महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव आयोग ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। जल्द ही मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव की तारीखों का ऐलान करेंगे। इस चुनावी दंगल में महाराष्ट्र और झारखंड दोनों ही राज्यों में राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी है। चुनाव आयोग जल्द ही घोषणा करेगा कि इन चुनावों को कितने चरणों में संपन्न किया जाएगा और क्या तैयारियां की गई हैं।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024: कड़े मुकाबले की उम्मीद
महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव इस बार बेहद रोचक होने वाला है। शिवसेना और एनसीपी जैसी दो प्रमुख पार्टियों के दो धड़ों में बंटने के बाद, पहली बार दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव में आमने-सामने होंगी। एक तरफ उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना और शरद पवार गुट की एनसीपी महा विकास अघाड़ी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगी, वहीं दूसरी ओर शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार गुट की एनसीपी महायुति गठबंधन का हिस्सा होंगे।
चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिसमें उन्होंने 48 में से 30 सीटें जीती थीं। जबकि भाजपा नीत महायुति गठबंधन ने केवल 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी। विधानसभा चुनाव में भी यही मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत से भाजपा का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है, और पार्टी अब महाराष्ट्र के चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव
महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों पर इस बार चुनाव होने जा रहे हैं। फिलहाल महायुति गठबंधन के पास 218 सीटें हैं। इनमें भाजपा के पास 106 सीटें, शिंदे गुट की शिवसेना के पास 40, अजित पवार गुट की एनसीपी के पास 40, जबकि अन्य छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के पास शेष सीटें हैं।
वहीं, महा विकास अघाड़ी गठबंधन के पास 77 सीटें हैं। चार विधायक फिलहाल किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं और एक सीट खाली है। इन सीटों पर किसका कब्जा होगा, यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे, लेकिन वर्तमान राजनीतिक माहौल में दोनों गठबंधन अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
शिवसेना और एनसीपी के बंटवारे का असर
शिवसेना और एनसीपी के बंटवारे ने महाराष्ट्र की राजनीति को नया मोड़ दिया है। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टियों के लिए यह चुनाव एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी, जहां उन्हें साबित करना होगा कि वे जनता का समर्थन हासिल कर सकते हैं। वहीं, शिंदे और अजित पवार गुट भाजपा के साथ मिलकर अपने गठबंधन को मजबूत बनाने में जुटे हैं।
इस विभाजन के चलते मतदाता भी दुविधा में हो सकते हैं। खासकर, शिवसेना और एनसीपी के मतदाताओं को यह तय करना होगा कि वे किस गुट का समर्थन करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन दलों के बीच की खींचतान किस तरह से चुनावी नतीजों पर असर डालती है।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: सरकार बचाने की चुनौती
झारखंड में भी इस बार का विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण होगा। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार को बचाने के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगे। वहीं, भाजपा के नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रहा है।
झारखंड की राजनीति में आदिवासी और ग्रामीण मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होती है। राज्य में विकास के मुद्दे, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी इस बार के चुनाव में प्रमुख मुद्दे बन सकते हैं।
झारखंड की 81 विधानसभा सीटों पर चुनाव
झारखंड विधानसभा की कुल 81 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला गठबंधन जहां अपनी सत्ता को बनाए रखने की कोशिश करेगा, वहीं भाजपा और अन्य विपक्षी दल सत्ता परिवर्तन के लिए जोर लगाएंगे।
वर्तमान में हेमंत सोरेन सरकार के पास बहुमत है, लेकिन विपक्षी दल इसे चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। भाजपा राज्य में अपनी खोई हुई सत्ता को वापस पाने के लिए बड़े पैमाने पर चुनावी रणनीति बना रही है।
झारखंड में प्रमुख चुनावी मुद्दे
झारखंड में इस बार के चुनाव में विकास के मुद्दे, बेरोजगारी, ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएं, और आदिवासी समाज की मांगें प्रमुख रूप से उभरकर सामने आएंगी। हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों पर जनता की प्रतिक्रिया भी चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है।
वहीं, भाजपा और अन्य विपक्षी दल सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। झारखंड में होने वाले इन चुनावों में जनता का फैसला काफी महत्वपूर्ण होगा और यह तय करेगा कि राज्य में सत्ता किसके हाथों में जाएगी।
निष्कर्ष: महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों का असर
महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे न केवल इन राज्यों की राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी इनका गहरा असर पड़ेगा। महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी के विभाजन के बाद पहली बार होने वाले चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं, झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की सत्ता बचाने की कोशिश और भाजपा की सत्ता वापसी की तैयारी ने चुनावी माहौल को और भी रोचक बना दिया है।
इन चुनावों में राजनीतिक दलों की रणनीति, गठबंधन और जनता की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यह देखना बाकी है कि कौन सा गठबंधन विजयी होगा और किसके हाथों में राज्यों की बागडोर सौंपी जाएगी।