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Paris Paralympic 2024: भारत की ऐतिहासिक सफलता, शरद कुमार की शानदार चांदी जीत और उनकी प्रेरणादायक कहानी

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Paris Paralympic 2024: भारत की ऐतिहासिक सफलता, शरद कुमार की शानदार चांदी जीत और उनकी प्रेरणादायक कहानी

पेरिस पैरालंपिक में भारत का प्रदर्शन अब तक का सबसे सफल और उत्कृष्ट रहा है। भारत ने यहां ऐसे मेडल जीते हैं, जो पहले कभी किसी पैरालंपिक में नहीं मिले थे। इस सफलता के पीछे उन खिलाड़ियों का मेहनत और समर्पण है, जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन किया है। इनमें से एक खिलाड़ी हैं बिहार के मुजफ्फरपुर से शरद कुमार, जिन्होंने 3 सितंबर को भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। शरद कुमार की कहानी प्रेरणादायक है, खासकर उनके व्यक्तिगत संघर्ष और मेहनत के बारे में जानकर।

शरद कुमार की प्रेरणादायक कहानी:

शरद कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से आते हैं। एक पैर से असमर्थ होने के बावजूद, उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों के हाई जंप T63 इवेंट में 1.88 मीटर की ऊंचाई छूकर चांदी का मेडल जीता। यह उनके कड़े परिश्रम और मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम है। शरद कुमार की यह सफलता उनकी मेहनत और समर्पण को दर्शाती है, खासकर जब आप उनके जीवन की कठिनाइयों के बारे में जानते हैं।

शिक्षा और करियर:

शरद कुमार केवल खेल में ही नहीं, बल्कि शिक्षा में भी बहुत होशियार रहे हैं। वे बिहार से होने के बावजूद, अपनी शिक्षा के लिए दिल्ली गए। उन्होंने दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से अपनी स्कूलिंग पूरी की और फिर किरोड़ीमल कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उनकी शिक्षा में इतनी योग्यता होने के बावजूद, उनका सपना IAS बनने का था, जो दुर्भाग्यवश पूरा नहीं हो पाया।

यूक्रेन में फंसे और IAS बनने का सपना टूटना:

शरद कुमार का IAS बनने का सपना 2020 में तब चुराया गया जब वे यूक्रेन में टोक्यो पैरालंपिक की तैयारी कर रहे थे। कोरोना महामारी के कारण यूक्रेन में लॉकडाउन लग गया और टोक्यो पैरालंपिक भी स्थगित कर दिया गया। इस स्थिति के चलते, शरद कुमार न केवल अपने परिवार से दूर रहे, बल्कि वे UPSC परीक्षा का फॉर्म भी नहीं भर पाए। बिना फॉर्म भरे परीक्षा में बैठना संभव नहीं था, और इस प्रकार उनका IAS बनने का सपना टूट गया। हालांकि, उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के बजाय खेल की दुनिया में खुद को साबित किया।

पेरिस में नई उपलब्धियां:

पेरिस पैरालंपिक में, शरद कुमार ने पुरुषों के हाई जंप T63 इवेंट में शानदार प्रदर्शन किया और 1.88 मीटर की छलांग लगाकर सिल्वर मेडल जीता। इससे पहले, उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। पेरिस में उनकी इस सफलता ने टोक्यो के मेडल का रंग बदल दिया और उन्हें एक नई पहचान दिलाई।

एक पैर से लाचार होने की वजह:

शरद कुमार का एक पैर असमर्थ होने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। जब वे केवल 2 साल के थे, तब उन्हें लकवा मार गया, जिससे उनके बाएं पैर से असमर्थता हो गई। हालांकि, उन्होंने अपनी इस शारीरिक कमी को कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी कठिनाइयों को स्वीकार किया और उन्हें अपनी सफलता की सीढ़ी बनाने में मदद की।

शरद कुमार की कहानी एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाती है कि कठिनाइयों के बावजूद कैसे व्यक्ति अपनी मेहनत और समर्पण से सफलता प्राप्त कर सकता है। पेरिस पैरालंपिक में भारत की ऐतिहासिक सफलता में शरद कुमार का योगदान अनमोल है। उनकी यात्रा, संघर्ष और जीत हमें यह सिखाती है कि कभी भी हार मानना नहीं चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

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