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चांदी की बढ़ती मांग और ऊंचे दाम: निवेशकों के लिए आकर्षण

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चांदी की बढ़ती मांग और ऊंचे दाम: निवेशकों के लिए आकर्षण

इन दिनों सोने से अधिक चांदी की चमक निवेशकों को लुभा रही है। पिछले एक साल में सोने ने 30 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि चांदी में निवेश करने वालों को लगभग 40 प्रतिशत का रिटर्न मिला है। औद्योगिक मांग में वृद्धि और वैश्विक परिस्थितियों के चलते चांदी की कीमत पहली बार एक लाख रुपए प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई है। रूस के सेंट्रल बैंक ने सोने की तरह चांदी का भी रिजर्व स्टॉक रखने की घोषणा की है, जिससे चांदी की चमक और बढ़ी है। सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे औद्योगिक सेक्टरों में चांदी की खपत बढ़ने से भी इसकी कीमतों में तेजी आ रही है।

सोने-चांदी के भाव और हालात

सोना और चांदी के दाम वैश्विक बाजार के अनुसार तय होते हैं। पिछले छह महीनों में चांदी के दाम में 17,000 रुपए प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में चांदी की कीमत 72,000 रुपए प्रति किलोग्राम थी, जो अब 1,02,000 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। इसी तरह 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत पिछले साल अक्टूबर में 62,500 रुपए थी, जबकि अब यह 80,500 रुपए पर पहुंच गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, सिर्फ रूस ही नहीं बल्कि चीन और कई अन्य देश अपने सोने के रिजर्व में चांदी को भी शामिल कर रहे हैं। ये देश डॉलर के रिजर्व को कम करके सोना, चांदी और प्लेटिनम जैसे बहुमूल्य धातुओं को अपने भंडार में जोड़ रहे हैं, जिससे बुलियन बाजार में निवेश बढ़ रहा है।

चांदी के महंगे होने के कारण

चांदी के महंगे होने का मुख्य कारण इसका औद्योगिक उपयोग है। दुनिया भर में लगभग 60 प्रतिशत चांदी का उपयोग औद्योगिक रूप से होता है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन में चांदी का इस्तेमाल बढ़ने से इसकी मांग बढ़ रही है। साथ ही चांदी की खदानें सीमित हैं, जिससे इसके उत्पादन को एकदम से नहीं बढ़ाया जा सकता है। नई खदानें चालू करने में कम से कम पांच साल का समय लग सकता है। इसलिए चांदी की मांग के साथ-साथ इसकी कीमतें भी बढ़ रही हैं।

वैश्विक बाजार का असर

मध्य एशिया और यूरोप में जारी उथल-पुथल और दुनिया भर में ब्याज दरों में कटौती का सीधा असर बुलियन बाजार पर पड़ रहा है। अमेरिका समेत कई देशों द्वारा ब्याज दरों में कमी करने से डॉलर में कमजोरी आई है। इस वजह से निवेशक सोना और चांदी जैसी सुरक्षित संपत्तियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। भारत में भी इलेक्ट्रॉनिक वाहनों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन में वृद्धि होने से चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ी है।

चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले छह महीनों में चांदी के आयात में 383 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अप्रैल से सितंबर के बीच 19,180 करोड़ रुपए की चांदी का आयात किया गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 3,967 करोड़ रुपए था। इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण वैश्विक बाजार में चांदी की मांग का बढ़ना और औद्योगिक क्षेत्रों में इसका अधिक उपयोग है।

निवेशकों के लिए चांदी का आकर्षण

विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की मांग आने वाले समय में और बढ़ेगी। सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन और हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज में चांदी का इस्तेमाल न केवल चांदी की औद्योगिक मांग को बढ़ा रहा है, बल्कि निवेश के लिहाज से भी चांदी एक महत्वपूर्ण विकल्प बनती जा रही है। जिन निवेशकों ने एक साल पहले चांदी में निवेश किया था, उन्हें अच्छा रिटर्न मिला है और इस रुझान के आने वाले समय में भी बने रहने की संभावना है।

चांदी में निवेश करने वालों को इस धातु की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ अच्छे रिटर्न की उम्मीद है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी का प्रदर्शन शानदार रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है। भारत में भी बढ़ती औद्योगिक मांग और सोने के मुकाबले चांदी के सस्ते विकल्प के कारण निवेशकों के लिए यह धातु काफी आकर्षक साबित हो रही है।

चांदी की बढ़ती मांग और औद्योगिक उपयोग के कारण इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं। निवेशकों के लिए चांदी एक बेहतर विकल्प बनती जा रही है, जो उन्हें अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखती है। सोने के मुकाबले चांदी का सस्ता होना और इसके औद्योगिक उपयोग में बढ़ोतरी ने इसे निवेश के लिहाज से आकर्षक बना दिया है। वैश्विक बाजार के साथ भारत में भी चांदी की कीमतों में वृद्धि जारी है, जिससे इसका महत्व आने वाले समय में और बढ़ने की संभावना है।

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