भारतीय हॉकी टीम के जाने-माने गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। लगभग दो दशकों तक भारतीय गोल पोस्ट की रक्षा करने वाले और ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले श्रीजेश ने हॉकी से संन्यास ले लिया है। लेकिन इसके बाद उनकी आगे की योजना क्या होगी, इसे लेकर वे खुद भी अनिश्चित हैं।
हॉकी छोड़ने के बाद की योजना पर श्रीजेश का बयान
पेरिस ओलंपिक में 36 वर्षीय श्रीजेश ने अपने शानदार प्रदर्शन से भारत को कांस्य पदक दिलाया। स्पेन के खिलाफ 2-1 से जीत हासिल करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। लेकिन अब, जब उन्होंने हॉकी से संन्यास ले लिया है, तो वे इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं हैं कि उनके अगले कदम क्या होंगे।
श्रीजेश ने कहा, “मुझे अभी नहीं पता कि मैं हॉकी छोड़ने के बाद क्या करूंगा। यह जीवन में एक बड़े बदलाव जैसा है। मैंने अपने करियर में हर समय हॉकी के साथ ही बिताया है। अब जब मैं रिटायर हो चुका हूं, तो मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं आगे क्या करूंगा।”
भारतीय हॉकी में मेरी जगह लेने वाले खिलाड़ी मिल जाएंगे
श्रीजेश ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय हॉकी में उनकी जगह लेने के लिए कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा, “कोई खालीपन नहीं होगा। मेरी जगह कोई और आएगा। यह सभी खेलों में होता है। जैसे सचिन तेंदुलकर के बाद विराट कोहली आए और कल कोई और उनकी जगह लेगा, वैसे ही मेरी जगह भी कोई और खिलाड़ी आ जाएगा।”
हॉकी के बाद के जीवन को लेकर चिंता
श्रीजेश ने खुलासा किया कि हॉकी के अलावा उनके जीवन का कोई और उद्देश्य अभी तक स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा, “मैंने अपना पूरा जीवन हॉकी के इर्द-गिर्द ही बिताया है। 2002 में जब मैं पहली बार कैंप में गया था, तब से लेकर अब तक मैं हॉकी से जुड़ा रहा हूं। अब जब मैं रिटायर हो चुका हूं, तो मुझे समझ नहीं आ रहा कि आगे का जीवन कैसा होगा। यह एक खालीपन जैसा महसूस हो रहा है।”
टीम के साथ बिताए समय की यादें
श्रीजेश ने यह भी कहा कि वह टीम के साथ बिताए समय को बहुत याद करेंगे। उन्होंने कहा, “सुबह से शाम तक हम एक साथ रहते थे, ट्रेनिंग, जिम, मैदान पर हर समय एक मजेदार माहौल होता था। टीम की मीटिंग्स, खिलाड़ियों के साथ हंसी-मजाक और उन्हें प्रेरित करना, ये सब मेरे जीवन का हिस्सा थे। जीत के बाद जश्न मनाना और हार के बाद साथ में रोना, यह मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा रहा है।”
सेमीफाइनल की हार पर श्रीजेश का विचार
पेरिस ओलंपिक के सेमीफाइनल में जर्मनी से मिली हार के बारे में बात करते हुए श्रीजेश ने कहा, “हां, सेमीफाइनल में हारना निराशाजनक था, लेकिन हम कम से कम कांस्य पदक जीतकर लौट रहे हैं, जो एक बड़ी बात है। इस पदक ने हमारी मेहनत को एक नया मान्यता दी है।”
जूनियर हॉकी टीम के कोच बनने का प्रस्ताव
श्रीजेश को भारतीय जूनियर हॉकी टीम के कोच बनने का प्रस्ताव भी मिला है। इस बारे में उन्होंने कहा, “मुझे यह प्रस्ताव हाल ही में मिला है। मैंने इस पर विचार किया है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। अब मुझे घर लौटकर अपने परिवार से बात करनी है और फिर कोई फैसला लेना है।”
भविष्य की अनिश्चितता
श्रीजेश ने अपनी इस अनिश्चितता के बारे में खुलकर बात की और कहा, “मेरे लिए यह एक नए जीवन की शुरुआत है, जिसमें बहुत सारी अनिश्चितताएं हैं। मैं हॉकी के अलावा कुछ नहीं जानता, इसलिए यह देखना होगा कि मेरे जीवन में आगे क्या होता है। मुझे नहीं पता कि मुझे किन चीजों की कमी खलेगी, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि मैं इस नए सफर को भी अच्छी तरह से निभा पाऊंगा।”
पीआर श्रीजेश का यह खुलासा उनके करियर के अंत और नए जीवन की शुरुआत को लेकर उनके विचारों को दर्शाता है। उन्होंने न केवल भारतीय हॉकी में एक मजबूत पहचान बनाई है, बल्कि उन्होंने आने वाली पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत के रूप में काम किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि श्रीजेश अपने संन्यास के बाद किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं और भारतीय हॉकी में किस नई भूमिका में नजर आते हैं।