केंद्र सरकार ने हाल ही में संपन्न राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह, जिसे “कर्मयोगी सप्ताह” का नाम दिया गया है, की सफलता की जानकारी दी है। इस पहल के माध्यम से 4 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने कम से कम चार घंटे सीखने में बिताए, जिससे यह साबित हुआ कि वे अपने पेशेवर और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन 19 से 27 अक्टूबर के बीच किया गया था और इसमें सरकारी कार्यबल ने एकजुट होकर नए कौशल और ज्ञान की ओर कदम बढ़ाया।
कर्मयोगी सप्ताह का उद्देश्य और महत्व
राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह या कर्मयोगी सप्ताह का उद्देश्य सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना नहीं था, बल्कि उन्हें एक नई सोच और कौशल के साथ सशक्त बनाना था। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि यह सप्ताह एक आंदोलन की तरह था, जिसने विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को एक मंच पर लाकर पेशेवर उत्कृष्टता और व्यक्तिगत विकास के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को मजबूत किया।
आंकड़ों में दिखा कर्मयोगी सप्ताह का प्रभाव
कर्मयोगी सप्ताह के दौरान रिकॉर्ड संख्या में पाठ्यक्रमों में नामांकन हुआ और उन्हें सफलतापूर्वक पूरा किया गया। आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह में 45.6 लाख से अधिक पाठ्यक्रम नामांकन हुए और 32.6 लाख पाठ्यक्रमों को पूरा किया गया। इस पूरे सप्ताह में कुल 38 लाख से अधिक शिक्षण घंटे दर्ज किए गए, जो किसी भी सामान्य सरकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम से कहीं ज्यादा प्रभावी साबित हुआ।
इस सप्ताह में लगभग 4.3 लाख प्रतिभागियों ने कम से कम चार घंटे सीखने में बिताए, जिसमें ग्रुप ए के 37,000 अधिकारी और कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। इनमें 23,800 से अधिक अधिकारियों ने चार या उससे अधिक घंटे तक नया सीखने का प्रयास किया। इससे स्पष्ट होता है कि शीर्ष स्तर से लेकर जमीनी स्तर तक सीखने के प्रति एक नई प्रतिबद्धता दिख रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया कर्मयोगी योग्यता मॉडल का उद्घाटन
राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिन्होंने भारत के पहले सार्वजनिक मानव संसाधन योग्यता मॉडल, “कर्मयोगी योग्यता मॉडल” का भी शुभारंभ किया। यह मॉडल भारत की स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों से प्रेरित है और इसमें उन गुणों का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जो एक आदर्श कर्मयोगी अधिकारी में होने चाहिए। यह मॉडल सरकारी कर्मचारियों को न केवल उनके कार्यस्थल पर नई दृष्टि और कौशल के साथ काम करने की दिशा में प्रेरित करता है, बल्कि उन्हें नागरिकों के प्रति सेवा भावना और कार्य में उत्कृष्टता की ओर भी प्रोत्साहित करता है।
कर्मयोगी सप्ताह बना ज्ञान का उत्सव
इस पहल के तहत सभी मंत्रालयों और विभागों के कर्मचारियों ने इसे एक सामान्य सरकारी कार्यक्रम के बजाय एक ज्ञान के उत्सव के रूप में देखा। कर्मयोगी सप्ताह में भाग लेने वालों के लिए यह एक ऐसा अनुभव था, जिसमें वे अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या से बाहर आकर सीखने और जिज्ञासा को बढ़ावा देने के लिए जुटे।
सरकारी कर्मचारियों ने इसे एक अवसर के रूप में देखा, जहां वे न केवल सीख सकते थे, बल्कि अपने साथी कर्मचारियों के साथ मिलकर एक जुड़ाव की भावना का अनुभव कर सकते थे। कर्मचारियों को विभिन्न नए प्रशिक्षण मॉड्यूल से अवगत कराया गया, जिसमें उन्हें नए कौशल, संचार, नेतृत्व, और डिजिटल दक्षता के बारे में जानने का मौका मिला।
शीर्ष अधिकारियों का उत्साह और सहयोग
इस कार्यक्रम में संयुक्त सचिव और उच्च पदस्थ अधिकारियों ने भी भाग लिया। यह दिखाता है कि सीखने के प्रति प्रतिबद्धता सिर्फ निचले स्तर के कर्मचारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि शीर्ष स्तर के अधिकारी भी इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हैं। इस पहल ने सभी कर्मचारियों में एक सकारात्मक बदलाव की ओर प्रेरित किया, जिसमें उन्हें यह समझने का अवसर मिला कि नए युग की चुनौतियों के लिए नए कौशल और मानसिकता को अपनाना कितना महत्वपूर्ण है।
कर्मयोगी सप्ताह का प्रभाव
कर्मयोगी सप्ताह ने न केवल सरकारी कर्मचारियों में पेशेवर विकास के प्रति नई रुचि को बढ़ावा दिया, बल्कि सभी प्रतिभागियों में ज्ञान के प्रति जिज्ञासा और समर्पण की भावना को मजबूत किया। इस कार्यक्रम के माध्यम से सरकार ने एक मिसाल कायम की कि एक बड़े पैमाने पर प्रभावी और व्यापक शिक्षण पहल किस प्रकार चलाई जा सकती है। यह सप्ताह इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने भविष्य में सरकारी कार्यबल को और अधिक कुशल, जानकार और तैयार बनाने की दिशा में योगदान दिया।
कुल मिलाकर, राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह या कर्मयोगी सप्ताह एक ऐसा कदम था जिसने सरकारी कार्यबल को एक नई दिशा दी और उन्हें नए युग की जरूरतों के अनुसार खुद को तैयार करने के लिए प्रेरित किया।