरज चोपड़ा से मिली। नीरज चोपड़ा को देखकर ही उन्होंने इस खेल में आने का फैसला किया था। उन्होंने ठान लिया था कि भले ही उनका कद छोटा है, लेकिन उनके काम बड़े होंगे।

नीरज चोपड़ा ने जब जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, तब नवदीप को इस खेल के प्रति लगाव हुआ। उन्होंने ठान लिया था कि वह भी इस खेल में देश का नाम रोशन करेंगे। नवदीप की मेहनत और लगन ने उन्हें पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक तक पहुंचा दिया।

दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए सम्मान की मांग

नवदीप सिंह ने दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए भी बराबर सम्मान की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सामान्य खिलाड़ियों को सम्मान मिलता है, उसी तरह दिव्यांग खिलाड़ियों को भी मिलना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'विकलांग' शब्द की जगह 'दिव्यांग' शब्द का प्रयोग करने से नवदीप काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि इससे समाज में दिव्यांगों के प्रति सोच में बदलाव आया है और उन्हें अधिक सम्मान मिल रहा है।

पैरालंपिक तक का सफर

नवदीप का पैरालंपिक तक का सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने अपने शुरुआती करियर में कुश्ती में हाथ आजमाया, लेकिन पीठ की चोट ने उनके इस सपने को अधूरा छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने दौड़ में भी किस्मत आजमाई, लेकिन वहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली।

लेकिन जब उन्होंने भाला फेंक में कदम रखा, तो उनकी किस्मत बदल गई। उन्होंने अपने जुनून, मेहनत और आत्मविश्वास से पेरिस पैरालंपिक 2024 में स्वर्ण पदक जीतकर दिखाया कि अगर इंसान ठान ले, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।

परिवार का समर्थन

नवदीप सिंह की इस सफलता में उनके परिवार का भी बड़ा योगदान रहा है। उनके पिता ने उन्हें हमेशा समर्थन दिया और उनकी हर कदम पर मदद की। नवदीप ने बताया कि उनके पिता ही थे, जिन्होंने उन्हें भाला फेंक की ओर प्रेरित किया।

नवदीप के पिता ने उनके खेल करियर की शुरुआत में हर कदम पर उनका साथ दिया और उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। नवदीप का कहना है कि अगर उनके पिता का समर्थन न होता, तो वह आज इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते।

दिव्यांगों के लिए संदेश

नवदीप सिंह का संदेश उन सभी दिव्यांगों के लिए है, जो किसी न किसी कारण से अपने सपनों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। नवदीप का कहना है, "अगर हम खुद को कमजोर समझेंगे, तो दुनिया हमें और कमजोर बनाएगी। हमें अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर आगे बढ़ना चाहिए।"

उनका यह संदेश उन सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक है, जो किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक चुनौती का सामना कर रहे हैं। नवदीप की यह कहानी यह साबित करती है कि अगर इंसान के पास आत्मविश्वास, मेहनत और दृढ़ संकल्प हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है। नवदीप सिंह की यह प्रेरणादायक कहानी न केवल एथलीटों के लिए, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है, जो जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। नवदीप की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि कद, शारीरिक स्थिति या कठिनाइयाँ कभी भी इंसान की सफलता में बाधा नहीं बन सकतीं।

नवदीप ने अपने छोटे कद और कठिनाइयों को कभी अपने रास्ते में नहीं आने दिया और अपने बड़े सपनों को साकार किया। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा न केवल भारत के लिए गर्व का कारण है, बल्कि दुनिया भर के दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए भी एक मिसाल है।

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