पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत नजदीक आ रही है और इस बार भारत के ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा पर सबकी निगाहें हैं। नीरज चोपड़ा, जो पिछले टोक्यो ओलंपिक में जेवलिन थ्रो (भाला फेंक) में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन कर चुके हैं, एक बार फिर ओलंपिक के मंच पर अपनी धाक जमाने के लिए तैयार हैं।
क्वालिफिकेशन राउंड में चुनौती
नीरज चोपड़ा मंगलवार को पेरिस ओलंपिक 2024 के जेवलिन थ्रो क्वालिफिकेशन राउंड में हिस्सा लेंगे। इस राउंड में उनके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा कि वह फाइनल में पहुंच पाते हैं या नहीं। अगर वह क्वालिफिकेशन राउंड में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें 8 अगस्त को फाइनल खेलना होगा। फाइनल में अच्छा प्रदर्शन करके वह भारत को एक और स्वर्ण पदक दिलाने की कोशिश करेंगे।
नीरज की पिछली उपलब्धियाँ और इस बार की चुनौती
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में अपने भाले से इतिहास रचा था और भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। यह जीत न केवल उनकी मेहनत का फल थी, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का पल था। अब, नीरज चोपड़ा से दूसरी बार स्वर्ण जीतने की उम्मीद की जा रही है। पूरे भारत के 140 करोड़ लोग उनकी सफलता की दुआ कर रहे हैं और उनके प्रदर्शन पर नजर गड़ा रहे हैं।
इस बार की चुनौती नीरज के लिए विशेष है। पूरे सत्र के दौरान उन्होंने जांघ के भीतरी हिस्से की मांसपेशी (एडक्टर) में दर्द की समस्या का सामना किया है। यह समस्या उनकी तैयारी और प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, नीरज और उनके कोच ने इस बारे में चिंता जताई है कि अब नीरज की फिटनेस में कोई समस्या नहीं है और वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अगर नीरज इस बार स्वर्ण पदक जीतने में सफल होते हैं, तो वह ओलंपिक के इतिहास में लगातार दो बार स्वर्ण जीतने वाले पांचवें खिलाड़ी बन जाएंगे। इसके साथ ही, वह ओलंपिक में व्यक्तिगत वर्ग में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी बनेंगे।
ओलंपिक में भाला फेंक के इतिहास में नीरज चोपड़ा
ओलंपिक की पुरुष भाला फेंक स्पर्धा में अब तक कुछ खिलाड़ी ही लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीत सके हैं। इनमें स्वीडन के एरिक लेमिंग (1908 और 1912), फिनलैंड के जोन्नी माइरा (1920 और 1924), चेक गणराज्य के जान जेलेंजी (1992 और 1996), और नॉर्वे के आंद्रियास थॉर्किल्डसन (2004 और 2008) शामिल हैं। नीरज चोपड़ा अगर इस बार भी स्वर्ण जीतते हैं, तो वह इस सम्मानित सूची में शामिल हो जाएंगे।
इस साल की प्रतियोगिताएँ और नीरज का प्रदर्शन
इस साल नीरज चोपड़ा ने केवल तीन प्रमुख प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। मई में दोहा डायमंड लीग में उन्होंने 88.36 मीटर का थ्रो फेंका था, जो उनके करियर का अच्छा प्रदर्शन था। हालांकि, जांघ में दर्द की समस्या के कारण उन्होंने 28 मई को ओस्ट्रावा गोल्डन स्पाइक में भाग नहीं लिया। जून में उन्होंने फिनलैंड के पावो नुरमी खेलों में 85.97 मीटर का थ्रो फेंककर स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद, जुलाई में पेरिस डायमंड लीग में वह भाग नहीं ले सके, जो उनकी तैयारी को प्रभावित कर सकता है।
प्रमुख प्रतिद्वंदी और भविष्य की उम्मीदें
नीरज चोपड़ा के लिए इस बार की स्पर्धा में चेक गणराज्य के याकूब वालेश, जर्मनी के जूलियन वेबर और ग्रेनाडा के पूर्व विश्व चैम्पियन एंडरसन पीटर्स उनके मुख्य प्रतिद्वंदी होंगे। ये सभी खिलाड़ी उच्च स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर चुके हैं और नीरज को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। भारतीय खिलाड़ी किशोर जेना भी इस प्रतियोगिता में शामिल हैं। उन्होंने पिछले साल एशियाई खेलों में 87.54 मीटर का थ्रो फेंककर क्वालिफाई किया था, लेकिन उसके बाद से उनका प्रदर्शन औसत रहा है।
नीरज चोपड़ा की यात्रा और भारत की उम्मीदें
नीरज चोपड़ा की यात्रा और उनके प्रदर्शन पर सभी की निगाहें हैं। उनकी मेहनत, समर्पण और पिछले प्रदर्शन ने उन्हें एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है। पेरिस ओलंपिक 2024 में उनकी सफलता से भारत को एक और स्वर्ण पदक की उम्मीद है। पूरा देश नीरज चोपड़ा के प्रदर्शन पर नजर गड़ाए हुए है और उनकी सफलता की कामना कर रहा है। उनकी यात्रा, उनके प्रयास और उनकी संभावनाएँ भारत के लिए गर्व का विषय हैं, और यह ओलंपिक उनका एक और शानदार क्षण हो सकता है।