सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 6 जून को नासा-बोइंग स्टारलाइनर पर सवार होकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे थे। यह मिशन केवल एक हफ्ते का था, लेकिन अब तक ये दोनों एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन पर फंसे हुए हैं। अंतरिक्ष का माहौल इंसान के शरीर पर कई तरह के प्रभाव डालता है, जैसे हड्डियों की कमजोरी, चेहरे की सूजन, मांसपेशियों की कमजोरी, और स्पेस रेडिएशन का प्रभाव। नासा और अन्य एजेंसियां इन प्रभावों का अध्ययन कर रही हैं ताकि भविष्य में अंतरिक्ष मिशन सुरक्षित और प्रभावी हो सकें।
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अंतरिक्ष का प्रभाव: हड्डियों की कमजोरी और मांसपेशियों की हानि
अंतरिक्ष में रहने के दौरान, कम ग्रैविटी में लंबे समय तक रहने से हड्डियों के घनत्व और ताकत में कमी आ सकती है। सामान्यतः, अंतरिक्ष यात्री हर महीने अपनी हड्डियों का 1% से 2% घनत्व खो सकते हैं। यह हड्डियों को कमजोर बनाता है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ाता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष में मांसपेशियों में भी कमजोरी आ सकती है, खासकर पैरों और पीठ के निचले हिस्से में।
स्पेस रेडिएशन का खतरा
अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री स्पेस रेडिएशन के बढ़े हुए स्तर के संपर्क में आते हैं। यह रेडिएशन पृथ्वी पर मिलने वाले रेडिएशन से अलग होता है और इसके प्रभाव से कैंसर और अन्य डीजेनरेटिव बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड और वायुमंडल हमें इस तरह के रेडिएशन से बचाते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा नहीं होता है।
चेहरे पर सूजन और स्पेस सिकनेस
अंतरिक्ष में तरल पदार्थ शरीर के निचले हिस्से में न जाकर ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जिससे चेहरे पर सूजन आ सकती है और नाक बंद हो सकती है। इसके अलावा, अंतरिक्ष यात्री 'स्पेस सिकनेस' का भी सामना कर सकते हैं, जिसमें सिरदर्द, मतली और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ब्रेन डैमेज और आंखों की रोशनी
माइक्रोग्रैविटी में शरीर के तरल पदार्थ सिर की तरफ ऊपर बढ़ते हैं, जिससे आंखों पर दबाव पड़ सकता है और आंखों की रोशनी में कमी आ सकती है। इसके अलावा, लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से दिमाग को भी नुकसान पहुंच सकता है।
गुर्दे की पथरी और अन्य हेल्थ रिस्क्स
अंतरिक्ष में रहने से डिहाइड्रेशन और हड्डियों से कैल्शियम के निकलने से गुर्दे की पथरी बनने का खतरा बढ़ सकता है। इस खतरे से बचने के लिए अंतरिक्ष यात्री विशेष प्रोसीजर और एक्सरसाइज रूटीन का पालन करते हैं।
नासा का प्रयास और भविष्य की तैयारी
नासा ने सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को वापस लाने के लिए नए विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है। संभवतः उन्हें 2025 में स्पेसएक्स स्पेसक्रॉफ्ट से पृथ्वी पर वापस लाया जा सकता है। नासा और अन्य स्पेस एजेंसियां इन प्रभावों का अध्ययन कर रही हैं ताकि चांद और मंगल जैसे मिशनों के लिए बेहतर तैयारी की जा सके।
इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के दौरान इंसान के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं और इनसे निपटने के लिए क्या-क्या तैयारियां करनी होंगी।