प्रयागराज की मेजा सीट से विधायक रह चुकीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेत्री नीलम उदयभान करवरिया का शुक्रवार को निधन हो गया। नीलम करवरिया पिछले कुछ समय से हैदराबाद के एक अस्पताल में लीवर ट्रांसप्लांट करवा रही थीं। उनका स्वास्थ्य कई दिनों से नाजुक था, और कल देर रात अचानक स्थिति और बिगड़ गई। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन से राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
प्रयागराज के राजनीतिक परिवार से ताल्लुक
नीलम उदयभान करवरिया प्रयागराज के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनका परिवार लंबे समय से राजनीति में सक्रिय है। आज उनका पार्थिव शरीर एयर एंबुलेंस से प्रयागराज लाया जाएगा, जहां कल्याणी देवी स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। उनके अंतिम संस्कार का कार्यक्रम 28 सितंबर को सुबह 10 बजे निर्धारित किया गया है।
परिवार में शोक की लहर
नीलम करवरिया अपने पीछे तीन बच्चों – दो बेटियां समृद्धि और साक्षी, और एक बेटा सक्षम – को छोड़ गई हैं। उनके निधन से परिवार में शोक की गहरी छाया है। बच्चे इस दुख से बेहद प्रभावित हैं और प्रयागराज में उनके चाहने वाले और समर्थक भी गमगीन हैं। परिवार की इस त्रासदी ने पूरे राजनीतिक क्षेत्र को भी भावुक कर दिया है।
मेजा सीट से विधायक रह चुकीं
नीलम करवरिया 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर प्रयागराज की मेजा सीट से विधायक बनी थीं। उनका राजनीतिक सफर बहुत ही खास रहा। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें समाजवादी पार्टी (सपा) के संदीप पटेल से हार का सामना करना पड़ा था। उनकी हार के बावजूद, उनके शांत और मिलनसार व्यक्तित्व ने उन्हें लोगों के दिलों में विशेष जगह दी थी।
मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व
नीलम करवरिया को उनकी मृदुभाषी और सरल स्वभाव के लिए जाना जाता था। वे एक ऐसी महिला थीं, जो सभी से आदर और स्नेह से बात करती थीं। उनका राजनीति में प्रवेश तब हुआ, जब उनके पति उदयभान करवरिया को जेल भेजा गया। पति की अनुपस्थिति में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उनके देवर सूरजभान करवरिया भी विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं, जिससे उनके परिवार की राजनीतिक पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में शोक
नीलम करवरिया के निधन की खबर सुनते ही राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। प्रयागराज और प्रदेश भर के बीजेपी नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपने शोक संदेश में लिखा, “नीलम करवरिया जी के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके परिवार को इस दुख की घड़ी में शक्ति दे।”
इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी और राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
नीलम करवरिया की राजनीतिक विरासत
नीलम करवरिया का राजनीतिक सफर बहुत लंबा नहीं था, लेकिन इस दौरान उन्होंने एक प्रभावशाली नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके परिवार की राजनीतिक विरासत पहले से ही मजबूत थी, लेकिन उन्होंने अपने शांत और मृदुभाषी स्वभाव से इसे और मजबूत किया। राजनीति में सक्रिय होने के बावजूद, वे हमेशा अपने परिवार और बच्चों के लिए समर्पित रहीं। उनके निधन से बीजेपी ने एक सशक्त महिला नेता को खो दिया है।
अंतिम संस्कार की तैयारी
नीलम करवरिया का अंतिम संस्कार 28 सितंबर को प्रयागराज में होगा। अंतिम दर्शन के लिए कल्याणी देवी स्थित उनके आवास पर लोगों की भीड़ उमड़ने की संभावना है। परिवार, समर्थक और पार्टी के तमाम नेता उनके अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। नीलम करवरिया का निधन प्रयागराज के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है, और उनकी अनुपस्थिति लंबे समय तक महसूस की जाएगी।
इस दुखद घटना ने उनके परिवार, समर्थकों और राजनीति से जुड़े हर व्यक्ति को गहरा आघात पहुंचाया है। नीलम करवरिया का योगदान और उनकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी।