पहली बार नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने देश के टोलिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव करते हुए एक बैंक को सीधे टोल कलेक्शन में शामिल किया है। इस नई व्यवस्था का उपयोग हाल ही में खोले गए द्वारका एक्सप्रेसवे पर किया जाएगा। एनएचएआई ने इस सिस्टम के लिए एक अधिग्रहणकर्ता बैंक को चुनने के लिए निविदाएं जारी की हैं। इस प्रणाली के लागू होने से टोलिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और यात्रियों के लिए यह सुविधा अधिक सुविधाजनक और समय बचाने वाली होगी।
क्या है मल्टी-लेन फ्री फ्लो (एमएलएफएफ) प्रणाली?
एमएलएफएफ एक आधुनिक टोलिंग प्रणाली है जिसमें टोल कलेक्शन के लिए भौतिक टोल प्लाजा की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रणाली में एक्सप्रेसवे पर विशेष गैन्ट्री और सेंसर लगाए जाएंगे जो वाहनों के गुजरते ही उनके डेटा को कैप्चर करेंगे। इसके जरिए फास्टैग और अन्य इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम से टोल शुल्क अपने आप कट जाएगा। वाहन चालकों को टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे यात्रा में बाधा कम होगी और समय की भी बचत होगी।
कैसे काम करेगा एमएलएफएफ सिस्टम?
एमएलएफएफ प्रणाली में टोल कलेक्शन के लिए गैन्ट्री पर फील्ड उपकरण और सेंसर लगे होंगे, जो वाहन के गुजरने पर उसकी जानकारी को कैप्चर करेंगे। ये डेटा टोल कटौती के लिए सीधे फास्टैग या अन्य डिजिटल वॉलेट में भेजा जाएगा। जो वाहन फास्टैग के बिना या खराब फास्टैग के साथ होंगे, उन्हें सिस्टम स्वचालित रूप से पहचान लेगा और उनका विवरण पंजीकृत वाहन डेटाबेस के साथ साझा किया जाएगा। इस प्रणाली के अंतर्गत एनएचएआई के अनुशासन में टोलिंग को डिजिटल और पारदर्शी बनाना मुख्य उद्देश्य है।
टोल कलेक्शन के लिए बैंक की भूमिका
एनएचएआई ने टोल कलेक्शन का अधिकार उस बैंक को देने का निर्णय किया है जो सबसे ज्यादा राजस्व हिस्सेदारी की पेशकश करेगा। यह बैंक टोल शुल्क की कटौती और संग्रहण की जिम्मेदारी निभाएगा। 28 किलोमीटर लंबे द्वारका एक्सप्रेसवे पर दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर केवल एक टोल प्वाइंट होगा। जो वाहन इस टोल प्वाइंट से गुजरेंगे, उन्हीं से शुल्क लिया जाएगा। फिलहाल, एनएचएआई ने इस खंड के लिए टोल दरें निर्धारित नहीं की हैं। चयनित बैंक को अनुबंध मिलने के तीन महीने के अंदर टोलिंग सिस्टम को लागू करना होगा। इस बैंक की सहायता के लिए अनुभवी उप-ठेकेदार भी कार्य करेंगे, जिन्हें कम से कम 200 किलोमीटर के टोलिंग अनुभव की आवश्यकता होगी।
टोलिंग सिस्टम में पारदर्शिता का उद्देश्य
एनएचएआई ने इस नई व्यवस्था को इसलिए लागू किया है ताकि टोलिंग में पारदर्शिता और सुगमता आए। चूंकि बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों का पालन करते हैं, इसलिए टोल कलेक्शन में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और राजस्व में किसी भी तरह का रिसाव नहीं होगा। इस प्रक्रिया से टोल कलेक्शन का हर चरण पूरी तरह डिजिटल होगा और इस पर निगरानी रखी जा सकेगी।
एमएलएफएफ के अन्य लाभ
यह प्रणाली केवल टोल कलेक्शन को ही आसान नहीं बनाएगी, बल्कि इससे प्रदूषण और भीड़भाड़ में भी कमी आएगी। बिना रुकावट यात्रा से वाहन चालकों के समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। इसके अलावा, इस प्रणाली में टोल प्लाजा पर जाम जैसी समस्याएं भी खत्म हो जाएंगी। एनएचएआई भविष्य में इसी तरह के अन्य ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर भी एमएलएफएफ प्रणाली लागू करने की योजना बना रहा है।
फास्टैग के जरिए टोल कटौती
चुना हुआ बैंक फास्टैग वॉलेट से टोल राशि काटेगा, जिससे समय और श्रम की बचत होगी। इसके अलावा, सिस्टम उन वाहनों की भी पहचान करेगा जिनके पास फास्टैग नहीं है या जिनका फास्टैग खराब है। ऐसे वाहनों का डेटा केंद्रीय डेटाबेस में सुरक्षित कर लिया जाएगा, ताकि भविष्य में वाहन मालिक इस बकाया को ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के जरिए चुकता कर सकें। एनएचएआई ने यह भी तय किया है कि एनओसी और फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए बकाया टोल का भुगतान करना अनिवार्य होगा।
टोलिंग सिस्टम का भविष्य
एनएचएआई का उद्देश्य देश की टोलिंग प्रणाली को विश्वस्तरीय और डिजिटल बनाना है। यह बदलाव न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरणीय लाभों के मामले में भी महत्वपूर्ण साबित होगा। भविष्य में, इस प्रणाली से यात्रा को सुविधाजनक बनाना और टोल कलेक्शन को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाना मुख्य उद्देश्य रहेगा।
एमएलएफएफ लागू करने में उप-ठेकेदारों की भूमिका
बैंकों को सीधी टोलिंग प्रक्रिया में अनुभव नहीं होने के कारण एनएचएआई ने उन्हें अनुभवी उप-ठेकेदारों के माध्यम से इस कार्य को करने की अनुमति दी है। इन उप-ठेकेदारों के पास बड़े टोलिंग अनुभव और विशेषज्ञता होनी चाहिए। इस सिस्टम को सही तरीके से लागू करने के लिए उप-ठेकेदारों की सहायता ली जाएगी ताकि एमएलएफएफ प्रणाली को बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से लागू किया जा सके।
एनएचएआई की योजना
एनएचएआई आने वाले समय में और अधिक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर एमएलएफएफ टोलिंग प्रणाली को लागू करने की योजना बना रहा है। यह कदम यात्रा को अधिक परेशानी मुक्त बनाने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए है। एनएचएआई का यह भी मानना है कि आरबीआई द्वारा नियंत्रित बैंक एक बेहतर पारदर्शी प्रणाली को लागू करेंगे और राजस्व का कोई रिसाव नहीं होगा।
द्वारका एक्सप्रेसवे पर एमएलएफएफ का पहला परीक्षण देश के टोलिंग सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव का संकेत है। एनएचएआई की इस नई पहल से यात्रियों के लिए टोलिंग का अनुभव अधिक सहज होगा और टोल संग्रहण में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। भविष्य में, एनएचएआई की यह प्रणाली टोलिंग प्रक्रिया में नया मानक स्थापित कर सकती है, जो समय की बचत, प्रदूषण में कमी और ट्रैफिक नियंत्रण में सहायक सिद्ध होगी।